What is Indus Water Treaty: भारत और पाकिस्तान के बीच नई दिल्ली में सिंधु जल संधि को लेकर वार्षिक बैठक हो रही है. यह संधि दोनों देशों को सिंधु बेसिन की छह नदियों के पानी को साझा करने में मदद करती है. अगर आप सिंधु जल संधि से परिचित नहीं हैं तो आइये आपको बताते हैं इस समझौते के तहत दोनों देशों के पास क्या-क्या अधिकार हैं.


1960 में तैयार हुई थी सिंधु जल संधि


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1960 में भारत और पाकिस्तान ने कई वर्षों की बातचीत के बाद सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किया था. वाशिंगटन स्थित विश्व बैंक भी इस संधि में एक हस्ताक्षरकर्ता है. इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच नदियों के उपयोग को लेकर आपसी सहयोग और सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए एक तंत्र तैयार किया है गया है. इस समझौते को स्थायी सिंधु आयोग के रूप में जाना जाता है.


सफल अंतरराष्ट्रीय संधियों में से एक


संधि के अनुसार, दोनों देशों में सिंधु आयुक्त होने चाहिए. उन्हें साल में कम से कम एक बार मिलना भी होता है. बैठक वैकल्पिक रूप से भारत और पाकिस्तान में आयोजित की जा सकती है. इसे सबसे सफल अंतरराष्ट्रीय संधियों में सूचीबद्ध किया जा सकता है क्योंकि यह समय की कसौटी पर खरी उतरी है. संधि की स्थापना के बाद से, दोनों राष्ट्रों ने कई युद्ध लड़े हैं और असंख्य बार बढ़े हुए तनावों को देखा है.


सिंचाई और जलविद्युत विकास के लिए जरूरी


संधि के अनुसार, पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चिनाब) का पानी पाकिस्तान को जाता है और पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास और सतलुज) को अप्रतिबंधित उपयोग के लिए भारत को आवंटित किया गया है. यह समझौता सिंचाई और जलविद्युत विकास सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए पानी साझा करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है.


संधि के कई मुद्दे सुलझाए गए 


भारत नदी परियोजनाओं की मदद से अपने क्षेत्र में तीन पश्चिमी नदियों पर जलविद्युत पैदा कर सकती है. जो डिजाइन के लिए विशिष्ट मानदंडों के अधीन हैं. संधि के तहत पाकिस्तान इन पश्चिमी नदियों पर भारत द्वारा जलविद्युत परियोजनाओं के डिजाइन पर भी आपत्ति उठा सकता है. पूर्व में कई मुद्दों को उठाया और हल किया गया है.


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