DNA with Sudhir Chaudhary: आगरा के ताजमहल (Taj Mahal) को भगवान शिव के प्राचीन मन्दिर को तोड़ कर बनाया गया था? जिसे आप ताजमहल के नाम से जानते हैं, क्या वो तेजोमहल या तेजोमहालय है? दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से ताजमहल के मुख्य हिस्से में स्थित उन 22 कमरों को खोलने की मांग की गई है, जहां प्राचीन शिवलिंग होने का दावा है. इस याचिका के मुताबिक ये कमरे अंग्रेजों के जमाने से बन्द हैं और इनमें हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियां, प्राचीन शिवलिंग और शिलालेख मौजूद हो सकते हैं, जिनका जिक्र इतिहास की किताबों और दूसरे दस्तावेजों में भी मिलता है. इसी याचिका में ये भी लिखा है कि यमुना किनारे जिस जगह अभी ताजमहल मौजूद है, वहां वर्ष 1212 में राजा परमर्दि-देव ने भगवान शिव का मन्दिर बनवाया था, जिसे तेजोमहालय या तेजोमहल कहा जाता था.


मुमताज ने की थी ऐसी मांग


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हालांकि Archaeological Survey of India के मुताबिक ताजमहल का निर्माण पांचवें मुगल बादशाह शाहजहां के शासनकाल में हुआ था. ये बात वर्ष 1631 की है, जब शाहजहां की पत्नी मुमताज महल का निधन हुआ था. ऐसा माना जाता है कि अपने अंतिम क्षणों में मुमताज महल ने शाहजहां से ये कहा था कि उन्होंने सपने में एक ऐसा सुंदर महल और बाग देखा है, जैसा इस दुनिया में कहीं नहीं है और वो चाहती हैं कि शाहजहां उनकी याद में एक ऐसे ही महल का निर्माण कराएं.


ताजमहल को लेकर विवाद क्यों?


हालांकि, ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि 17 जून 1631 को उनके निधन के बाद उनके शरीर को आगरा के ताजमहल में नहीं बल्कि बुरहानपुर में तापी नदी के किनारे एक बाग में दफनाया गया था और इसीलिए ताजमहल के निर्माण और उसके स्थान को लेकर हमेशा से विवाद रहा है.


विदेशी इतिहासकारों ने किया था जिक्र


कुछ इतिहासकार ये भी मानते हैं कि यमुना किनारे जिस जगह ताजमहल का निर्माण कराया गया, वहां एक वैदिक मन्दिर हुआ करता था, जिसका निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था. अमेरिका के मशहूर इतिहासकार Stephen Knapp (स्टीफन नैप) ने खुद अपने लेखों में इसका जिक्र किया है. इसके अलावा इस बात के भी साक्ष्य मौजूद हैं कि जिस जगह पर अभी ताजमहल है, वहां पर राजा मान सिंह का महल हुआ करता था, जिसे शाहजहां ने राजा मान सिंह के पोते राजा जय सिंह से खरीद लिया था और इस बात का जिक्र बादशाहनामा पुस्तक में भी किया गया है.


बादशाहनामा वही पुस्तक है, जो खुद मुगलों के दरबारी इतिहासकार अब्दुल हमीद लाहौरी ने लिखी थी. यानी ये बात तो स्पष्ट है कि जिस जगह पर अभी ताजमहल है, वहां पहले भी एक महल हुआ करता था. हालांकि इस बात के साक्ष्य नहीं मिलते कि शाहजहां ने इस इमारत को पूरी तरह नष्ट किया था या नहीं?


दस्तावेजों में हेरफेर?


एक और बात ताजमहल के मुख्य हिस्से में जो 22 कमरे मौजूद हैं, उनके आकार और बनावट को लेकर ये कहा जाता है कि ये कमरे पुरानी इमारत का ही हिस्सा हो सकते हैं. दूसरी बात ताजमहल का निर्माण 1653 में पूरा हुआ था. जबकि औरंगजेब ने 1652 में अपने पिता शाहजहां को एक खत लिखा था, जिसमें वो ये बता रहे थे कि ताजमहल की इमारत में कहीं जगह दरार आ गई हैं और अगर इसकी मरम्म्त नहीं हुई तो ये इमारत गिर सकती है.


ताजमहल पर हिंदू आकृतियां


इसलिए ये सवाल भी उठता है कि जब ताजमहल 1953 में बनकर तैयार हुआ तो औरंगजेब इससे एक साल पहले इसके जर्जर होने की बात क्यों कह रहे थे? इससे इस बात की सम्भावना बढ़ जाती है कि ताजमहल किसी पुरानी इमारत पर ही बनाया गया हो? वैसे इसे लेकर अधिकारिक रूप से कोई जानकारी मौजूद नहीं है कि इन कमरों पर कब ताला लगाया था और आखिरी बार इन्हें कब खोला गया. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि वर्ष 1934 में निरीक्षण के लिए ब्रिटिश सरकार ने ये ताले खुलवाए थे लेकिन बाद में इन्हें फिर कभी नहीं खोला गया. हालांकि आज जो हम ताजमहल की तस्वीरें हम देखते हैं उसके मुताबिक ताजमहल का जो मुख्य हिस्सा है और जो बाहर की दीवारें हैं, उन पर कई तरह की आकृतियां, चित्रकारी और फूल अंकित किए गए हैं. इनमें कमल का फूल है, त्रिशूल है, नारियल है और आम के पेड़ की पत्तियां भी इस पर बनी हुई हैं, जो हिन्दू वास्तुकला को दर्शाती हैं.


ताजमहल से पहले वहां क्या था?


इसके अलावा ताजमहल के गुंबद पर जो शिखर है, उसमें नारियल, कमल का फूल और कलश की रूपरेखा साफ दिखती है, जिससे ताजमहल के मूल निर्माण के बारे में भी पता चलता है. ये बात सही है कि शाहजहां ने मुमताज की याद में 1631 से 1653 के बीच ताजमहल का निर्माण कराया. लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि जिस जगह पर ताजमहल बनाया गया, वहां पहले से एक ढांचा मौजूद था. समय-समय पर इतिहासकारों द्वारा ये सम्भावना जताई गई है कि शाहजहां ने यमुना किनारे जमीन खरीदी और फिर वहां मौजूद महल में कुछ बदलाव करके इसे एक मकबरे में तब्दील कर दिया. हालांकि कुछ इतिहासकार इस बात को सही नहीं मानते. सच क्या है, ये जानने के लिए आज हमारी टीम ताजमहल गई और इस दौरान हमने इतिहास के कई पन्नों को खंगाला.


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