जयपुर: भारतीय सेना ने राजस्थान की रेतीली धरती पर एयर कैवलरी की अवधारणा का परीक्षण करते हुये युद्धाभ्यास किया. अमेरिकी सेना ने वियतनाम युद्ध के दौरान दुश्मन की जमीनी सेना के ठिकाने की पहचान करने और उसपर हमला करने के लिये इसी अवधारणा का इस्तेमाल किया था. अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिये सेना ने जमीन पर टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों के समन्वय के साथ हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल दुश्मन के खिलाफ कार्रवाई के लिये की.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

परीक्षण का मकसद दुश्मन के खिलाफ दोहरी आक्रामकता से प्रहार करना
भारतीय सेना ने भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर यह अभ्यास किया जिसमें लड़ाकू हेलिकॉप्टरों को हासिल कर अपनी हवाई युद्ध क्षमता को मजबूत करना है. भारतीय सेना के लिये यह एक नई अवधारणा है और इसका मकसद जमीन पर टैंकों के साथ हवाई समन्वय में दुश्मन के खिलाफ दोहरी आक्रामकता से प्रहार करना है.


सेना ने कर लिया 30 दिनों तक जंग लड़ने का इंतजाम, 15000 करोड़ से तैयार होगा हथियार-गोलाबारूद


युद्धाभ्यास ‘विजय प्रहार’ के दौरान परीक्षण
रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष ओझा ने बताया, ‘‘हाल में महाजन फायरिंग रेंज में हुये युद्धाभ्यास ‘विजय प्रहार’ के दौरान दक्षिण पश्चिम कमान ने ‘एयर कैवलरी’ की परियोजना का परीक्षण किया.’’ इस अवधारणा को विस्तृत बातचीत के बाद लागू किया गया था.



लड़ाकू हेलिकॉप्टर टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों का समन्वय
सामान्य युद्ध परिस्थितियों में सेना द्वारा युद्धक हेलिकॉप्टरों को जरूरत के आधार पर बुलाया जाता है जब जमीन पर बल किसी वजह से दुश्मन पर काबू नहीं कर पाता है. ‘एयर कैवलरी’ अवधारणा के तहत लड़ाकू हेलिकॉप्टर टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों के साथ पूरी तरह समन्वय में साथ काम करते हैं.