नई दिल्ली: क्या आपको पता है कि 15 अगस्त 1947 को मिली आजादी (Independence Day) के 60 दिन पहले भारत (India) में क्या-क्या हुआ था. कई ऐसी सच्चाई हैं जिनके बारे में हमारी पीढ़ी नहीं जानती है. इसमें भारत-पाकिस्तान का बंटवारा (India-Pakistan Partition), सीमाओं का निर्धारण, दंगे, माउंटबेटन योजना और रियासतों का भारत में विलय होना मुख्य रूप से शामिल है.


विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन का हुआ बुरा हाल


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बता दें कि 1946 में, ब्रिटेन (Britain) की लेबर पार्टी (Labour Party) की सरकार का राजकोष, हाल ही में खत्म हुए द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) के बाद खस्ताहाल था. तब उन्हें एहसास हुआ कि न तो उनके पास घर पर जनादेश था और ना ही अंतरराष्ट्रीय समर्थन. इस कारण से वे तेजी से बेचैन होते भारत को नियंत्रित करने के लिए देसी बलों की विश्वसनीयता भी खोते जा रहे थे.


कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच विवाद


फरवरी 1947 में प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने ये घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार जून 1948 से ब्रिटिश भारत को पूरी तरह से सेल्फ-रूल का अधिकार देगी. फिर आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण की तारीख को आगे बढ़ा दिया क्योंकि उन्हें लगा कि कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच लगातार विवाद के कारण अंतरिम सरकार का पतन हो सकता है.


ये भी पढ़ें- दिल्ली का Red Fort कैसे बना देश का Power Center, इतिहास के पन्नों में छिपा है राज


जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी सालगिरह


उन्होंने सत्ता हस्तांतरण की तारीख के रूप में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी सालगिरह 15 अगस्त को चुना. ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटिश भारत को दो राज्यों में विभाजित करने के विचार को 3 जून 1947 को स्वीकार कर लिया. ये भी घोषित किया कि उत्तराधिकारी सरकारों को स्वतंत्र प्रभुत्व दिया जाएगा और उनके पास ब्रिटिश कॉमनवेल्थ से अलग होने का पूरा अधिकार होगा.


ये भी पढ़ें- अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद क्या होगा? जानिए आतंकी संगठन का क्रूर इतिहास


आजादी के पहले वो 60 दिन


ब्रिटिश सरकार ने 3 जून 1947 को ब्रिटिश भारत के विभाजन का फैसला लिया. भारत विभाजन की योजना को 'माउंटबेटन योजना' कहा जाता है. भारत-पाकिस्तान की सीमा रेखा सर सिरिल रेडक्लिफ ने तय की. फिर 18 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित हुआ. इसके बाद 565 में से 552 रजवाड़े स्वेच्छा से भारत में शामिल हुए. भारत की आजादी के एक दिन पहले 14 अगस्त को पाकिस्तान बना.


बड़े पैमाने पर हुआ रक्तपात


विभाजन के दौरान बंगाल, बिहार और पंजाब में काफी दंगे हुए. महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता दिवस के समारोह में हिस्सा नहीं लिया. दंगों को रोकने के लिए 15 अगस्त को महात्मा गांधी बंगाल के नोआखली में अनशन पर थे. लाखों मुस्लिम, सिख और हिंदू शरणार्थियों ने आजादी के बाद तैयार नई सीमाओं को पैदल पार कर सफर तय किया. पंजाब, जहां सीमाओं ने सिख क्षेत्रों को दो हिस्सों में विभाजित किया, वहां बड़े पैमाने पर रक्तपात हुआ. बंगाल और बिहार में भी हिंसा भड़क गई. नई सीमाओं के दोनों ओर लगभग 2 लाख 50 हजार से 10 लाख लोग हिंसा में मारे गए.


ये भी पढ़ें- मासूम बनेंगे वामपंथी विचारों की मशीन, शी जिनपिंग चीन में लाए नई शिक्षा नीति


14 अगस्त को संविधान सभा की बैठक की अध्यक्षता डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने की. संविधान सभा की बैठक के बाद भारत की आजादी की घोषणा हुई. इस सत्र में जवाहर लाल नेहरू ने भारत की आजादी की घोषणा करते हुए ट्रिस्ट विद डेस्टिनी नामक भाषण दिया. 15 अगस्त 1947 को भारत का अपना कोई राष्ट्र गान नहीं था. रवींद्रनाथ टैगोर लिखित जन गण मन 1950 में राष्ट्रगान बना.


LIVE TV