Water Crisis: भारत में इन दिनों बेतहाशा गर्मी से हर कोई परेशान है. गर्मी में पानी की कमी की समस्या ने तो जिंदगी बेहाल कर रखा है. दिल्ली हो या बेंगलुरू हर तरफ पानी के लिए हाहाकार मचा है. नौबत यहां तक आ पहुंची कि लोग टैंकर के पानी के लिए लंबी-लंबी कतारें लग रहे है. भारत का आईटी हब कहा जाना वाला बेंगलुरू शहर इन दिनों हर रोज बीस करोड़ लीटर पानी की कमी झेल रहा है. मुंबई और चेन्नई जैसे शहर भी पानी के संकट से जूझ रहे हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हर साल पानी की कमी से 2 लाख लोगों की मौत
भारत में पानी की बर्बादी पर अगर तुरंत कदम नहीं उठाए गए तो हालात नियंत्रण के बाहर हो सकते हैं. नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इस वक्त करीब 60 करोड़ भारतीय जल संकट का सामना कर रहे हैं. हर साल करीब 2 लाख लोगों की मौत पानी की कमी की वजह से हो रही है. अभी हालात और बिगड़ने की आशंका है क्योंकि 2050 तक पानी की मांग इसकी आपूर्ति से ज्यादा हो जाएगा.


 4,84,20,000 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी हो जाता है बर्बाद
डब्ल्यूएमओ की एक रिपोर्ट ‘2021 स्टेट ऑफ क्लाइमेट सर्विसेज के अनुसार भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता वार्षिक प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता लगातार घट रही है. आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अनुसार प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता वर्ष 2031 में और घटकर 1,367 क्यूबिक मीटर हो जाएगी. सेंटर फॉर साइंस एंड इंवायरनमेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार पानी की बर्बादी का एक अन्य अनुमान बताता है कि हर दिन 4,84,20,000 करोड़ क्यूबिक मीटर यानी 48.42 अरब एक लीटर पानी की बोतलें बर्बाद हो जाती हैं.


भारत के जलाशय सूख रहे हैं
केंद्रीय जल आयोग की हालिया रिपोर्ट में कुछ ऐसे आंकड़े सामने आए हैं, जो सभी की चिंताएं बढ़ा सकते हैं. जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार देश के 150 मुख्य जलाशयों में पानी घटकर महज 21 प्रतिशत रह गया है. इन जलाशयों में उपलब्ध भंडारण 37.662 बीसीएम है, जो उनकी कुल क्षमता का 21 प्रतिशत है. कुल मिलाकर, 150 जलाशयों में उपलब्ध लाइव स्टोरेज 257.812 बीसीएम की अनुमानित कुल क्षमता के मुकाबले 54.310 बीसीएम है,जलाशयों में मौजूदा भंडारण बीते दस वर्षों के औसत भंडारण से भी कम है. 


2025 तक जानें क्या होगा हाल
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार , पिछली शताब्दी में पानी का उपयोग जनसंख्या वृद्धि की दर से दोगुने से भी अधिक बढ़ गया है. 2025 तक अनुमान है कि 1.8 बिलियन लोग पानी की कमी से ग्रस्त क्षेत्रों में रहेंगे, दुनिया की दो-तिहाई आबादी उपयोग, विकास और जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप पानी की कमी वाले क्षेत्रों में रहती है.


दिल्ली की सबसे खराब हालत
जल शक्ति मंतत्रालय द्वारा पिछले वर्ष नवंबर में जारी भूजल रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी भूजल स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है. सबसे अधिक खराब स्थिति नई दिल्ली की है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक विश्व के 200 शहर डे जीरो की स्थिति में पहुंच सकते हैं, जिसमें शीर्ष के 10 में भारत के चार शहर दिल्ली, जयपुर, चेन्नई और हैदराबाद शामिल है. डे जीरो का अर्थ है कि शहर में उपलब्ध पानी के सभी स्त्रोत समाप्त हो जाना है.


पानी की बर्बादी रोके
हर भारतीयों को पानी रोकने की कोशिश करनी चाहिए. औसत भारतीय अपनी दैनिक पानी की ज़रूरत का 30 प्रतिशत बर्बाद कर देते हैं. यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, प्रति मिनट 10 बूंदें टपकने वाला टपकने वाला नल प्रतिदिन 3.6 लीटर पानी बर्बाद करता है साथ ही, शौचालय के हर फ्लश में लगभग छह लीटर पानी खर्च होता है. सीएसई की एक रिपोर्ट बताती है कि हर दिन 4,84,20,000 करोड़ क्यूबिक मीटर यानी एक लीटर की 48.42 अरब बोतल पानी बर्बाद हो जाता है, जबकि इस देश में करीब 16 करोड़ लोगों को साफ और ताजा पानी नहीं मिल पाता है.