गोली चली, बम चले, बूथ लूटे गए, बंगाल में चुनावी हिंसा और बमबारी की कहानी
उत्तर 24 परगना, मुर्शिदाबाद, मालदा, कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, नंदीग्राम, नदिया और पूर्व बर्धमान, पश्चिम बंगाल के ये वो 8 इलाके हैं जो पंचायत चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित रहे. सबसे ज्यादा हिंसा इन्हीं जगहों पर हुईं.
West Bengal panchayat election 2023: पश्चिम बंगाल का पंचायत चुनाव खूनी चुनाव में बदल गया है. यहां लोग एक दूसरे की जान के दुश्मन बन गए हैं और पुलिस बेबस दिखाई दे रही है. बंगाल में आज पंचायत चुनाव के लिए वोटिंग हुई. इस दौरान जगह-जगह हिंसा हुई. गोली चली, बम चले, बूथ लूटे गए और जानें भी गईं. ज्यादातर जगहों पर हिंसा का आरोप ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के कार्यकर्ताओं पर लगा है. बीजेपी और कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल, ममता सरकार और वहां की पुलिस पर हिंसा फैलाने का आरोप लगा रहे हैं लेकिन टीएमसी सुबह से शाम तक ज्यादा कुछ बोलती नहीं दिखी.
उत्तर 24 परगना, मुर्शिदाबाद, मालदा, कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, नंदीग्राम, नदिया और पूर्व बर्धमान, पश्चिम बंगाल के ये वो 8 इलाके हैं जो पंचायत चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित रहे. सबसे ज्यादा हिंसा इन्हीं जगहों पर हुईं. आज की हिंसा में कुल 31 लोगों की मौत की खबर है. सभी लोग जिनकी हत्या हुई, वो किसी ना किसी पार्टी से जुड़े थे.
मतदान के बीच मारपीट और गोलीबारी
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना में एक शख्स ने पिस्टल से विरोधियों पर फायरिंग की. इसके बाद कुछ लोग एक आदमी को पीटने लगे. इस दौरान कुछ लोग पत्थर फेंकने लगे. बताया जा रहा है कि बैरकपुर के मोहनगर ग्राम पंचायत में निर्दलीय उम्मीदवार को निशाना बनाया गया. 3 राउंड गोलियां चलाई गई.
किन पार्टियों के कितने कार्यकर्ताओं की मौत?
सबसे ज्यादा 10 कार्यकर्ता ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के मारे गए हैं. सीपीआईएम के 2 कार्यकर्ताओं की हत्या हुई. वहीं बीजेपी और कांग्रेस के एक-एक कार्यकर्ता की मौत हुई. टीएमसी की बात करें तो मुर्शिदाबाद में 2, मालदा में 2, दक्षिण 24 परगना में 2 टीएमसी कार्यकर्ताओं की मौत हुई.
वहीं, पूर्वी बर्धमान, कूचबिहार, उत्तर दिनाजपुर और नदिया में एक-एक टीएमसी कार्यकर्ता की मौत की खबर है. सुवेंदु अधिकारी का दावा है कि 20 हजार से ज्यादा बूथ लूटे गए और 50 लाख से ज्यादा मतदाताओं को वोट डालने से रोका गया. उन्होंने हिंसा की CBI जांच की मांग की.
सियासी बयानबाजी जारी
बंगाल में रही हिंसा को लेकर बीजेपी ने ममता सरकार पर जमकर निशाना साधा है. बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि 80 के दशक में बिहार का जो हाल था, वही बंगाल में इस वक्त हो रहा है.
बंगाल में पंचायत चुनाव में हो रही हिंसा को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं. कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हिंसा का कोई स्थान नहीं है बंगाल में जो तरीके से चुनाव के दौरान हत्याएं हो रही हैं, वो निंदनीय हैं. सुरक्षा एजेंसियों पर सवाल खड़ा होता है और चुनाव आयोग जिस तरीके से निष्पक्ष चुनाव कराना चाहिए उस पर भी सवाल खड़ा होता है.
इस बीच बीजेपी खेमे से बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग भी उठ रही है. बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने ममता बनर्जी के बंगाल की तुलना लालू यादव के दौर के बिहार से की. वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ममता बनर्जी से पूछा कि बंगाल में और कितने लोग मारे जाएंगे और क्यों मारे जाएंगे?
ममता राज में भी राजनीतिक हत्याओं का दौर अनवरत जारी है.
- 2011 में ममता बनर्जी पहली बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी थीं.
- उनके सत्ता संभालने के दो साल के भीतर ही 2013 में सियासी वजहों से 26 हत्याएं दर्ज की गई थीं.
- 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान पॉलिटिकल मर्डर के 15 मामले सामने आए थे.
- गृहमंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में 12 हत्याएं हुईं थी.
- 2019 में जून से दिसंबर के बीच सियासी हिंसा में 61 लोगों की मौत हुई थी.
- इसमें TMC के 35 और BJP के 20 कार्यकर्ताओं की हत्या हुई थी.
- इस रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में राजनीतिक हिंसा की 663 वारदातें हुईं थीं.
- इन वारदातों में BJP के 27 और TMC के 25 कार्यकर्ता मारे गए थे.
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल की 73,887 ग्राम पंचायत सीटों में से 64,874 पर मतदान हुए हैं. हालात काबू करने के लिए लिए प्रयास तो हो रहे हैं, लेकिन हिंसा भी थमने का नाम नहीं ले रही है. इस बीच कोलकाता में BSF के इंस्पेक्टर जनरल एस सी बुदाकोटी ने पश्चिम बंगाल के इलेक्शन कमिश्नर से मुलाकात की है.