नई दिल्लीः शायद आपको शरीर में टिक-टिक करते उस 'फैट बम' के बारे में नहीं पता होगा, जो आपको बीमार नहीं, बहुत बीमार बना सकता है. Norway में भोजन की थाली से गायब होते पोषक तत्वों पर दुनिया की अब तक की सबसे बड़ी स्टडी की गई है, जो ये कहती है कि अगर इंसान अपने खान-पान में बदलाव करे, पौष्टिक और अच्छा खाना खाए और फास्ट फूड से उचित दूरी बना कर रखे तो वो अपनी उम्र 13 साल तक बढ़ा सकता है.


दुनिया की पहली और सबसे प्रभावी स्डटी


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये इस तरह की दुनिया की पहली और सबसे प्रभावी स्डटी मानी जा रही है. क्योंकि इसमें दुनिया के 204 देशों में खाए जाने वाले भोजन का विस्तार से विश्लेषण किया गया है. कुल 369 बीमारियों और स्वास्थ्य संबंधी उन 286 वजहों का अध्ययन किया गया है, जिनकी वजह से लोगों की मृत्यु हो जाती है. यानी इस स्टडी में हर एक पहलू की बारिकी से जांच की गई है और इसमें एक ऐसा मंत्र भी बताया गया है, जो इंसानों के ज्यादा जीने की इच्छा को पूरा कर सकता है. ये स्टडी Global Burden of Disease नाम के एक अतर्राष्ट्रीय प्रोग्राम के तहत की गई है, जिसमें कुल 145 देशों के 3600 वैज्ञानिकों ने काम किया है. इसके मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति प्रति दिन भोजन में Beans और मटर जैसी फलीदार चीजें खाता है, उसकी भोजन की थाली में हरी और पत्तेदार सब्जियां.. और अखरोट, बादाम, पिस्ता जैसे Dry Fruites होते हैं तो वो व्यक्ति अधिक स्वस्थ रहता है और उसकी उम्र भी लम्बी रहती हैं.


खाने की थाली में इन चीजों को शामिल करें


इसके अलावा इसमें बताया गया है कि लंबी आयु के लिए रोज़ एक से दो कप फल और Whole Grains यानी साबुत अनाज से बना भोजन करना बहुत आवश्यक है. अगर कोई पुरुष 20 साल की उम्र में ही अपने खाने की थाली में इन चीज़ों को शामिल कर लेता है और नियमित रूप से इसका हर रोज़ पालन करता है तो ऐसे व्यक्ति की उम्र 13 साल तक बढ़ सकती है. अगर कोई महिला 20 वर्ष की उम्र में इन पोषक तत्वों वाले खानपान को अपनी थाली में शामिल करती है तो उसकी उम्र 10 साल तक बढ़ सकती है. इसके अलावा जो लोग बुज़ुर्ग हैं और जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है, वो भी इसका पालन कर सकते हैं. यानी उनके लिए समय अब भी निकला नहीं है. अगर 60 वर्ष की उम्र में भी फलदार चीज़ें, हरी सब्जियां और संतुलित मात्रा में Dry Fruites का सेवन किया जाए तो इससे 9 वर्ष तक उम्र बढ़ सकती है. जबकि इसी उम्र की बुज़ुर्ग महिलाएं ऐसा करके, अपनी 8 वर्ष तक उम्र बढ़ा सकती हैं.


जीवन शानदार और निरोगी रह सकता है


वैसे, कहा जाता है कि जीवन क्षणभंगुर है. यानी कुछ क्षण में खत्म होने वाला होता है. लेकिन इस अध्ययन से पता चलता है कि अगर, आपका खानपान पौष्टिक हो और आप शाकाहार हैं तो क्षणभर का जीवन, शानदार और निरोगी रह सकता है. हालांकि, इस अधययन में जो बातें बताई गई हैं, वो नई नहीं हैं. भगवद गीता में मनुष्य के तीन व्यवहारों का वर्णन है. ये हैं -सात्विक, राजसिक और तामसिक. सात्विक आचरण में भक्ति और अनुशासन का भाव जागृत होता है. राजसिक व्यवहार में मनुष्य के मस्तिष्क पर लालसा और अति उत्साह का असर बढ़ जाता है. जबकि तामसिक आचरण से कुंठा, ईर्ष्या जैसी बुराइयां इंसान को अपने वश में कर लेती हैं.


गीता में लिखा है इन खाने के चीजों से बनाएं दूरी


इसीलिए गीता में कड़वा, खट्टा, तला-भुना खाने से परहेज करने को कहा गया है, क्योंकि इनसे तामसिक विचारों को बढ़ावा मिलता है. इसी तरह वैदिक उपवास में जल, फल, दूध, दही जैसे सात्विक आहार को ग्रहण करने की सलाह दी गई है और बताया गया है कि ये शरीर से विषैले पदार्थों के त्याग में मदद करते हैं. इस प्रक्रिया को वेदों में विष-हरण कहा गया है, जिसे अंग्रेजी में Detoxification कहा जाता है. हालांकि आजकल के ज़माने में एक चुनौती ये भी है कि अब लोगों को पोष्टिक खाना नहीं बल्कि स्वादिष्ट, ज्यादा नमक और ज्यादा चीनी वाला खाना खाने की आदत हो चुकी है. ये आदत उन मल्टीनैशनल कम्पनियों ने लगाई है, जिनका कारोबार ही इस बात पर टिका है कि लोग दिनभर में कितना Unhealthy खाना खा सकते हैं. 


पिज्जा से बेहतर है सेब


उदाहरण के लिए सबसे छोटा Pizza, जिसे मिनी Pizza भी कहते हैं, वो मात्र 39 रुपये में मिल जाता है. लेकिन इसमें 10 ग्राम फैट होता है. जबकि एक किलोग्राम सेब औसतन 100 से 150 रुपये के आते हैं. और ये विटामिन से भरपूर होते हैं. कहने का मतलब ये है कि आज के ज़माने में स्वास्थ्य बिगाड़ना बेहद सस्ता है और स्वस्थ रहना और पौष्टिक आहार लेना, थोड़ा महंगा है. आपने अक्सर बड़े बुर्ज़ुगों को ये कहते सुना होगा कि, खाने की शुद्धता तो हमारे ज़माने में होती थी. ये बात सही भी है. पहले लोग, 80 से 100 साल तक आसानी से जीते थे. लेकिन अब अनिश्चितता इतनी है कि कोई व्यक्ति पूरी गारंटी के साथ ये नहीं कह सकता कि वो दिनभर में जो आहार ले रहा है और जो उसकी लाइफस्टाइल है, उससे वो लम्बी उम्र जी पाएगा. इस स्टडी में एक जगह इस बात का भी ज़िक्र है.


जो लोग मांसाहार खाने के शौकीन हैं..


इसके मुताबिक़, जो लोग मांसाहार खाने के शौकीन हैं और Processed meat यानी डिब्बाबंद मांस खाना पसन्द करते हैं, उन्हें High Blood Pressure, शुगर और High Cholestrol जैसे बीमारियां कम उम्र में ही हो जाती है. यानी ऐसे लोगों के शरीर में फैट बम, टिक-टिक करते हुए अपना समय गिनता रहता है. वैसे पूरी दुनिया एक व्यक्ति एक साल में औसतन 42 किलोग्राम मांस खाता है. हालांकि भारत में इसका औसत सिर्फ साढ़े 4 किलोग्राम है. लेकिन अगर इस वैज्ञानिक Reports को आधार मान लिया जाए और दुनिया भर के लोग हफ्ते में एक दिन भी शाकाहार को अपना लें तो इससे भी काफ़ी स्थिति सुधारी जा सकती है. इस पूरी स्डटी का सार ये है कि अगर भोजन करने की आदत में अनुशासन लाया जाए और इसमें पोष्क तत्वों वाले खानपान पर ज़ोर दिया तो बीमारियां दूर हो सकती हैं.


यहां देखें VIDEO