नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) के मद्देनजर पूरे देश में लॉकडाउन जारी है. ऐसे में गरीब और बेघर लोगों को परेशानी ना हो इसके लिए स्वंयसेवक, पुलिस और अन्य संस्था से जुड़े लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं. लेकिन लोगों की मदद करने सड़कों पर उतरे स्वयंसेवकों को जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अब आपके मन में ये सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर किस प्रकार की परेशानियों का सामना स्वयंसेवकों को करना पड़ रहा है. तो आइये इन दृश्यों पर गौर करें.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दृश्य 1- फरीदाबाद की में सड़क पर एक कार रुकती है. कार में लोगों की मदद करने वाले व्हाट्स ऐप ग्रुप 'खुशी एक अहसास' के अजय चावला पैकेट लेकर उतरते हैं, सड़क पर बच्चे को पैकेट देते हैं ,चले जाते हैं. थोड़ी आगे रुक कर देखते हैं तो पता लगता है एक आदमी आकर वो पैकेट लेता है और बच्चा वहीं बैठा रहता है. फिर अपने काम पर लग जाया है.


दृश्य -2 वढोदरा गुजरात के जयेश मिस्त्री फोन आने पर खाना लेकर पहुंचते हैं तो देखते हैं कि दूसरा वॉलंटियर ग्रुप पहले ही पहुंच गया था. यानी जिसने फोन किया उसके पास दो-दो वालंटियर ग्रुप राहत लेकर पहुंच गए.


दृश्य -3 परासिया एमपी के रिंकू रितेश चौरसिया के पास अजनबियों का फोन आया कि हम आपके साथ आकर खाना बांटना चाहते हैं, कोरोना समय में किसी अजनबी का बैकग्राउंड अगर पता न हो ,कहां से आया पता न हो तो उससे मिलना भी रिस्की हो सकता है इसलिए रिंकू ने मना कर दिया.


इन समस्याओं से निपटने का हल विपिन त्रिपाठी बता रहे हैं. विपिन त्रिपाठी ने कॉलेज टिप्स डॉट इन (collegetips.in) नाम का स्टार्ट अप बनाया है जो किसी भी शहर में वॉलंटियर्स उपलब्ध कराने में मदद करता है. ऐसे वॉलंटियर्स का बैकग्राउंड पहले से पता रहता है, उनको प्रशासन या बाकी स्वयंसेवियों को उपलब्ध कराने का काम करते हैं.


विपिन त्रिपाठी बताते हैं कि CT Care नाम से हमने ये स्टार्ट अप शुरू किया है. इसमें हम कॉलेज के ऐसे स्टूडेंट्स शामिल करते हैं जो वॉलंटियर करना चाहते हैं. ये वॉलंटियर्स प्रशासन और एनजीओ के साथ मिलकर काम करते हैं. ये इस बात का ध्यान रखते हैं कि राहत पहुंचाने वाले लोग एनजीओ की एरिया वाइज लिस्ट बने, तमाम राहत देने वाले लोगों ग्रुप्स के साथ ऐसा कॉर्डिनेशन हो कि एक बार जिस जगह राहत पहुंच गई वहां दोबारा न जाएं, वहां तभी जाएं जब दूसरी बार की जरूरत हो.


ये भी पढ़ें:- PM मोदी के संबोधन ने बनाया नया रिकॉर्ड, इतने करोड़ लोगों ने देखा लाइव प्रसारण


ये स्वयंसेवक सिर्फ खाना बांटने में ही नहीं बल्कि पशु पक्षियों की राहत के लिए, सोशल मीडिया में पर जरूरी मैसेज आदान प्रदान के लिए, फेक न्यूज रोकने के लिए, हर तरह के डोनेशन के लिए पुख्ता रणनीति के साथ काम करते हैं. इससे होता ये है कि बार आर एक ही एरिया या एक ही तरह के लोग राहत का दुरुपयोग नहीं रख पाते और बाकी जरूरतमंदों तक भी राहत पहुंचती है जहां अब तक नहीं पहुंची है. दिल्ली, मुंबई, भोपाल, इंदौर, पुणे में 11,000 स्टूडेंट्स ने अब तक कॉलेज टिप्स में इनरोल कर लिया है और इनमें से बहुत सारे कोरोना की लड़ाई में काम पर लगे हैं.


जानकार बताते हैं कि मौजूदा कोरोना से निपटने में ये बात सामने आई कि जिस तरह प्रशासनिक ढांचा की चेन में  जैसे कलेक्टरेट, पुलिस, मेडिकल संस्थान एक साथ मिल कर काम कर रहे हैं. इससे सही रिजल्ट मिल रहा है, ऐसे में पब्लिक की तरफ से तमाम राहत कार्य भी इंटीग्रेटेड होकर काम करने से कोरोना पीड़ित लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने में या राहत पहुंचाने में मदद कर सकता है. लिहाजा ऐसे स्टार्ट अप मदद कर सकते हैं.


LIVE TV