Atul Subhash Case Update: AI इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने देशभर के लोगों को हैरान कर दिया है. खुदकुशी करने से पहले अतुल सुभाष ने 24 पन्नों का सुसाइड नोट और लगभग 1 घंटे का वीडियो भी छोड़ा है. सुसाइड नोट पढ़कर और वीडियो को सुनकर लगभग हर आदमी आंखों नम हैं. अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी निकिता और उसके परिवार पर संगीन आरोप लगाए हैं.  इसके अलावा फेमिली कोर्ट की जज रीता कौशिक पर भी बड़े रिश्वत लेने समेत कई बड़े आरोप लगाए हैं. अतुल का आरोप है कि जज रीता कौशिक ने मामले को सेटल करने के लिए लाखों रुपये की मांग की थी. इस मामले में सुभाष की पत्नी और उसके ससुराल वालों पर आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित केस दर्ज कर लिया गया. 


राष्ट्रपति को भी लिखा खत


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सुभाष ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर में एक जज के खिलाफ भी आरोप लगाए, जहां उनके ससुराल वाले रहते हैं और उनके कुछ मामलों की सुनवाई चल रही थी. सुभाष ने बताया कि जज ने उनसे मामले को निपटाने के लिए 5 लाख रुपये मांगे थे. इसके लिए सुभाष ने राष्ट्रपति को भी खत लिखा था, जिसमें आपराधिक न्याय प्रणाली की आलोचना की और पुरुषों के खिलाफ उनकी अलग रह रही पत्नियों द्वारा झूठे मामले दर्ज किए जाने की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर किया.


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5 लाख रुपये की मांगी रिश्वत


इसके अलावा अतुल ने महिला जज पर उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए कहा कि कोर्ट में डेट लेने के लिए पेशकार तक को भी रिश्वत देनी पड़ती थी. अतुल के मुताबिक 2022 में पेशकार के ज़रिए उनसे 3 लाख रुपये की रिश्त की डिमांड की गई थी. लेकिन जब सुभाष ने रिश्वत देने से इनकार किया तो अदालत ने खिलाफ एलिमनी और मेंटिनेंस देने फरमान सुना दिया. अदालत के इस आदेश के बाद सुभाष को हर महीने अपनी पत्नी को 80 हजार रुपये देने थे. सुभाष के मुताबिक जज रीता कौशिक ने अकेले में बात करते हुए 5 लाख रुपये की मांग की थी और कहा था कि वो मामले को इसी साल दिसंबर में सेटल कर देंगी. 


कौन है महिला जज रीता कौशिक?


इलाहाबाद हाई कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक रीता कौशिक का जन्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 1 जुलाई 1968 को हुआ था. उन्होंने अपने करियार की शुरुआत 1996 में मुंसिफ के तौर पर की थी. इसके बाद वो 1999 में सहारनपुर जिले में जूडिशियल मजिस्ट्रेट के पद भी रह चुकी हैं. इसके बाद उन्होंने मथुरा में एडिशनल सिविल जज के तौर पर भी काम किया है, यहीं रहते हुए उन्हें सिविल जज बना दिया गया था. 


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अयोध्या में रहकर मिली बड़ी जिम्मेदारी


हालांकि 2003 में ट्रांसफर होने के बाद उन्हें अमरोहा भेज दिया गया था. यहां पर रीता कौशिक ने सिवल जज (जूनियर डिविजन) के तौर अपनी जिम्मेदारियां निभाईं. इसके बाद 2003 से 2004 तक वो राजधानी लखनऊ में स्पेशल सीजेएम भी रह चुकी हैं. इस जिम्मेदारी के बाद उन्हें प्रमोशन दिया गया और एडीशनल जूडिशियल मजिस्ट्रेट बना दिया गया. कौशिक ने अयोध्या में भी अपनी सेवाएं दी है. उन्हें पहली बार अयोध्या में ही 2018 में फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज बनाया गया था. 2022 तक अयोध्या में रहने के बाद उनका ट्रांसफर जौनपुर कर दिया था. तब वो रीता कौशिक जौनपुर में अपनी सेवाएं दे रही हैं.  


रीता कौशिक की पढ़ाई


रीता कौशिक की पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने साल 1986 में बीए ऑनर्स फर्स्ट डिवीजन के साथ पास किया था. 1989 में एलएलबी भी फर्स्ट डिवीजन में पास की और 1991 में एलएलएम सेकेंड डिवीजन में पास की थी.