Waqf Board Bill: वक्फ बिल को लेकर संसद में गुरुवार को जमकर बवाल मचा. केंद्र सरकार जहां इसे मुस्लिमों के हित में बता रही है, वहीं विपक्ष इसे अल्पसंख्यकों के लिए नुकसानदेह कह रही. संसद में बवाल बढ़ने पर सरकार ने इस बिल को जेपीसी के पास भेजने का फैसला किया है. इससे पहले केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने इस मामले पर सरकार का रुख स्पष्ट करते हुए 1954 से लेकर 2013 तक का जिक्र करते हुए कांग्रेस को जमकर सुनाया.


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रीजीजू ने वक्फ संशोधन विधेयक से जुड़े विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए गुरुवार को लोकसभा में कहा कि इस विधेयक के माध्यम से न किसी समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप किया जा रहा है, ना ही संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन किया गया है. 


उन्होंने कहा कि यह विधेयक मुस्लिम महिलाओं, बच्चों और उस समुदाय के पिछड़े लोगों को न्याय दिलाने तथा वक्फ संस्थाओं को दक्ष बनाने, न्यायाधिकरणों में लंबित मामलों को खत्म करने, वक्फ संपत्तियों से आय बढ़ाने और खामियों को दूर करने के लिए लाया गया है. इसे धर्म के नजरिये से नहीं देखना चाहिए. वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विपक्षी सदस्यों के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन पहली बार सदन में पेश नहीं किया गया है. 


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आजादी के बाद सबसे पहले 1954 में यह विधेयक लाया गया. इसके बाद कई संशोधन किए गए. रीजीजू ने कहा कि व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श के बाद यह संशोधन विधेयक लाया गया है जिससे मुस्लिम महिलाओं और बच्चों का कल्याण होगा. उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय बनी सच्चर समिति और एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का जिक्र किया और कहा कि इनकी सिफारिशों के आधार पर यह विधेयक लाया गया. 


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उन्होंने कहा कि 1995 का वक्फ संशोधन अधिनियम सक्षम साबित नहीं हुआ और इसका उद्देश्य भी पूरा नहीं हुआ. उनके मुताबिक, वक्फ अधिनियम से संबंधित गलतियों और खामियों को दूर करने के लिए यह संशोधन विधेयक लाया गया है. रीजीजू ने कांग्रेस का उल्लेख करते हुए कहा कि आप लोगों ने जो भी कदम उठाया, जो करना चाहा वो नहीं कर पाए, उसी को करने के लिए यह विधेयक लाया गया है...इस विधेयक का समर्थन करिए, करोड़ों लोगों की दुआ मिलेगी. उनका कहना था कि इतिहास में दर्ज होगा कि किसने समर्थन किया और किसने विरोध किया. 


अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने कहा कि करोड़ों गरीब मुसलमानों के बारे में सोचिएगा. रीजीजू ने कहा कि सच्चर समिति की रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों से 163 करोड़ रुपये की आमदनी होती है जिसे किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता. अगर सही से प्रबंधन हो तो सालाना 12 हजार करोड़ रुपये तक का राजस्व मिल सकता है. उन्होंने कहा कि सच्चर समिति ने वक्फ बोर्डों में अधिक लोगों के शामिल करने की बात की थी. 


मंत्री ने कहा कि सच्चर समिति की रिपोर्ट के अनुसार यह विधेयक लाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में बनी एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिश थी कि वक्फ अधनियिम पर पुनर्विचार करना चाहिए. रीजीजू ने कहा कि जो आप (कांग्रेस) नहीं कर पाए, वो हम कर रहे हैं.  उनके मुताबिक, इस विधेयक को लेकर व्यापक विचार-विमर्श किया गया है. उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड न्यायाधिकरण में मामले लंबित हो जाते हैं और इसे चुनौती नहीं दे सकते. 


मंत्री के अनुसार, 2013 के कानून के तहत किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया जाता था और स्थिति यह थी कि एक पूरे गांव को ही वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया. उन्होंने कहा कि इसको भी दुरुस्त करने के लिए विधेयक जरूरी है. रीजीजू ने कहा कि ऐसा तरीका बनाया गया था कि न्यायाधिकरण के फैसले की समीक्षा नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि संविधान से ऊपर कोई कानून नहीं हो सकता. रीजीजू के अनुसार, इस विधेयक में मुसलमान महिलाओं और बच्चों का कल्याण होगा तथा उन्हें न्याय मिलेगा. उन्होंने कहा कि यह सरकार का दायित्व है कि न्याय दिलाने में कोई कमी है तो उसे दूर करना चाहिए. रीजीजू ने कहा कि कांग्रेस और दूसरी पार्टियों ने गलती की है. अब सुधारने का समय है. इसका विरोध नहीं करें. 


मंत्री ने सदन को बताया कि केंद्रीय वक्फ परिषद, वक्फ बोर्डों में मुस्लिम महिलाओं, मुस्लिम समुदाय के ओबीसी वर्ग के लोगों, बोहरा समुदाय को शामिल किया गया है. रीजीजू ने कहा कि वक्फ संपत्तियों से जो भी आय होगी वो मुसलमान समुदाय पर खर्च होगी और उसमें भी मुस्लिम महिला एवं मुस्लिम ओबीसी पर विशेष रूप से खर्च किया जाएगा.  उनका कहना था कि एक गैर मुस्लिम (रीजीजू) को मुसलमानों के कल्याण के लिए विधेयक रखने का मौका मिल रहा है, यह सौभाग्य की बात है. यह सदियों तक याद रखा जाएगा कि किसी सरकार या मंत्री को यह मौका मिला था.