DNA with Sudhir Chaudhary: भारत सरकार को अग्निवीरों की जरूरत क्यों? सेना भर्ती के लिए क्यों लानी पड़ी अग्निपथ स्कीम?
DNA with Sudhir Chaudhary: ये योजना तीनों सेनाओं की भर्तियों पर लागू होगी. इसमें ऑफिसर रैंक से नीचे जो पद होते हैं, उन पर भर्तियां की जाएंगी.
DNA with Sudhir Chaudhary: सेना में भर्ती को लेकर भारत सरकार की एक नई स्कीम अग्निपथ के बारे में आप जानते हैं? अगर आप नहीं जानते, तो आपको बता दें कि इस नई योजना के तहत अब साढ़े 17 साल से लेकर 21 साल तक के युवाओं को सिर्फ चार साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा. इन्हें अग्निवीर का नाम दिया जाएगा. हर साल सेना के तीन अंगों में लगभग 50 हजार अग्निवीरों की भर्ती होगी. इस नए कदम से भारतीय सेना की औसत आयु 32 साल से 26 साल हो जाएगी. पेंशन का खर्चा भी काफी हद तक बचेगा. यानी इसमें आधुनिकीकरण भी है. पैसे की बचत भी है. इस योजना को आप पांच Points में समझ सकते हैं. आप चाहें तो ये जानकारी नोट भी कर सकते हैं.
चार साल पूरे होने पर रिटायरमेंट
पहला Point.. ये योजना तीनों सेनाओं की भर्तियों पर लागू होगी. इसमें ऑफिसर रैंक से नीचे जो पद होते हैं, उन पर भर्तियां की जाएंगी. यानी सेना में जो Non-Commissioned Rank होती हैं, ये भर्तियां उन पदों पर होंगी. दूसरा Point- साढ़े 17 साल से लेकर 21 साल तक के युवा इन भर्तियों के लिए आवेदन कर सकेंगे. इस प्रक्रिया के दौरान जिन लोगों का चयन होगा, वो सिर्फ चार साल तक सेना में अपनी सेवाएं देंगे. यानी सेना में अब जो नौकरी होगी, वो सिर्फ चार वर्षों की होगी. इन चार वर्षों में शुरुआत के 6 महीने उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी. जबकि साढ़े तीन साल वो सेना में बतौर अलग-अलग पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे. जब चार साल पूरे हो जाएंगे तो इन सैनिकों को रिटायर कर दिया जाएगा.
रिटायरमेंट पर मिलेगा अच्छा-खासा पैकेज
हालांकि सरकार ने ये भी कहा है कि वो सभी सैनिकों को रिटायर नहीं करेगी. हर बैच में से 25 प्रतिशत सैनिकों को चार साल के बाद भी सेना में रह कर देश के लिए काम करने का मौका दिया जाएगा. आप इसे समझिए कि अगर सरकार ने एक बैच में 20 हजार सैनिकों की भर्ती की है तो इनमें से पांच हजार सैनिक चार साल के बाद भी सेना में रह सकेंगे. जबकि 15 हजार सैनिक चार साल के बाद रिटायर हो जाएंगे. तीसरा Point- रिटायरमेंट के बाद सरकार इन अग्निवीरों को एक अच्छा खासा पैकेज देगी. इसलिए अब आप ये देखिए कि इन सैनिकों को सैलरी कितनी मिलेगी और इनका रिटायरमेंट पैकेज क्या होगा.
कैसा होगा सैलरी स्ट्रक्चर
पहले साल में इन अग्निवीरों को हर महीने तीस हजार रुपये सैलरी मिलेगी, जिसमें से 21 हजार रुपये इन्हें नकद मिलेंगे और 9 हजार रुपये यानी सैलरी का 30 प्रतिशत हिस्सा इनके रिटायरमेंट फंड में जमा हो जाएगा. दूसरे वर्ष में हर महीने 33 हजार रुपये, तीसरे वर्ष में 36 हजार 500 रुपये और चौथे वर्ष में हर महीने 40 हजार रुपये वेतन मिलेगा, जिसमें से 12 हजार रुपये हर महीने रिटायरमेंट फंड में चले जाएंगे. यानी जो In Hand Salary होगी, वो पहले साल में 21 हजार रुपये होगी और चौथे साल में 28 हजार रुपये पहुंच जाएगी. चार साल के बाद सरकार अग्निवीरों को रिटायरमेंट के तौर पर एक विशेष पैकेज देगी, जिसे उसने सेवा निधि पैकेज का नाम दिया है. इसके तहत हर सैनिक को 11 लाख 71 हजार रुपये दिए जाएंगे. इनमें आधा पैसा अग्निवीरों की सैलरी से जमा होगा और आधा पैसा सरकार की तरफ से दिया जाएगा. इसके अलावा इस पैसे पर ब्याज भी दिया जाएगा. हालांकि इन अग्निवीरों को पेंशन की सुविधा नहीं मिलेगी.
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी फौज
चौथा Point- इस योजना के तहत सेना के तीन अंगों में हर साल दो बार भर्तियां निकाली जाएंगी. इस साल सरकार ने 46 हजार अग्निवीरों की भर्ती का लक्ष्य रखा है. अगले वर्ष से लगभग 50 हजार भर्तियां हर साल होंगी. अभी तीनों सेनाओं में Non-Commissioned Ranks, जैसे हवलदार, नायक और लांस नाक जैसे एक लाख 25 हजार पद खाली हैं. हालांकि इनमें कुछ पद Junior Commissioned Officer के भी हैं. इसके अलावा Commissioned Officer के लगभग 10 हजार पद सेना के तीनों अंगों में खाली हैं. जिन्हें सरकार ने अगले कुछ वर्षों में भरने का लक्ष्य रखा है. इस समय भारत के पास दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है. चीन के पास 20 लाख सैनिकों की फौज है, भारत के पास साढ़े 14 लाख सैनिकों की फोज है. अमेरिका के पास 13 लाख 90 हजार सैनिक हैं और रशिया के पास साढ़े आठ लाख सक्रिय सैनिक हैं.
अग्निवीरों को सरकार देगी Certificate
सरकार ने ये भी कहा है कि.. वो इन अग्निवीरों को एक Certificate देगी, जिसके आधार पर उन्हें अपना कारोबार शुरू करने के लिए बैंकों से आसानी से लोन मिल सकेगा. इसके अलावा प्राइवेट क्षेत्र में भी उन्हें आसानी से नौकरियां मिल जाएंगी. आखिरी Point- ये भर्तियां All India Merit Basis पर होंगी. अब तक सेना में अंग्रेजों के जमाने का Regiment System चला आ रहा था. जिसके तहत जाति और क्षेत्र के आधार पर सैनिकों की सेना में भर्ती होती थी. जैसे मराठा रेजिमेंट है, जाट रेजिमेंट है, सिख रेजिमेंट है, गोरखा और राजपूज रेजिमेंट भी हैं. अब तक इन Regiments में भर्ती के लिए जाति और क्षेत्र को महत्व दिया जाता था. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब भारत का कोई भी नागरिक किसी भी रेजिमेंट में भर्ती हो सकेगा. सरकार ने कहा है कि अगले 10 वर्षों में सेना से अंग्रेजों के जमाने का रेजिमेंट सिस्टम खत्म हो जाएगा. और सेना में अब तक का ये सबसे बड़ा बदलाव होगा.
इस योजना की जरूरत क्या थी?
अब आपके मन में ये सवाल भी होगा कि आखिर इस योजना की जरूरत क्या थी? तो अब आपको इसके पीछे की सोच बताते हैं. इससे भारतीय सैनिकों की औसत उम्र कम हो जाएगी. सेना में ज्यादा से ज्यादा युवा अपनी सेवाएं दे सकेंगे. उनकी क्षमता ज्यादा होगी, वो ज्यादा Productive होंगे और ज्यादा से ज्यादा युवाओं को सेना में काम करने का अवसर मिलेगा. अभी भारतीय सैनिकों की औसत उम्र 32 साल है, जबकि अमेरिका के सैनिकों की औसतन उम्र 27 साल है और ब्रिटेन के सैनिकों की औसत उम्र 30 साल है. यानी हमारे सैनिकों की औसत उम्र इन देशों के सैनिकों से ज्यादा है. लेकिन इस योजना की मदद से अगले कुछ वर्षों में भारतीय सैनिकों की औसत उम्र 32 से 26 वर्ष हो जाएगी. सेना किसी भी देश के लिए उसकी रीढ़ होती है. अगर ये रीढ़ कमजोर हो तो वो देश अपने दुश्मन का मजबूती से मुकाबला नहीं कर सकता. इसलिए सेना में देश के युवाओं को मौका देना, एक क्रान्तिकारी सोच है.
सरकार ने इस योजना के तहत Cost Cutting की?
दूसरा, इससे सरकार हथियारों की खरीद पर ज्यादा पैसा खर्च कर पाएगी. अब तक सरकार को रक्षा बजट का आधे से ज्यादा हिस्सा सैनिकों को सैलरी और पेंशन देने पर खर्च करना पड़ रहा था. लेकिन इस योजना के लागू होने से ये खर्च धीरे धीरे कम होगा. वर्ष 2020-21 में भारत का रक्षा 4 लाख 85 हज़ार करोड़ रुपये था. जिसमें से 28 प्रतिशत यानी 1 लाख 34 हज़ार करोड़ रुपये सरकार ने सैलरी देने पर खर्च किए. 26 प्रतिशत यानी एक लाख 28 हज़ार करोड़ रुपये पूर्व सैनिकों को पेंशन देने पर खर्च किए. केवल 27 प्रतिशत यानी एक लाख 31 हज़ार करोड़ रुपये नए हथियारों को खरीदने पर खर्च किए गए. यानी आप देखेंगे तो रक्षा बजट का 54 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ़ सैलरी और पेंशन पर खर्च हो जाता है. जिससे सरकार चाह कर भी सेना के आधुनिकीकरण पर ज्यादा जोर नहीं दे पाती. लेकिन इस योजना के बाद इस खर्च को कम किया जा सकेगा. आप कह सकते हैं कि सरकार ने इस योजना के तहत Cost Cutting की है. हमारे देश में इस समय सरकार 32 लाख पूर्व सैनिकों को पेंशन देती है. और पेंशन का ये खर्च, वन रैंक-वन पेंशन स्कीम लागू होने से काफी बढ़ा है.
..ये सिर्फ नौकरी नहीं होगी
तीसरी बात, इससे हमारे देश में Highly Skilled Workforce की उपलब्धता बढ़ेगी. सेना में जो सैनिक होते हैं, उनमें अनुशासन के साथ Leadership Qualities भी होती हैं. इसके अलावा ये सैनिक मुश्किल परिस्थितियों से निपटना अच्छी तरह जानते हैं. इसलिए जब सेना का कोई जवान हमारे समाज में आकर काम करेगा तो इससे देश की प्रगति होगी और Highly Skilled Workforce की उपलब्धता बढ़ जाएगी. एक और बात.. ये सिर्फ़ नौकरी नहीं होगी. बल्कि आप इसे ऐसे समझिए कि सरकार देश के हर नागरिक को चार साल तक देश की रक्षा करने का मौका दे रही है.और इसके लिए इन सैनिकों का एक करोड़ का बीमा भी किया जाएगा, जिसका प्रीमियम खुद सरकार भरेगी. इसलिए जो बात आज आपको समझनी है, वो ये कि सेना में कोई भी व्यक्ति नौकरी करने के लिए नहीं जाता. बल्कि सेना को हम देशभक्ति के नजरिए से देखते हैं. और अब सरकार चाहती है कि देश के ज्यादा से ज्यादा युवा सेना में आकर चार साल के लिए देश की सेवा करें.
दूसरे देशों में ऐसी ही व्यवस्था
अभी दुनिया में 80 से ज़्यादा देश ऐसे हैं, जहां नागरिकों के लिए सेना में कुछ वर्ष के लिए अपनी सेवाएं देना अनिवार्य है. इनमें दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, रशिया, इज़रायल, ब्राज़ील, Turkey, Norway और Finland जैसे देश प्रमुख हैं. इन देशों में 18 से 27 साल के युवाओं को एक निर्धारित समय के लिए सेना में भर्ती होना पड़ता है. इसके बाद इन्हें रिटायर कर दिया जाता है. ऑस्ट्रिया देश की सेना में ये अवधि डेढ़ साल है. जबकि इज़रायल में हर नागरिक को तीन साल सेना में अपनी सेवाएं देनी पड़ती हैं. इससे इन देशों को दो बड़े फायदे हुए हैं. पहला.. इन देशों की सेनाएं दूसरे देशों की सेनाओं की तुलना में ज्यादा युवा हैं. दूसरा... इससे इन देशों को अपने पूर्व सैनिकों को पेंशन देने पर ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना पड़ता. जिससे ये डिफेंस रिसर्च और नए हथियारों की खरीद पर ज्यादा ज़ोर दे पाते हैं.
अमेरिका जैसा मॉडल
इसके अलावा कुछ देश ऐसे भी हैं, जिन्होंने सेना में भर्ती के लिए काफ़ी अलग नीति अपनाई है. अमेरिका में सिर्फ़ उन्हीं सैनिकों को पेंशन मिलती है, जो 20 वर्षों तक सेना में रहते हैं. इसके अलावा अमेरिका में एक ऐसा कानून है, जिसके तहत 80 प्रतिशत सैनिकों को उनकी सेवा के आठवें साल में ही रिटायर कर दिया जाता है. इन सैनिकों को सरकार कोई पेंशन नहीं देती. आप देखेंगे तो भारत सरकार सेना में भर्तियों का जो नया मॉडल लाई है, वो काफी हद तक अमेरिका के जैसा ही है. कई देश ऐसे भी हैं, जो अब कुछ समय अवधि के लिए ही सैनिकों की भर्ती करते हैं. जैसे.. ब्रिटेन में अलग अलग पदों पर सैनिकों को दो से चार के लिए गी भर्ती किया जाता है और इसके बाद उन्हें एक विशेष पैकेज देकर रिटायर कर दिया जाता है.
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