Uttarkashi Tunnel Collapse Updates: उत्तराकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालना किसी युद्ध से कम नहीं है. ऑगर मशीन के फिर अटकने के बाद मजदूरों को बचाने का मिशन एक बार खटाई में पड़ गया है. रेस्क्यू अभियान के बारे में पूछे जाने पर एनडीएमए के सदस्य रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने कहा कि मुझे लगता है कि हर किसी का ध्यान इस पर है कि यह ऑपरेशन कब खत्म होगा, लेकिन आपको यह देखने की जरूरत है कि यह ऑपरेशन और भी कठिन होता जा रहा है. हमने आपको कभी टाइमलाइन नहीं दी. मैंने अनुभव किया है कि जब आप पहाड़ों के साथ कुछ करते हैं, तो आप कुछ भी भविष्यवाणी नहीं कर सकते. यह बिल्कुल युद्ध जैसी स्थिति है.



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लंबा समय लग सकता है..


उन्होंने कहा कि इस अभियान में लंबा समय लग सकता है. दरअसल, अधिकारी अब दो विकल्पों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं- मलबे के शेष 10 या 12 मीटर हिस्से में हाथ से ‘ड्रिलिंग’ या ऊपर से 86 मीटर नीचे ‘ड्रिलिंग’. हाथ से ‘ड्रिलिंग’ (मैनुअल ड्रिलिंग) के तहत अलग-अलग श्रमिकों के बचाव मार्ग के पहले से ही 47-मीटर हिस्से में जाकर सीमित स्थान में कम समय के लिए ‘ड्रिलिंग’ करना और फिर किसी और को कार्यभार संभालने के लिए बाहर आना शामिल होगा.


क्रिसमस तक श्रमिकों के निकलने की उम्मीद


सिलक्यारा सुरंग में ‘ड्रिल’ कर रही ऑगर मशीन के ब्लेड मलबे में फंसने के बाद दूसरे ऑप्शन खंगाले जा रहे हैं. इसे लेकर ऑस्ट्रेलिया के एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि पिछले 13 दिन से फंसे 41 मजदूर अगले महीने क्रिसमस तक बाहर आ जाएंगे. डिक्स ने बताया कि ऑगर मशीन ‘खराब’ हो गई है. ऑगर मशीन का ब्लेड टूट गया है, क्षतिग्रस्त हो गया है. इसलिए हम अपने काम करने के तरीके पर फिर से विचार किया जा रहा है. मुझे पूरा विश्वास है कि सभी 41 लोग लौटेंगे. जब डिक्स से इस संबंध में समयसीमा बताने के लिए कहा गया, तो उन्होंने कहा, ‘मैंने हमेशा वादा किया है कि वे क्रिसमस तक घर आ जाएंगे.’


क्या बोले सीएम धामी?


उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह योजनाबद्ध निकासी मार्ग में फंसे उपकरणों को बाहर लाते ही शुरू हो सकता है. ‘ड्रिलिंग’ के लिए शनिवार को मौके पर पहले से ही लाए गए भारी उपकरण लगाए जा रहे हैं. अधिकारियों ने पहले कहा था कि इसमें कई सप्ताह लग सकते हैं. हसनैन ने कहा यह प्रक्रिया ‘‘अगले 24 से 36 घंटे’’ में शुरू हो सकती है. उन्होंने संकेत दिया कि अब जिन दो मुख्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है उनमें से यह सबसे तेज विकल्प है.


हैदराबाद से लाया जा रहा प्लाज्मा कटर


सीएम धामी ने कहा कि ब्लेड के लगभग 20 हिस्से को काट दिया गया है और शेष काम पूरा करने के लिए हैदराबाद से एक प्लाज्मा कटर हवाई मार्ग से लाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर ‘मैन्युअल ड्रिलिंग’ शुरू हो जाएगी. याद दिला दें कि चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे. तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं.


(एजेंसी इनपुट के साथ)