Delhi Govt Vs Center: राजधानी दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़ा संशोधित विधेयक आज लोकसभा में पेश नहीं किया जाएगा. यह जानकारी केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दी है.उन्होंने कहा कि सोमवार को दिल्ली अध्यादेश बिल नहीं लाया जाएगा. जब बिल (दिल्ली अध्यादेश विधेयक) आएगा तब आपको बताएंगे. आज के व्यवसाय की लिस्ट में इसका जिक्र नहीं है तो आज बिल नहीं आएगा. 10 कामकाजी दिनों के अंदर अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा. 


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दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार लंबे वक्त से इसका विरोध करती आ रही है. देश के विभिन्न विपक्षी दलों से अरविंद केजरीवाल ने  इस बिल के खिलाफ समर्थन देने की मांग की है. 


वहीं कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, 'हमने जब उनकी मणिपुर पर चर्चा की मांग को स्वीकार किया तो उन्होंने प्रधानमंत्री के सदन में आकर जवाब देने की मांग रखी. विपक्ष की ज़िम्मेदारी है कि मसला शांतिपूर्ण समाधान की तरफ बढ़े. वे ऐसे मसले पर भी राजनीति कर रहे हैं... आज जो बिल लगे हैं वह आएंगे. जब बिल (दिल्ली अध्यादेश बिल) लगेगा तब बताएंगे.'


क्या है ये बिल और इससे क्या बदलेगा?


NCT दिल्ली संशोधन बिल 2023 में राजधानी दिल्ली में लोकतांत्रिक और प्रशासनिक संतुलन का प्रावधान है. सरकार और विधानसभा के कामकाज को लेकर GNCTD अधिनियम लागू है. केंद्र ने साल 2021 में इसमें संशोधन किया था. इसमें उपराज्यपाल को ज्यादा पावर दी गई थी. साथ ही यह भी अनिवार्य किया गया था कि चुनी हुई सरकार को एलजी की राय लेना जरूरी है. 


इस संशोधन को AAP सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सीएम केजरीवाल ने मांग उठाई कि पुलिस, लैंड और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी अन्य मामलों में चुनी हुई सरकार को अधिकार मिलने चाहिए. इसके बाद मई में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों वाली संविधान पीठ ने फैसला सुनाया कि विधायी ताकतों के बाहर के क्षेत्रों को छोड़ एडमिनिस्ट्रेशन और सर्विसेज को छोड़कर बाकी अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेंगे. 


केंद्र के पास पुलिस, लैंड और पब्लिक ऑर्डर रहेगा. कोर्ट ने साफ कहा कि अफसरों के तबादले-नियुक्ति और प्रशासनिक सेवा का अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेगा. एलजी को सरकार की सलाह पर ही काम करना होगा.


केंद्र सरकार लाई अध्यादेश


कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार 19 मई को एक अध्यादेश लेकर आई, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (NCCSA) के गठन की बात की गई. दिल्ली में ग्रुप-ए के अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर के अलावा अनुशासनिक कार्रवाई का काम इसी प्राधिकरण को सौंप दिया गया.


इस अध्यादेश के आने के बाद चुनी हुई दिल्ली सरकार के अधिकार कम हो गए. कहा यह भी गया कि इस अध्यादेश के जरिए सर्विस सर्विसेज के ऊपर दिल्ली की चुनी हुई सरकार का अधिकार पूरी तरह खत्म हो गया.


राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (NCCSA) का गठन इस तरह से हुआ है कि अध्यक्ष होते हुए भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अल्पमत में रहेंगे. उनके अलावा इसके सदस्य दिल्ली के मुख्य सचिव और प्रधान गृह सचिव होंगे. ये दोनों अधिकारी कभी भी उनके विरुद्ध वोट कर सकते हैं. उनकी गैर-मौजूदगी में बैठक बुला सकते हैं. साथ ही सिफारिश भी कर सकते हैं. इतना ही नहीं एकतरफा सिफारिशें करने का काम किसी दूसरी संस्था को भी सौंप सकते हैं.