मुंबई: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कांग्रेस को भंग करने की महात्मा गांधी की अपील के लिए मंगलवार को उनकी प्रशंसा दृरदृष्टि रखने वाले एक व्यक्ति के तौर पर की.


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नायडू 2017 में इस शीर्ष संवैधानिक पद पर पहुंचने से पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता थे. उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार की कई प्रमुख पहलुओं का उल्लेख करते हुए उनके शासन की तारीफ की. इनमें कारोबार में सुगमता का भी जिक्र था जिसके बारे में उन्होंने कहा कि विश्व बैंक ने इसे मान्यता दी थी.  उपराष्ट्रपति ने यह स्पष्ट कर दिया था कि उनकी टिप्पणियों को मोदी नीत सरकार को अच्छे अंक दिए जाने की तरह नहीं देखा जाना चाहिए. 



लोकसभा चुनावों से ठीक पहले की गई इन टिप्पणियों में उपराष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस को भंग करने की जरूरत के बारे में बोला था.


'मैं राजनीति में नहीं हूं और राजनीति पर बोलना भी नहीं चाहता हूं' 
नायडू ने आरबीआई प्रोत्साहित इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंटल रिसर्च के दीक्षांत समारोह में कहा कि यह महात्मा गांधी की राजनीतिक सलाह थी. साथ ही उन्होंने कहा कि वह इस पर और बात नहीं करना चाहते क्योंकि वह अब राजनीति में सक्रिय नहीं हैं. 


उन्होंने कहा, 'महात्मा गांधी का दृष्टिकोण इस तरह का था. स्वतंत्रता के बाद उन्होंने दो सलाह दी, एक राजनीतिक थी, मैं उस पर ज्यादा बात नहीं करना चाहता. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को भंग कर दो. यह उनकी पहली सलाह थी.’


नायडू ने कहा, 'कांग्रेस स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले विभिन्न वर्ग के लोगों के साथ आने का मंच थी. उन्होंने (गांधी ने) कहा कि स्वतंत्रता मिल गई है. इसलिए इसे (कांग्रेस) भंग कर दें और अपनी खुद की पार्टियां शुरू करें. यह आज हमारे लिए मुद्दा नहीं है और इसके अलावा मैं राजनीति में नहीं हूं और राजनीति पर बोलना भी नहीं चाहता हूं.' उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता की दूसरी सलाह ग्रामीण विकास पर ध्यान केंद्रित करने की थी.