C. V. Ananda Bose Vs Mamata Banerjee: पश्चिम बंगाल (West Bengal) के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने दावा किया है कि राज्य भारी वित्तीय संकट का सामना कर रहा है. जिसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) से आर्थिक स्थिति पर श्वेत पत्र लाने को कहा है. ममता सरकार में राज्य की आर्थिक स्थिति खराब होने का दावा करने वाले गवर्नर बोस ने अपनी बात दोहराते हुए कहा, 'पश्चिम बंगाल इस समय बहुत भारी वित्तीय संकट का सामना कर रहा है, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत मिली शक्तियों के तहत मुख्यमंत्री को श्वेत पत्र लाने को कहा गया है.'

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राज्यपाल की चिंता


राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने अपनी बात बढ़ाते हुए कहा, 'यह देखना बहुत परेशान करने वाला, चौंकाने वाला और चकनाचूर करने वाला है कि पश्चिम बंगाल वित्तीय संकट में है.'


राज्यपाल ने उन्हें मिले कानूनी अधिकारों के इस्तेमाल करने की भी बात कही. आर्थिक संकट पर चिंता जताने के अलावा राज्यपाल बोस ने कहा है कि ममता बनर्जी अभी एक मुख्यमंत्री के रूप में इतनी बड़ी नहीं हुई हैं कि उन्हें डरा सकें. मुख्यमंत्री, राज्यपाल से अलग हैं, निश्चित रूप से इसका ख्याल रखने के लिए संवैधानिक प्रावधान हैं. मुख्यमंत्री जी को झूठ के जरिये उनके चरित्र हनन करने का कोई अधिकार नहीं है. किसी को भी इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है.


गौरतलब है कि ममता बनर्जी ने महिलाओं के शिकायत का जिक्र करते हुए राजभवन पर गंभीर आरोप लगाए थे.


ममता के खिलाफ दायर करेंगे मानहानि का मुकदमा


CM ममता बनर्जी के इस बयान के बाद राज्यपाल की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई और उन्होंने कहा, 'मैं ममता बनर्जी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करूंगा, जो एक मुख्यमंत्री हैं.'



क्या 356 (1) की संवैधानिक शक्ति का इस्तेमाल करेंगे राज्यपाल बोस?


गौरतलब है कि बंगाल के राज्यपाल बोस लगातार राज्य की कानून व्यवस्था और अन्य विषयों को लेकर नियम कानून और संवैधानिक शक्तियों की बात कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर ये तकरार जल्द खत्म नहीं हुई और हालात नहीं सुधरे तो क्या संकट की स्थिति में कहीं वो संविधान के अनुच्छेद 356 (1) के तहत राज्य में राष्ट्रपति शासन के लिए सिफारिश का संकेत तो नहीं दे रहे हैं.


बंगाल में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच टशन का ये कौन सा चरण?


पश्चिम बंगाल (West Bengal) में राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच अदावत कोई नई बात नहीं है. खासकर बीते 10 सालों में कई बार ऐसी स्थिति आई जब राज्यपाल और सरकार के बीच तनातनी दिखाई दी. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने कई बार आरोप लगाए कि राज्यपाल केंद्र के एजेंट की तरह व्यवहार कर रहे हैं. वो जनता की चुनी हुई सरकार को काम नहीं करने दे रहे. 


जून, 2024 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बीच फिर एक बाद से नया विवाद खड़ा हो गया था. दोनों के बीच विवाद नवनिर्वाचित दो विधायकों का शपथ ग्रहण समारोह न होने की वजह से शुरू हुआ था. दोनों विधायकों को जीते हुए कई दिन हो गए थे लेकिन शपथ ग्रहण समारोह नहीं हो पाया था.


इसके पहले जब राज्यपाल बोस ने ममता बनर्जी के एजुकेशन मिनिस्टर बी बसु को बर्खास्त करने की सिफारिश कर दी थी. तब भी बवाल मचा था. बोस से पहले बंगाल के राज्यपाल और ममता बनर्जी सरकार के बीच 36 का आंकड़ा था.


ममता के राज में जल रहा है बंगाल: BJP


4 जून को लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद काफी समय तक बंगाल में हिंसा का दौर चला. तब बीजेपी ने ममता राज को जंगलराज बताते हुए प्रदर्शन किया था.