पीएम Narendra Modi का कांग्रेस से सवाल, Manmohan Singh के कृषि सुधारों पर क्यों लिया यू-टर्न?
पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को एक बार फिर आश्वासन दिया कि MSP है, MSP था और MSP रहेगा. उन्होंने किसानों से अपील की कि वे सरकार को कृषि सुधारों पर एक मौका दें.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने सोमवार को तीन नए कृषि कानूनों (New Farm Law) के विरोध में आंदोलनरत किसानों से अपना आंदोलन (Farmers Protest) समाप्त कर कृषि सुधारों को एक मौका देने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि यह समय खेती को ‘खुशहाल’ बनाने का है और देश को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए.
राज्य सभा में पीएम ने विपक्ष को दिखाया आईना
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री (Narendra Modi) ने कृषि सुधारों पर ‘यू-टर्न’ लेने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया. पीएम ने कहा कि पिछले कुछ समय से इस देश में ‘आंदोलनजीवियों’ की एक नई जमात पैदा हुई है, जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती. उन्होंने कहा कि एक नया ‘FDI’ भी मैदान में आया है और यह है ‘फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी’.
'देश में हरित क्रांति का भी विरोध हुआ था'
प्रधानमंत्री ने कहा कि कहा कि जब देश में सुधार होते हैं तो उसका विरोध होता है. उन्होंने कहा कि जब देश में हरित क्रांति आई थी, उस समय भी कृषि क्षेत्र में किए गए सुधारों का विरोध हुआ था. उन्होंने कहा, ‘हम आंदोलन (Farmers Protest) से जुड़े लोगों से लगातार प्रार्थना करते हैं कि आंदोलन करना आपका हक है, लेकिन बुजुर्ग भी वहां बैठे हैं. उनको ले जाइए, आंदोलन खत्म करिए. आगे मिल बैठ कर चर्चा करेंगे, सारे रास्ते खुले हैं. यह सब हमने कहा है और आज भी मैं इस सदन के माध्यम से निमंत्रण देता हूं.’
'एक बार कृषि सुधारों को मौका दें'
उन्होंने कहा कि यह खेती को खुशहाल बनाने के लिए फैसले लेने का समय है और इस समय को हमें नहीं गंवाना चाहिए. हमें आगे बढ़ना चाहिए, देश को पीछे नहीं ले जाना चाहिए.’ मोदी ने आंदोलनरत किसानों के साथ ही विपक्षी दलों से भी आग्रह किया कि इन कृषि सुधारों (New Farm Law) को मौका देना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘हमें एक बार देखना चाहिए कि कृषि सुधारों से बदलाव होता है कि नहीं. कोई कमी हो तो हम उसे ठीक करेंगे, कोई ढिलाई हो तो उसे कसेंगे. पक्ष, विपक्ष, आंदोलनरत साथियों को इन सुधारों को मौका देना चाहिए और एक बार देखना चाहिए कि इस परिवर्तन से हमें लाभ होता है कि नहीं. ऐसा तो नहीं है कि सब दरवाजे बंद कर दिए गए हैं.’
'MSP है, MSP था, MSP रहेगा'
प्रधानमंत्री ने किसानों को भरोसा दिलाया कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी तथा इसके लिए इस बार के बजट में व्यवस्था भी की गई है. उन्होंने जोर देकर कहा, 'न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) है, MSP था और MSP रहेगा.’प्रधानमंत्री ने कहा कि हर कानून में कुछ समय बाद सुधार होते रहे हैं और अच्छे सुझावों को स्वीकार करना तो लोकतंत्र की परंपरा रही है. पीएम ने कहा, ‘अच्छे सुझावों के साथ, अच्छे सुधारों की तैयारी के साथ आगे बढ़ना चाहिए. मैं आप सब को निमंत्रण देता हूं कि देश को आगे ले जाने के लिए साथ आएं. कृषि क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करने के लिए, आंदोलनकारियों को समझाते हुए, देश को आगे ले जाना होगा.’’
'बातों को समझने-समझाने का प्रयास'
पीएम मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर लगातार किसानों से बातचीत कर रहे हैं और अभी तक वार्ता में कोई तनाव पैदा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि एक दूसरे की बात को समझने, समझाने का प्रयास चल रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इतना बड़ा देश है और जब भी कोई नई चीज आती है तो थोड़ा बहुत असमंजस होता है, हालांकि असमंजस की भी स्थिति थोड़ी देर ही होती है.
'लाल बहादुर शास्त्री के समय भी उठे सवाल'
उन्होंने कहा, ‘हरित क्रांति के समय जब कृषि सुधार हुए, तब भी ऐसा हुआ था. आंदोलन हुए थे. लाल बहादुर शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे और कैबिनेट में भी विरोध के स्वर उठे थे. लेकिन शास्त्री जी आगे बढ़े. उन पर अमेरिका के इशारे पर चलने के आरोप लगे. कांग्रेस के नेताओं को अमेरिका का एजेंट तक करार दिया गया था.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं और इन समस्याओं का समाधान सबको मिलकर करना होगा.
'हमें नए उपायों के साथ आगे बढ़ना होगा'
उन्होंने कहा, ‘मैं मानता हूं कि अब समय ज्यादा इंतजार नहीं करेगा, नये उपायों के साथ हमें आगे बढ़ना होगा.’विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सदन में किसान आंदोलन को लेकर भरपूर चर्चा हुई और ज्यादा से ज्यादा समय जो बातें बताई गईं, वह आंदोलन के संबंध में थी. उन्होंने कहा कि अच्छा होता कि कानूनों की मूल भावना पर विस्तार से चर्चा होती. मोदी ने कहा कि सरकारें किसी की भी रही हों, सभी कृषि सुधारों के पक्ष में रहीं लेकिन यह अलग बात है कि वे इन्हें लागू नहीं कर सकीं.
'कांग्रेस ने अचानक यू-टर्न क्यों लिया'
उन्होंने कहा, ‘मैं हैरान हूं कि आपने (कांग्रेस ने) अचानक यू-टर्न ले लिया. ऐसा क्यों किया? ठीक है आप आंदोलन के मुद्दों को लेकर सरकार को घेर लेते लेकिन साथ-साथ किसानों को भी कहते कि भाई, बदलाव बहुत जरूरी हैं. बहुत साल हो गए. अब नई चीजों को आगे लाना पड़ेगा. लेकिन मुझे लगता है राजनीति इतनी हावी हो जाती है कि अपने ही विचार पीछे छूट जाते हैं.’
'मनमोहन जी का काम मैं कर रहा हूं'
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक भाषण का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि वह भी किसानों को बाजार देने और ऐसे कृषि सुधारों के पक्ष में थे. उन्होंने कहा, ‘जो मनमोहन सिंह ने कहा था, वही काम हम कर रहे हैं. आप लोगों को तो गर्व होना चाहिए कि मनमोहन सिंह ने जो कहा था, वह मोदी को करना पड़ रहा है.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल संसद में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं लेकिन अपने राज्यों में वे इनके किसी न किसी प्रावधान को लागू भी किए हुए हैं.
'छोटे-सीमांत किसानों की चर्चा क्यों नहीं'
उन्होंने कहा कि चर्चा के दौरान किसी ने इन कानूनों की भावना पर चर्चा नहीं की बल्कि तरीके पर सवाल उठाए. मोदी ने कहा कि देश में डेयरी उद्योग का योगदान कृषि अर्थव्यवस्था के कुल मूल्य में 28 प्रतिशत से भी ज्यादा है. लेकिन कृषि की चर्चा के दौरान इस पहलू को भुला दिया जाता है. उन्होंने पूछा कि अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को पशुपालकों की तरह आजादी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? प्रधानमंत्री ने कहा कि रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं और कोई इससे इंकार नहीं कर सकता.
'कुछ लोग भारत को अस्थिर करना चाहते हैं'
उन्होंने कहा कि ऐसी समस्याओं के समाधान की ताकत भारत में है लेकिन कुछ लोग हैं जो भारत को अस्थिर और अशांत करना चाहते हैं. पीएम मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि जब देश का बंटवारा हुआ और जब 1984 के दंगे हुए तो सबसे ज्यादा पंजाब को भुगतना पड़ा. उन्होंने कहा, ‘इन सारी चीजों ने देश को किसी न किसी रूप में बहुत नुकसान पहुंचाया है. इसके पीछे कौन है, यह हर सरकार ने देखा है, जाना है. इसलिए हमें इन सारी समस्याओं के समाधान के लिए आगे बढ़ना चाहिए.’
'देश में आंदोलनजीवी की जमात पैदा हुई'
प्रधानमंत्री ने कहा कि सिख समुदाय ने देश के लिए जो किया, उस पर देश गर्व करता है. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग पंजाब के किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं. मोदी ने कहा कि देश श्रमजीवी और बुद्धिजीवी जैसे शब्दों से परिचित है लेकिन पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है और वह है ‘आंदोलनजीवी’ .
'हर जगह दिख जाते हैं आंदोलनजीवी'
उन्होंने कहा, ‘‘वकीलों का आंदोलन हो या छात्रों का आंदोलन या फिर मजदूरों का. ये हर जगह नजर आएंगे. कभी परदे के पीछे, कभी परदे के आगे. यह पूरी टोली है, जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती. हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा. वह हर जगह पहुंच कर वैचारिक मजबूती देते हैं और गुमराह करते हैं. ये अपना आंदोलन खड़ा नहीं कर सकते और कोई करता है तो वहां जाकर बैठ जाते हैं. यह सारे आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं.’
'देश में नई FDI भी मैदान में आई'
प्रधानमंत्री (Narendra Modi) ने कहा कि इसी प्रकार से एक नयी चीज FDI के रूप में मैदान में आई है. उन्होंने कहा, ‘यह एफडीआई है ‘फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आईडियोलॉजी’. इस एफडीआई से देश को बचाने के लिए हमें और जागरूक रहने की जरूरत है.’
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