कौन है ZOOM? जानें कैसे इस फौजी कुत्ते ने गोली लगने के बाद भी किया आतंकियों का खात्मा
Who is ZOOM: भारतीय सेना के चिनार कोर के अनुसार जूम सेना का शिकारी कुत्ता है. जिसे ऑर्डर निभाने और समय के हिसाब से क्रूर हो जाने के लिए ट्रेनिंग दी गई है.
ZOOM Military Dog: कश्मीर में आतंकियों के खात्मे के लिए सेना के जवानों की बहादुरी के कई किस्से अमर हैं. इन ऐतिहासिक किस्सों में एक बहादुर कुत्ते का नाम भी शामिल हो गया है. जिसने देश की खातिर दो गोली लगने के बाद भी आतंकियों का खात्मा करने में सैन्यबल की मदद की. हम बात कर रहे हैं सेना के असॉल्ट डॉग जूम (Zoom) की, जिसने अपनी बहादुरी और निडरता से पूरे देश में तहलका मचा दिया है. जर्मन शेफर्ड डॉग जूम को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकवादियों के खिलाफ सेना के एक अभियान में लगाया गया, जहां उसने दो आतंकवादियों को मारने में मदद की.
सेना का शिकारी कुत्ता
भारतीय सेना के चिनार कोर के अनुसार जूम सेना का शिकारी कुत्ता है. जिसे ऑर्डर निभाने और समय के हिसाब से क्रूर हो जाने के लिए ट्रेनिंग दी गई है. आतंकवादियों को खोजने, उनका पता लगाने और उन पर हमला करने के लिए जूम को महीनों तक ट्रेनिंग दी गई थी.
आतंकियों के खिलाफ कई ऑपरेशनों का हिस्सा रहा
जूम आतंकियों के खिलाफ कई ऑपरेशनों का हिस्सा रहा है. सोमवार को उसे अनंतनाग के एक घर में आतंकियों का पता लगाने का मिशन सौंपा गया था. जूम ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाते हुए घर में छिपे दो आतंकियों पर हमला बोल दिया. आतंकियों ने असॉल्ट राइफल से जूम पर फायर किया, उसे दो गोली लगी और वह घायल हो गया. लेकिन तब भी जूम ने हार नहीं मानी और आतंकियों पर हमला जारी रखा.
जूम की बहादुरी के किस्से
बाद में सुरक्षाबलों ने दोनों आतंकियों को ढेर कर दिया. सेना द्वारा जारी एक वीडियो में जूम की बहादुरी के किस्से बताए गए हैं. इस वीडियो में कहा गया है कि जूम को आतंकवादियों का पता लगाने और उनके खात्मे के लिए ट्रेनिंग दी गई है. जूम कई सक्रिय अभियानों का हिस्सा रहा है.
जूम पर बॉडी कैम फिट किया और..
वीडियो में बताया गया है कि अनंतनाग में ऑपरेशन तांगपावा के दौरान 'जूम' आतंकवादियों से भिड़ते हुए गंभीर रूप से घायल हो गया. उसका सेना के पशु चिकित्सक अस्पताल श्रीनगर में इलाज चल रहा है. हम उसके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं. दोनों आतंकियों की पहचान द रेसिस्टेंस फ्रंट के आसिफ अहमद उर्फ हुबैब और वकील अहमद उर्फ तल्हा के रूप में हुई है. सेना के अधिकारियों ने हमले में जूम का इस्तेमाल किया क्योंकि वे आतंकवादियों के सटीक ठिकाने का पता लगाने में सक्षम नहीं थे. बाद में उन्होंने जूम पर बॉडी कैम फिट किया और उसने आतंकियों को सूंघकर खोज निकाला.
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