कोरोना: रैपिड टेस्टिंग पर क्यों है कन्फ्यूजन? जानिए क्या है एक्सपर्ट की राय
रैपिड टेस्ट लक्षण आने के 7 दिन बाद ही सही नतीजे दे सकता है.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) के मरीजों का पता लगाने के लिए रैपिड टेस्टिंग को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है. ऐसा इसीलिए है क्योंकि रैपिड टेस्टिंग के नतीजों में वेरिएशन बहुत ज्यादा मिल रहा है. इस बीच ICMR ने रैपिड टेस्टिंग पर बुधवार तक रोक लगा दी है.
इस पर एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा, "रैपिड टेस्ट लक्षण आने के 7 दिन बाद ही सही नतीजे दे सकता है. अगर रैपिड टेस्ट हर जगह इस्तेमाल किया गया तो गलत नतीजे आ सकते हैं. इसीलिए केवल ऐसे मरीजों का रैपिड टेस्ट करें, जिनमें लक्षण को 7 दिन हो चुके हैं."
उन्होंने आगे बताया, "अगर किसी का रैपिड टेस्ट नेगेटिव आए तो ठीक लेकिन पॉजिटिव आए तो कंफर्म करने के लिए RT-PCR करना चाहिए. रैपिड टेस्ट का इस्तेमाल हॉटस्पॉट इलाके में करें. जिन लोगों में आशंका हो, वहां टेस्ट करें."
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बता दें कि देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 19 हजार के करीब पहुंचने वाली है. अब तक कोरोना के 18985 केस सामने आए हैं, इसमें 3260 वो मरीज भी शामिल हैं, जो अब पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं. देश में इस महामारी से अब तक 603 लोगों की जान चली गई है. पिछले 24 घंटे में 1329 नए मरीज सामने आए हैं. राहत की बात यह है कि पिछले 24 घंटे में 705 कोरोना मरीज ठीक हुए हैं जो कि एक दिन में सबसे ज्यादा है.
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