DNA ANALYSIS: कोरोना वायरस को 'डाउन' करने के लिए कितने दिन चलेगा Lockdown
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DNA ANALYSIS: कोरोना वायरस को 'डाउन' करने के लिए कितने दिन चलेगा Lockdown

भारत में कोरोना वायरस के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और स्थिति धीरे-धीरे गंभीर होती जा रही है. अब किसी भी समय भारत इस महामारी के तीसरे चरण में जा सकता है. इसलिए आप सबको बहुत सावधान होने की जरूरत है.

DNA ANALYSIS: कोरोना वायरस को 'डाउन' करने के लिए कितने दिन चलेगा Lockdown

भारत में कोरोना वायरस के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और स्थिति धीरे-धीरे गंभीर होती जा रही है. अब किसी भी समय भारत इस महामारी के तीसरे चरण में जा सकता है. इसलिए आप सबको बहुत सावधान होने की जरूरत है. आजकल सबके मन में एक ही यक्ष प्रश्न है और वो ये है कि भारत में 21 दिनों का लॉकडाउन खत्म होगा या फिर आगे बढ़ेगा. आज हम इससे जुड़ी संभावनाओं पर चर्चा करेंगे लेकिन पहले ये जान लीजिए कि अभी भारत में इस वायरस की स्थिति क्या है.

भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 5193 हो गई है. देश में इस वायरस से मरने वालों की कुल संख्या 159 है, जबकि 356 लोग अबतक स्वस्थ हो चुके हैं. पिछले 24 घंटे में संक्रमण के 553 नए मामले सामने आए हैं.महाराष्ट्र में संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. महाराष्ट्र में मरीज़ों की संख्या 891 हैं. ये आंकड़े Zee News के रिपोर्टर्स द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित हैं, जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े इससे थोड़े अलग हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक भारत में संक्रमित लोगों की संख्या इस समय 4789 हैं और 124 लोगों की मौत हो चुकी है.

अमेरिका के एक बड़े वैज्ञानिक डॉक्टर Anthony Fauci का मानना है कि कोरोना वायरस का एक मरीज़ कम से कम दो लोगों को संक्रमित करता है. एक से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण की इस दर को RO यानी आर नॉट (R Naught) कहा जाता है. Indian Council of Medical Research यानी ICMR की नई स्टडी के मुताबिक भी अगर एक संक्रमित व्यक्ति लॉकडाउन का पालन ना करो तो वो 30 दिनों में करीब 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है. और अगर वो व्यक्ति 75 प्रतिशत नियमों का पालन करे तो भी वो 30 दिनों में करीब ढाई लोगों को संक्रमित करेगा. यानी लॉकडाउन का पालन करने के बाद भी ये वायरस दूसरे लोगों को संक्रमित कर सकता है और इस वायरस के खिलाफ सोशल डिस्टेंसिंग एक कारगर दवाई है, जिसका इस्तेमाल करके आप भी इस वायरस की रफ्तार को रोक सकते हैं.

आज एक अच्छी खबर रेलवे से भी आई है. रेलवे ने अपने 2500 कोच में 40 हजार आइसोलेशन बेड बना दिए हैं और इन आइसोलेशन बेड का इस्तेमाल संक्रमित लोगों के इलाज के लिए हो सकता है. भारत में कोरोना वायरस से मरीज़ों की संख्या 5 हजार के पार पहुंच गई है. ये एक डरावना आंकड़ा है क्योंकि दुनिया के जो देश इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं..वहां जैसे ही आंकड़ा 4 हजार के पार पहुंचा ये महामारी भी बहुत तेज़ रफ्तार से फैलने लगी. इसे आप कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित कुछ देशों की स्थिति से समझ सकते हैं. इटली में 6 मार्च को कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 4 हजार 636 थी. जो एक महीने बाद यानी 6 अप्रैल को 1 लाख 32 हजार 547 हो गई. ये एक महीने में 2800 प्रतिशत का जंप है.

अमेरिका में भी 22 दिन पहले तक लगभग भारत जितने लोग ही कोरोना वायरस से संक्रमित थे. लेकिन आज अमेरिका में संक्रमित लोगों की संख्या 3 लाख 68 हजार से ज्यादा हो चुकी है. यानी अमेरिका में 22 दिनों में 8 हजार प्रतिशत का जंप आया है. फ्रांस और स्पेन में 14 मार्च को संक्रमित लोगों की संख्या 4 हजार 500 के आस पास थी. जो अब बढ़कर 1 लाख से ज्यादा हो चुकी है. यानी इन देशों में 24 दिनों में संक्रमण के मामले 2 हजार प्रतिशत तक बढ़ गए हैं.

अब अगर शुरुआती 5 हजार मामलों के बाद भारत में संक्रमण अमेरिका की रफ्तार से बढ़ा तो 7 मई तक भारत में संक्रमित लोगों की संख्या 5 लाख जाएगी. अगर भारत में इसकी रफ्तार फ्रांस और जर्मनी जैसी रही तो 30 दिनों में करीब सवा लाख लोग इससे संक्रमित हो जाएंगे. और अगर भारत में संक्रमण की रफ्तार इटली जैसी रही तो 7 मई तक 1 लाख 25 हजार से लेकर 1 लाख 40 हजार लोग संक्रमित हो सकते हैं.

इसके विपरित दक्षिण कोरिया में 2 मार्च तक 4 हजार 335 लोग संक्रमित थे और ठीक एक महीने के बाद यानी 2 अप्रैल को संक्रमित लोगों की संख्या 9 हजार 976 हो गई. यानी दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस के मामले सिर्फ 130 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़े. दक्षिण कोरिया का मॉडल भारत के लिए बेहतर उदाहरण साबित हो सकता है. और आपको उम्मीद करनी चाहिए कि भारत, अमेरिका, स्पेन और इटली नहीं बल्कि दक्षिण कोरिया के रास्ते पर ही चलेगा. 

क्या भारत में लॉकडाउन बढ़ाया जाने वाला है?
इन आंकड़ों को देखकर सबके मन में एक ही सवाल है और वो ये है कि क्या भारत में लॉकडाउन बढ़ाया जाने वाला है? केंद्र सरकार ने साफ किया है कि अभी इस पर कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगा और हमें अंतिम फैसले का इंतज़ार करना चाहिए. लेकिन यहां आपको ये समझना चाहिए कि आखिर भारत में लॉकडाउन बढ़ाने की चर्चा हो क्यों रही है और अगर इसे बढ़ाया जाता है तो ये कितने दिनों के लिए हो सकता है.

अलग-अलग राज्यों की सरकारों ने केंद्र से कहा है कि पूरे देश से लॉकडाउन को एक साथ ना हटाया जाए बल्कि इसमें धीरे-धीरे करके हटाया जाए. ऐसा इसलिए है क्योंकि स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 1 अप्रैल से अब तक हर रोज़ औसतन 450 नए मामले सामने आ रहे हैं. भारत में 31 मार्च तक ये महामारी जिस रफ्तार से बढ़ रही थी उस रेट से भारत में आज कोरोना वायरस के सिर्फ 2 हजार 451 मामले होने चाहिए थे लेकिन आज की तारीख में भारत में 5 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं और जिस दर से ये मामले बढ़ रहे हैं. उस दर से अगले हफ्ते तक भारत में संक्रमित मरीज़ों की संख्या 17 हजार तक भी पहुंच सकती है. इसमें बहुत बड़ी भूमिका तबलीगी जमात के लोगों की भी है.

भारत के करीब 30% ज़िलों में फैला कोरोना
भारत के करीब 30 प्रतिशत ज़िलों में ये वायरस फैल चुका है. और इनमें से भी 10 ज़िले ऐसे हैं जो सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. भारत में कोरोना वायरस के कुल मामलों में इन ज़िलों की हिस्सेदारी करीब 30 प्रतिशत है. मार्च के आखिरी हफ्ते से तुलना की जाए तो राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और तमिलनाडु में इस संक्रमण की रफ्तार सबसे तेज़ है. जबकि गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, जम्मू कश्मीर और केरल में संक्रमण की रफ्तार बाकी राज्यों के मुकाबले कम है.

दक्षिणी दिल्ली, मुंबई, केरल का कसारगोड, हैदराबाद, इंदौर, चेन्नई, पुणे, बैंगलुरू, नोएडा और जयपुर वो ज़िले हैं जहां संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. यानी जब इन ज़िलों में स्थितियां नियंत्रण में नहीं आतीं, तब तक लॉकडाउन हटाना राज्य सरकारों के लिए बड़ी चुनौती बन जाएगा. The Center For Disease Dynamics, Economics & Policy और अमेरिका की Princeton University द्वारा की गई एक रिसर्च के मुताबिक अगर भारत की 0.5 प्रतिशत जनता भी इस वायरस से संक्रमित हो गई तो भी करीब 4 लाख 75 हजार लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ सकता है और अगर ये बीमारी 5 प्रतिशत जनसंख्या के बीच भी फैली तो अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या 48 लाख हो सकती है.

ऐसे में भारत का हेल्थ सिस्टम दबाव में आ जाएगा और तब सरकारों के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है. Brookings India नामक संस्था की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 12 राज्य ऐसे हैं जहां 10 हजार की जनता पर औसतन साढ़े 5 अस्पताल बेड उपलब्ध हैं और इन 12 राज्यों में ही देश की 70 प्रतिशत आबादी रहती है. यही वजह है कि कई राज्यों की सरकारें लॉकडाउन बढ़ाने पर विचार कर रही हैं. यहां हम एक बात साफ कर देना चाहते हैं कि ये सारे आंकड़े गणना पर आधारित हैं और ये आंकड़े विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखकर तैयार किए जाते हैं, इसलिए इन्हें हमेशा वास्तविकता नहीं माना जा सकता. लेकिन अगर केंद्र सरकार ने लॉकडाउन बढ़ाने का फैसला किया तो इसे कैसे लागू किया जा सकता है. ये भी आप समझ लीजिए.

पहली स्थिति तो ये है कि पूरे देश में एक साथ लॉकडाउन की अवधि बढ़ा दी जाए, दूसरी स्थिति ये है कि जो राज्य संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं उनमें लॉकडाउन बढ़ा दिया जाए और तीसरी स्थिति ये है कि जो ज़िले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं वहां लॉकडाउन बढ़ा दिया जाए और बाकी ज़िलों में धीरे धीरे प्रतिबंध हटा दिए जाए.  लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का मुताबिक भारत को कम से कम 49 दिनों के लॉकडाउन की ज़रूरत है. ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और चेन्नई के Institute of Mathematical Sciences की एक रिसर्च के मुताबिक, 21 दिनों के लॉकडाउन से संक्रमण के मामलों में कमी तो आएगी, लेकिन लॉकडाउन हटाते ही संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ने लगेंगे.

DNA वीडियो:

रिसर्चर्स द्वारा की गई मॉडलिंग के मुताबिक इससे बचने का एक उपाय ये है कि 21 दिन के पहले लॉकडाउन के बाद 5 दिनों का ब्रेक दिया जाए और अगले 28 दिनों के लिए एक बार फिर देश को पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया जाए. लेकिन इस स्थिति में, दूसरा लॉकडाउन हटाने के बाद भी संक्रमण के मामले फिर से तेज़ी से बढ़ेंगे. हालांकि संक्रमण के नए मामलों में कमी आ जाएगी. इसके बाद तीसरा उपाय ये है कि देश को पहले 21 दिन, फिर 28 दिन और फिर 18 दिनों के लिए लॉकडाउन किया जाए और इन तीनों लॉकडाउन के बीच में 5-5 दिन की छूट यानी ब्रेक दिया जाए.  

इस स्थिति में 10 जून तक संक्रमण के नए मामले, सामने आना लगभग बंद हो जाएंगे. लेकिन रिसर्चर्स का सुझाव है कि अगर इस महामारी की रफ्तार इससे पहले थामनी है तो फिर एक साथ 49 दिनों का लॉकडाउन करना होगा वो भी बिना किसी छूट के. इस मॉडलिंग के मुताबिक जितने दिनों के लिए लॉकडाउन हटाया उससे दोगुने दिनों के लिए लॉकडाउन फिर से लगाना पड़ेगा. यानी अगर 5 दिनों के लिए लॉकडाउन हटाया गया तो 10 दिनों का अतिरिक्त लॉकडाउन करना पड़ेगा.

 

भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण अभी तक नियंत्रण में है, लेकिन दुनिया के कई देशों में हालात बेकाबू हो गए हैं. पूरी दुनिया में अबतक 13 लाख 63 हजार से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. 76 हजार 4 सौ से ज्यादा लोग मारे गए हैं और 2 लाख 92 हजार से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं.

इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को कल रात ICU में भर्ती किया गया है. 55 वर्ष के बोरिस जॉनसन कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा है. ब्रिटिश सरकार के मुताबिक अभी उन्हें ऑक्सीजन दिया जा रहा है और वो वेंटिलेटर पर नहीं है.

इटली और स्पेन के बाद अमेरिका तीसरा देश है जहां पर इस वायरस से 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. अमेरिका में लगभग 11 हजार लोग मारे जा चुके है. विशेषज्ञों के मुताबिक 9 दिन के बाद यानी 16 अप्रैल को अमेरिका में इस वायरस से एक दिन में सबसे ज्यादा लोगों की मौत होगी. और उस समय 24 घंटे में 3 हजार से ज्यादा लोगों के मारे जाने की आशंका है. दो महीने के बाद पहली बार सोमवार को चीन के हुबेई प्रांत में इस वायरस से किसी मौत की पुष्टि नहीं हुई है. हुबेई प्रांत के ही वुहान शहर से कोरोना वायरस की शुरुआत हुई थी.

न्यूजीलैंड के स्वास्थ्य मंत्री डेविड क्लार्क ने वहां पर लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन किया था. वो अपने घर से 20 किलोमीटर दूर तक कार ड्राइव करके बीच पर गए थे. जिसके बाद वहां की कैबिनेट में उनका कद घटा दिया गया, और उनसे एसोसिएट फाइनेंस मिनिस्टर का एक और पद छीन लिया गया है.

जापान में आज से लेकर एक महीने तक इमरजेंसी की घोषणा करके लोगों से घर में ही रहने की अपील की गई है. इस दौरान वहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर रोक नहीं लगाई गई है और वहां की सरकार लॉकडाउन लागू करने से बच रही है. अभी जापान में लगभग 4 हजार लोग संक्रमित हैं, आशंका है कि अगले एक महीने में 80 हजार लोगों तक संक्रमण फैल सकता है.

जापान में लॉकडाउन लागू नहीं करने का फैसला फेल होता दिखाई दे रहा है. जबकि दक्षिण कोरिया ने लगातार टेस्ट करके इस महामारी को कंट्रोल कर लिया है. अब इसका असर भी दिखाई दे रहा है. वहां पिछले 1 महीने में पहली बार, एक दिन में 50 से कम लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है.

   

अब आपको भारत में कोरोना संक्रमण की स्पीड को ग्राफ के ज़रिए समझाते हैं.
भारत में 15 मार्च को कोरोना संक्रमण के 107 मामले थे. 21 मार्च को 350 मामले थे. यानी हर 3 दिन में मामले दोगुने हो रहे थे. लेकिन लॉकडाउन और उससे पहले के कई प्रतिबंधों से कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम हुई. हर 5 दिन में मामले दोगुने होने लगे. लेकिन 29 मार्च के बाद तबलीगी जमात की वजह से भारत में संक्रमण के मामले बढ़ गए. इसके बाद हर 4 दिन में मामले दोगुने हो रहे हैं. अगर लॉकडाउन नहीं होता और पहले की तरह हर 3 दिन में ही मामले दोगुने होते तो भारत में अब तक 13 हज़ार से ज़्यादा मामले हो जाते. यानी करीब 178 प्रतिशत मामले बढ़ चुके होते.

अगर दूसरे देशों से तुलना करें तो ये वक्त भारत के लिए बहुत मुश्किल है. क्योंकि भारत अभी उस दौर में है, जहां से ये तय होगा कि भारत इटली, स्पेन या अमेरिका की राह पर होगा या फिर भारत यहां से संक्रमण के मामलों को कंट्रोल कर लेगा. ख़तरा बहुत बड़ा है क्योंकि भारत में अभी 10 हज़ार से कम कोरोना केस हैं, और जिस ग्राफ से भारत में मामले बढ़ रहे हैं, उसमें आने वाले दिनों में इटली, स्पेन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और चीन जैसे देशों से भी गंभीर स्थिति बन सकती है. भारत अभी जिस दौर में है, उस दौर में स्पेन, इटली और अमेरिका में हर दो से तीन दिन में संक्रमण के मामले दोगुने हो रहे थे. जिसके बाद हालात बेकाबू हो गए. जबकि चीन, जापान और दक्षिण कोरिया संक्रमण के मामलों को कम करके इस स्थिति में लेकर आए कि वहां संक्रमण के मामले दोगुने होने में करीब एक हफ्ता लग रहा है.

भारत में अब तक करीब 1 लाख 7 हज़ार लोगों के कोरोना टेस्ट हुए हैं. कोरोना के हर 100 टेस्ट में कितने लोग पॉजिटिव मिल रहे हैं. इसका आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है.

18 मार्च को हर 100 टेस्ट में एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव मिल रहा था. 22 मार्च तक हर 100 टेस्ट में दो व्यक्तियों में संक्रमण मिलने लगा. 2 अप्रैल तक ये आंकड़ा 3 के पार हो गया. 5 अप्रैल तक हर 100 टेस्ट में 4 व्यक्तियों में संक्रमण पाया गया.

भारत में कोरोना वायरस का नए हॉट स्पॉट सामने आए हैं. और ये सबसे चिंताजनक बात है. ये हॉट स्पॉट हरियाणा में पलवल, फरीदाबाद और नूंह हैं. इन तीनों जगहों पर अब करीब 90 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं. इनमें से ज़्यादातर का संबंध तबलीगी जमात से है. आज नूंह और फरीदाबाद में 32 नए मामले आए, जिसमें 29 लोग तबलीगी जमात से जुड़े हैं. ये चिंताजनक बात इसलिए हैं, क्योंकि ये इलाके दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सीमा के करीब हैं. यानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश को भी प्रभावित करते हैं. 

यहां आपको ये भी बता दें कि मेवात मुस्लिम बहुल इलाका है. तबलीगी जमात की शुरुआत भी हरियाणा के मेवात से ही हुई थी. वर्ष 1927 में मोहम्मद इलियास अल कांधलवी ने इसकी शुरुआत मेवात में की थी. तबलीगी जमात का मकसद भटके हुए मुसलमानों को रास्ते पर लाना था लेकिन आज इसी तबलीगी जमात के लोग नियमों वाले रास्ते से भटक गए हैं और इनकी बदौलत..हरियाणा समेत भारत के कई राज्यों में कोरोना वायरस के नए-नए हॉटस्पॉट सामने आ रहे हैं.

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