DCGI letter to WHO: भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के प्रति सख्त रुख अपनाया है. डीसीजीआई ने कहा, WHO ने गाम्बिया में बच्चों की मौत के मामले को भारत में बनी चार कफ सिरप से जोड़ दिया, जिसने दुनियाभर में इंडिया के दवा उत्पादों की छवि पर बुरा असर डाला.


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डब्ल्यूएचओ में निदेशक (रेग्युलेशन एंड प्री-क्वॉलिफिकेशन डॉ. रोजेरियो गैस्पर को लिखे खत में भारत के औषधि महानियंत्रक डॉ वीजी सोमानी ने कहा कि मौतों को लेकर अक्टूबर में WHO की हड़बड़ी में इसे भारत में बनी कफ सिरप से जोड़ा गया. इस कारण भारतीय दवा उत्पादों की क्वॉलिटी को टारगेट करते हुए यह दुनिया भर में चर्चा का विषय बनाया गया. डीसीजीआई ने कहा, मीडिया के मुताबिक गाम्बिया ने बताया है कि कफ सिरप के सेवन और बच्चों की मौत के मामले के बीच अभी तक कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं मिला है. साथ ही जिन बच्चों की मौत हुई थी, उन्होंने इस सिरप का सेवन नहीं किया था.


खत में सोमानी ने कहा कि गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत से जोड़े गए चार कफ सिरप के नमूने, जिनकी यहां की सरकारी लैब में जांच की गई, नियमों के मुताबिक पाए गए है. मेडेन फार्मा की खांसी (कफ) की दवा के नमूने क्वॉलिटी पर खरे पाए गए हैं. यह जानकारी सरकार ने गुरुवार को संसद में दी थी. कुछ सप्ताह पहले डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी देते हुए कहा था कि इस बात की आशंका है कि कंपनी के कफ सिरप को गाम्बिया में बच्चों की मौत से जोड़ा जा सकता है.


केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने राज्य औषधि नियंत्रक, हरियाणा के सहयोग से सोनीपत के कुंडली में मेडेन फार्मास्युटिकल्स की एक संयुक्त जांच की थी. जांच का मकसद उन तथ्यों का पता लगाना था, जिनके कारण पश्चिम अफ्रीकी देश में कथित तौर पर 66 बच्चों की मौत हुई थी. डीसीजीआई ने डब्ल्यूएचओ के साथ पूरा सहयोग करने की बात को दोहराया और कहा कि सीडीएससीओ पहले ही डब्ल्यूएचओ के साथ मौजूद ब्योरा साझा कर चुका है.


(इनपुट- PTI)


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