Bharat Biotech की Covaxine लगने के बाद वॉलंटियर की भोपाल में मौत, कंपनी ने कही ये बात
कोरोना वैक्सीन के ट्रायल में शामिल रहे एक वॉलंटियर की टीका लगवाने के 10 दिन बाद मौत हो गई है. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि मौत की वजह शायद जहर खाना हो सकता है. लेकिन असल सच्चाई विसरा रिपोर्ट के बाद बाहर आएगी.
भोपाल: देश में कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) अभियान शुरू होने से पहले ही एक विवाद शुरू हो गया है. दरअसल भारत बायोटेक (Bharat Biotech) का कोरोना वैक्सीन का टीका लगवा चुके एक वॉलंटियर की 10 दिनों बाद संदिग्ध हालात में मौत हो गई है. उसके परिवार वालों का दावा है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट की वजह से वॉलंटियर की जान गई.
12 दिसंबर को लगवाया था वैक्सीन का टीका
भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के कुलपति डॉ. राजेश कपूर ने कहा कि 42 साल के दीपक मरावी ने 12 दिसंबर, 2020 को उनके कॉलेज में आयोजित कोवैक्सीन (Covaxine) टीके के परीक्षण में हिस्सा लिया था. उन्होंने दावा किया कि दीपक मरावी (Deepak Marawi) इस परीक्षण में स्वेच्छा से शामिल हुआ था. परीक्षण में भाग लेने से पहले उसकी सहमति ली गई थी. कोविड प्रोटोकॉल के तहत परीक्षण के बाद उसे 30 मिनट तक निगरानी में रखा गया और साथ ही आठ दिनों तक उसके स्वास्थ्य पर नजर रखी गई.
डॉक्टर को जहर से मौत का शक
मध्य प्रदेश मेडिको लीगल इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. अशोक शर्मा ने बताया कि इंजेक्शन लगवाने के करीब 10 दिनों बाद 21 दिसंबर को दीपक मरावी (Deepak Marawi) की मौत हुई. उसके शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर को शक है कि शायद जहर खाने से उसकी मौत हुई है. लेकिन मौत का असली कारण उसके शव की विसरा रिपोर्ट सामने आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा. डॉ. कपूर ने कहा कि मरावी की मौत के बाद घटना के बारे में भारत के औषधि महानियंत्रक और वैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटेक (Bharat Biotech) को सूचित किया किया गया.
घर लौटने पर असहज महसूस कर रहा था मरावी
मृतक मरावी (Deepak Marawi) के परिवार वालों का कहना है कि वह मजदूरी करता था. जब वह 12 दिसंबर को वैक्सीन लगवाने के बाद वापस घर लौटा तो असहज महसूस कर था. उसने 17 दिसंबर को कंधे में दर्द की शिकायत की और उसके दो दिन बाद उसके मुंह से झाग भी निकला. लेकिन उसने एक-दो दिन में ठीक होने की बात कहते हुए डॉक्टर को दिखाने से मना कर दिया. परिवार वालों का कहना है कि 21 दिसंबर को उसकी हालत अचानक बिगड़ गई और अस्पताल ले जाने के दौरान उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.
भोपाल की सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा ने दावा किया कि क्लीनिकल परीक्षण में भाग लेने के लिए न तो मरावी की सहमति ली गई और न ही उसे इस अभ्यास में शामिल होने का कोई प्रमाण दिया गया. हालांकि अस्पताल ने इस आरोप से इनकार किया है.
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मरावी की मौत का वैक्सीन से कोई संबंध नहीं- भारत बायोटेक
वहीं वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने अपने बयान में कहा कि वॉलंटियर की मौत डोज देने के 10 दिन बाद हुई. प्रारंभिक जांच से लग रहा है कि मरावी की मृत्यु का डोज से कोई संबंध नहीं है. कंपनी की सहानुभूति मृतक के परिवार के साथ है. भारत बायोटेक ने कहा कि कंपनी यह नहीं बता सकती कि वॉलंटियर को वैक्सीन दी गई थी या प्लेसिबो, क्योंकि स्टडी का अभी खुलासा नहीं हुआ है.
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