What are Fantasy Games: फैंटेसी गेम्स का अवैध `माया`जाल, हर साल सरकारी खजाने को लग रहा साढ़े 3 लाख करोड़ का चूना
Zee News DNA: देश में Fantasy Games के नाम पर, सट्टा खिलाने वाली विदेशी कंपनियां चोरी छिपे घुस चुकी हैं. कई दूसरे देशों से चलने वाली सट्टा कंपनियां, फैंटेसी गेम्स खेलने वालों को अपनी वेबसाइट, या मोबाइल गेम्स के नाम पर सट्टेबाजी करवा रही हैं.
Fantasy Games 2022: DNA में अब हम एक ऐसी खबर लेकर आए हैं, जो सरकार की आंखें खोल देगी. सरकारी व्यवस्थाओं की नाक के नीचे, देश में सट्टे का एक ऐसा ऑनलाइन कारोबार चल रहा है, जिससे हर साल सरकारी खजाने को साढ़े 3 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है.
देश के रेल, शिक्षा और स्वास्थ्य बजट को जोड़ लें, तो भी ये साढ़े 3 लाख करोड़ रुपये से कम बैठता है. इतने की टैक्स चोरी रोकने के लिए अभी तक सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए हैं. दरअसल सच्चाई ये है कि उन्हें जानकारी ही नहीं है. आप भी ये जानना चाहते होंगे, कि ये टैक्स चोरी कहां हो रही है, और आखिर क्यों, सरकारी तंत्र को इसकी कानों कान खबर तक नहीं है.
क्या होते हैं Fantasy Games?
आपमें से कई लोग Fantasy Games खेलते होंगे. मतलब मोबाइल फोन के जरिए तरह-तरह के ऐसे गेम्स खेलते होंगे, जिसमें आप अपनी पसंदीदा टीमें बनाते होंगे, मैच में आपके चुने खिलाड़ियों के प्रदर्शन के आधार पर आपको पॉइंट्स दिए जाते होंगे, और इन्हीं पॉइंट्स के आधार पर आप जीतते या हारते होंगे.
लेकिन देश में Fantasy Games के नाम पर, सट्टा खिलाने वाली विदेशी कंपनियां चोरी छिपे घुस चुकी हैं. कई दूसरे देशों से चलने वाली सट्टा कंपनियां, फैंटेसी गेम्स खेलने वालों को अपनी वेबसाइट, या मोबाइल गेम्स के नाम पर सट्टेबाजी करवा रही हैं. हमारे देश में सट्टा खेलना या खिलवाना गैर कानूनी है. लेकिन बावजूद इसके, सरकार को इस नए तरह की सट्टेबाजी के बारे में खबर तक नहीं है.
लीगल नहीं होता हर फैंटेसी गेम
आपमें से बहुत से लोगों को वैध Fantasy Games और अवैध Fantasy Games के बारे में जानकारी नहीं होगी. आप यही समझते होंगे, कि किसी ऐप पर मौजूद किसी गेम को खेलना या उसमें पैसे लगाना ही Fantasy Game है, और ये लीगल है. लेकिन हम आपको उस महीन लकीर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आपको पता चल जाएगा कि हर फैंटेसी गेम लीगल नहीं होता. देश में कोई भी खेल वैध है या अवैध, ये दो पैमानों पर तय किया जाता है.
पहला है- GAME OF SKILL यानी ऐसा खेल जिसमें आपका टैलेंट दिखता हो. जैसे क्रिकेट की जानकारी से आप टीम बनाते हैं, फिर क्रिकेट आधारित Fantasy Game खेलते हैं. या फिर कोई भी ऐसा खेल जिसमें आपकी मेहनत लगती हो. उसे गेम ऑफ स्किल कहा जाता है.
दूसरा पैमाना है- GAME OF CHANCE यानी ऐसा खेल जिसमें आपका टैलेंट नहीं, बल्कि आपकी किस्मत खेलती है. यानी आपके हारने या जीतने के चांस 50-50 होते हैं, और उसमें जीत-हार, आपकी किस्मत पर टिकी हुई होती है. GAME OF SKILL को देश में वैध माना जाता है. और GAME OF CHANCE को देश में अवैध माना गया है.
यानी जिस खेल में आपको मेहनत करनी पड़ती है, वो खेल वैध है, अब चाहे उसमें आपने दिमाग लगाया हो, या फिर फिजिकल मेहनत की हो. ठीक इसी तरह से हर वो खेल अवैध है, जिसमें आपने कुछ नहीं किया, बस आपकी किस्मत पर आपकी जीत या हार तय हुई. मोबाइल फोन में फैंटेसी गेम्स खिलवाने वाले ऐप्स पर आप भी खेलते होंगे. इनमें से कुछ के नाम आपने भी सुने होंगे, जैसे DREAM11, A23, FAN-CLASH,PAYTM FIRST GAMES और MY11CIRCLE.
इस तरह के ऐप्स आपको जितने भी Fantasy Game खिलवाते हैं, उनको देश में GAME OF SKILL के नाम पर वैध माना गया है. उदाहरण के तौर पर अगर हम वैध Fantasy Games ऐप में क्रिकेट को ही ले लें. तो इसमें किसी भी मैच से पहले, आप मोबाइल गेम में अपनी एक टीम बनाते हैं. उस टीम में आप जो खिलाड़ी चुनते हैं, उसका सारा रिकॉर्ड आपको मालूम होता है, आपको पता होता है, कि वो खिलाड़ी फॉर्म में है या नहीं. इस जानकारी को आपका टैलेंट माना जाता है.
मैच में उतरने से पहले आप मोबाइल गेम के वॉलेट में कुछ रुपये डालते हैं, इन रुपयों की मदद से आप मोबाइल गेम खेलते हैं. अब अगर आपका चुना हुआ खिलाड़ी अच्छा परफॉर्म करता है, या आपकी बनाई टीम जीत जाती है. तो इस आधार पर आपको पॉइंट्स मिलते हैं. फिर इन पॉइंट्स के आधार पर आपकी जीत या हार तय होती है. जिसमें आपको रैंकिंग के आधार पर रुपये मिलते हैं.
Fantasy Game के इस फॉर्मैट को वैध माना गया है. वजह ये है कि जब आप अपनी समझ का इस्तेमाल टीम बनाने में करते हैं, तो इसे भारतीय कानून Game Of Skill कहता है. इस तरह से भारतीय Fantasy Games कंपनियां, आपको वैध तरीके से गेम खिलाती हैं. वैध Fantasy Games के नाम पर कुछ विदेशी कंपनियां, सट्टेबाजी का खेल खिलवा रही हैं. दिखने में ये मोबाइल गेम्स Fantasy Game की तरह ही लगते हैं. लेकिन ये कंपनियां ऑनलाइन जुए की बड़ी खिलाड़ी है.
सोशल मीडिया पर दिखते हैं विज्ञापन
अक्सर आपने देखा होगा कि किसी वेब पेज या सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर, आपको इस तरह के विज्ञापन नजर आते होंगे. देखने में ये किसी Fantasy Game प्लैटफॉर्म की तरह लगते हैं. लेकिन ये ऐप पूरी तरह से अवैध सट्टा खिलवाते हैं. इन ऐप्स के Fantasy Games का बिजनेस मॉडल अवैध तरीके से काम करता है. दुनियाभर में कई तरह की कंपनियां हैं, जो लोगों को सट्टेबाजी के जाल में फंसाती हैं. जब से भारत में फैंटेसी गेम्स का प्रचलन बढ़ा है, तभी से ये कंपनियां बैक डोर से लोगों को सट्टेबाजी के जाल में फंसा रही हैं. उदाहरण के तौर पर सट्टेबाजी खिलवाने वाली Fantasy Games कंपनियां, क्रिकेट, फुटबॉल जैसे खेल खिलवाने का लालच देती हैं.
जैसे ही आप इन कंपनियों के मोबाइल गेम एप पर जाते हैं, तो ये मैच खिलवाने के लिए आपसे टीम बनाने या प्लानिंग करने के लिए नहीं कहते. ये आपसे सीधे रुपये मांगते हैं. फिर आपसे लाइव चल रहे मैच की भविष्यवाणी करने के लिए कहते हैं. अगर आपका तुक्का सही साबित हुआ तो आप जीतते हैं, नहीं तो हार जाते हैं.
इस तरह के खेल में आपकी स्किल, टैलेंट या मेहनत नहीं लगती, बस आपकी किस्मत होती है. आप चांस लेते हैं, और अगर चांस सही साबित हुआ तो जीत, नहीं तो हार. इस तरह के खेल खिलावने वाले Fantasy Games को सरकार Game Of Chance मानती है. यही वजह है कि ये देश में अवैध है.
कैसे देश को लग रहा चूना
अब हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि कैसे ये विदेशी कंपनियां, आपको सट्टेबाजी के जाल में फंसाकर, देश को भी चूना लगा रही हैं. जितनी भी भारतीय कंपनियां आपको Fantasy Games खिलवाती हैं. वो अपनी कमाई में से सरकार को कम से कम 18 प्रतिशत GST देती है. ये टैक्स भारत सरकार के खाते में जाता है. लेकिन जो विदेशी कंपनियां Fantasy Games के नाम पर सट्टा खिलवा रही हैं, वो किसी भी तरह का टैक्स सरकार को नहीं देती है. ऐसी ज्यादातर कंपनियां,उन देशों से ऑपरेट करती हैं, जिन्हें टैक्स हेवन कहा जाता है. सट्टा खिलवाने वाली कंपनियों को मालूम है, कि भारत में सट्टेबाजी अवैध है. उनको ये भी मालूम है कि भारतीय कंपनियों के Fantasy Games में जीत की रकम से 30 प्रतिशत तक टैक्स कटता है. ये टैक्स जीतने वाले खिलाड़ी को ही देना होता है.
आपको भी होता है नुकसान
ऐसे में सट्टा खिलवाने वाली ये कंपनियां, खिलाड़ी से टैक्स ना देने का लालच भी देती है. वो ये कहती हैं कि उनके ऐप पर गेम खेलने में फायदा ये है, कि जीत की रकम से टैक्स नहीं देना पड़ता. इस लालच की वजह से देश के खजाने को और कुछ समय बाद आपको नुकसान होता है.
कंपनियां लगवा रहीं सट्टा
सट्टा खिलवाने वाली ऑनलाइन कंपनियां, जीत की रकम जब आपके बैंक अकाउंट में डालती हैं तो उस पर सरकार की नजर होती है. इनकम टैक्स आपसे इस कमाई का सोर्स पूछ सकती है. सोर्स अगर सट्टेबाजी हुई, तो मुमकिन है आप पर कानूनी हो. हमारे पास ऑनलाइन सट्टा खिलवाने वाली 24 कंपनियों की एक लिस्ट है. ये वही कंपनियां हैं, जो देश में Fantasy Games के नाम पर लोगों को सट्टा खेलने के लिए प्रेरित कर रही हैं. ये क्रिकेट, फुटबॉल और टेनिस जैसे खेल पर सट्टा लगवा रही हैं. ये सभी कंपनियां भारत में अवैध रूप से चोरी छिपे, ऑनलाइन सट्टेबाजी कर रही हैं. लोगों को सट्टे के दलदल में फंसाने वाली इन कंपनियों पर एक रिसर्च सामने आई है.
इतने लाख करोड़ का है कारोबार
Internet Gaming कंपनी ENV मीडिया की एक रिसर्च के मुताबिक, भारत में होने वाले खेलों में सट्टे का सालाना बाज़ार करीब 12 लाख करोड़ रुपये का है. आपको हैरानी होगी जानकर लेकिन भारत के हर एक क्रिकेट मैच पर 1 हजार 640 करोड़ रुपयों का सट्टा लगता है. वर्ष 2012 तक भारत में खेलों का सट्टा बाजार करीब 3 लाख करोड़ रुपये का था, लेकिन आज ये करीब 4 गुना ज्यादा है.
यानी वर्ष 2016 की डिजिटल क्रांति के बाद खेलों के सट्टा बाजार पर इसका बड़ा असर पड़ा है. ऑनलाइन नियम सख्त ना होने की वजह से, सट्टा खिलवाने वाली कंपनियों पर रोक लगाना नामुमकिन हो गया है. अगर हम अवैध सट्टेबाजी की वजह से देश को हो रहे नुकसान की बात करें तो वर्ष 2012 के आंकड़ों के मुताबिक, खेलों में अवैध सट्टेबाजी से भारत को हर वर्ष 10 से 12 हज़ार करोड़ के टैक्स का नुकसान होता था. ये वो दौर था जब GST नहीं थीं. आज के GST का हिसाब लगाकर देखें तो 28 प्रतिशत GST की दर से हर वर्ष भारत को 3 लाख 36 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो रहा है.
बाहर से काम कर रहीं कंपनियां
भारतीयों को सट्टे की लत लगवाने वाली ज्यादातर कंपनियां भारत के बाहर से काम कर रही हैं. ऑनलाइन सट्टेबाजी पर किसी भी तरह का सरकारी रेगुलेशन ना होने की वजह से, हर वर्ष भारत सरकार को लाखों करोड़ के टैक्स का चूना लग रहा है. सरकारी तंत्र को इस ऑनलाइन सट्टेबाजी की भनक तक नहीं है. Fantacy Games के नाम पर सट्टा खिलवाने वाली कंपनियों को लेकर हमने एक खास रिपोर्ट तैयार की है. आपको ये रिपोर्ट देखनी चाहिए.
सट्टेबाजीबाजी के विज्ञापन टीवी चैनल्स...अख़बारों, या बड़े OTT प्लेटफॉर्म पर तो बैन हैं, लेकिन ऑनलाइन सट्टेबाज़ी करवाने वाली कंपनियों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है.इन कंपनियों ने अपने प्रचार के लिए सोशल मीडिया को अपना हथियार बना लिया है और अब ये कंपनियां फेसबुक जैसी सोशल मीडिया और छोटे छोटे 0TT प्लेटफ़ॉर्म पर अपना प्रचार कर रही हैं...लोगों को सट्टा खेलने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं
भारत मे Skill Base Fantasy खेलो का मार्केट सालाना 46% तक बढ़ रहा है... बड़ी संख्या में युवा इसका हिस्सा बन कर अपनी टीम बना रहे हैं....टीम बनाने जैसे खेलों में स्किल का इस्तेमाल होता है और इसीलिए ये भारत में कानूनी हैं...लेकिन इसकी वजह से यूजर्स को टैक्स भी चुकाना पड़ता है...ऐसे में Online सट्टे के कारोबारी इन युवाओं को लुभाते हैं...क्योंकि गैर कानूनी होने की वजह से रकम जीतने वाले यूजर को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता
ऑनलाइन सट्टे का कारोबार उन भारतीय कंपनियों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत है...जो देश में कानूनी तरीके से काम कर रही हैं...टैक्स चुकाती हैं...लेकिन सिस्टम की कमज़ोरी कहें, या लाल फीताशाही...इन कंपनियों के बाज़ार का बड़ा हिस्सा गैरकानूनी सट्टा कम्पनियों की भेंट चढ़ जाता है... सरकार को मिलने वाले करोड़ों के टैक्स का जो नुकसान होता है...वो अलग
भारत के बाहर से काम करने वाले जो भी कम्पनियां टैक्स चोरी करती हैं और सट्टा खिलाती हैं, वो खुद तो लचर कानूनी सिस्टम की वजह से बच जाती हैं...लेकिन इनके यूजर्स इतने किस्मतवाले नहीं होते...क्योंकि तब सरकार आपसे दोगुना टैक्स वसूलती है....दरअसल भारत में REVERSE TAX MECHANISM लागू है...इसके तहत किसी विदेशी कंपनी की सेवा लेने पर ग्राहक को उसके हिस्से का टैक्स भी चुकाना पड़ता है...यही नहीं ऑनलाइन की वजह से यूजर्स सरकारी एजेंसियों की नज़र में आ जाते हैं
साइबर एक्सपर्ट सट्टेबाज़ी के इस ऑनलाइन सिंडिकेट का ठीकरा सरकारी तंत्र पर फोड़ रहे हैं...जहाँ TV और OTT पर तो इनके विज्ञापन बैन है.. लेकिन सोशल मीडिया पर कोई रोक टोक नहीं है...वजह है...नियमों का स्पष्ट न होना. ये कंपनिया सोशल मीडिया पर सिर्फ़ लुभावने विज्ञापन ही नहीं देतीं...ब्लफ़ भी करती हैं...यानी ग्राहक देखता कुछ और है, लेकिन लिंक पर क्लिक करने के बाद उसे मिलता कुछ और है.
2018 में आई थी ये रिपोर्ट
वर्ष 2018 में खेलों में सट्टेबाजी को लेकर Law Commission की 145 पन्नों की एक रिपोर्ट आई थी. इसका Title था LEGAL FRAMEWORK: GAMBLING AND SPORTS BETTING INCLUDING IN CRICKET IN INDIA.
इस रिपोर्ट में खेलों में सट्टेबाजी को लेकर नियम कायदे बनाने की बात कही गई थी. रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में ऑनलाइन सट्टे पर कोई भी केंद्रीय कानून नही है. सिर्फ नागालैंड और सिक्किम में ही ऑनलाइन सट्टे पर कानून बना हुआ है. सट्टेबाजी पर प्रतिबंध की वजह से भारत में इसका एक बड़ा ब्लैक मार्केट है. जिस वजह से टैक्स की चोरी होती है.
इसमें रिपोर्ट में सिफारिश की गई कि केंद्र सरकार अगर Online सट्टे को कानूनी मान्यता दे तो सिर्फ भारतीय कंपनियों को ही दे. इसके अलावा सरकार एक रेगुलेटरी बॉडी बनाये जो इसपर नजर रखे. ये भी सलाह दी गई कि सट्टे का सारा कारोबार ऑनलाइन हो जाए जिससे ट्रांसैक्शन पर नजर रखी जा सके. लेकिन इस सिफारिश पर कभी गंभीरता से विचार नहीं किया गया.
हम ये साफ कर देने चाहते हैं कि हम सट्टेबाजी का समर्थन नहीं करते हैं. हमारी इस खबर का मकसद ये है कि अवैध रूप से सट्टेबाजी करवाने वाली कंपनियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. सरकार को एक ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए, जिसमें सट्टा कंपनियां जुआ खेलने के लिए प्रेरित ना कर सकें.
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