डेल्टा के मुकाबले क्यों कमजोर है Omicron? AIIMS डायरेक्टर ने बताया खुद-ब-खुद कैसे हो जाता है बेअसर
Omicron New Variant: कोरोना वायरस का नया वैरिएंट डेल्टा की तरह फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाता है. Omicron फेफड़ों पर डेल्टा के मुकाबले 10 गुना कम असर डालता है.
नई दिल्ली: नए साल (New Year) की शुरुआत हो चुकी है और नए साल में कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से घबराने नहीं बल्कि सावधान रहने की जरूरत है. Omicron तेजी से जरूर फैल रहा है लेकिन वो गंभीर नहीं है. ऐसा एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया (Randeep Guleria) का कहना है. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि Omicron में इस बात की बेहद कम संभावना है कि मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट (Oxygen Support) की जरूरत पड़े इसलिए पहले की गलतियां दोहराने की जरूरत नहीं है.
कोरोना का 'अंतकाल'
Omicron को दुनियाभर के कई वैज्ञानिक Endemic की शुरुआत का पहला चरण मान रहे हैं और इसके पीछे कुछ ठोस वैज्ञानिक कारण भी हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जब किसी देश में 60 से 70 फीसदी लोगों में इन्फेक्शन या टीके से एंटीबॉडीज आ जाती हैं तो नया Mutated वायरस अपने आपको कमजोर और शरीर के लिए कम घातक बनाने लगता है. हालांकि ये फैलता तेजी से है ताकि वो ज्यादा से ज्यादा इंसानों के शरीर में अपना घर बना ले.
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Omicron और डेल्टा वैरिएंट में क्या है अंतर?
दोनों वैरिएंट के फैलने की रफ्तार की बात करें तो डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले Omicron के फैलने की रफ्तार 70 गुना ज्यादा है जबकि डेल्टा वैरिएंट के फैलने की रफ्तार फ्लू के मुकाबले 10 गुना ज्यादा है. डेल्टा का असर फेफड़े पर काफी ज्यादा होता है. डेल्टा की तुलना में Omicron का फेफड़े पर असर 10 गुना कम है जबकि डेल्टा वैरिएंट का फेफड़े पर काफी ज्यादा असर होता है. आपको याद होगा कि ब्लैक फंगस जैसी जानलेवा बीमारी हुई थी और हजारों लोगों की मौत सांस सही से नहीं लेने की वजह से हो गई थी.
डेल्टा के मुकाबले क्यों कमजोर है Omicron?
गौरतलब है कि Omicron जब शरीर में प्रवेश करता है तो वो श्वास नली में खुद को विकसित करता है. मतलब वो श्वास नली में ही रुक जाता है और फेफड़े तक पहुंचते-पहुंचते बेहद कमजोर या बेअसर हो चुका होता है. जबकि डेल्टा श्वास नली में रुकने के बजाय सीधे फेफड़े पर अटैक करता है इसीलिए ये ज्यादा जानलेवा है.
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एंटीबॉडी के लिहाज से दोनों वैरिएंट के असर अलग-अलग हैं. दरअसल Omicron जब श्वास नली में रुकता है तो हमारी एंटीबॉडी जो शरीर में मौजूद है खुद ब खुद उसे कमजोर कर देती है और ये सबकुछ नेचुरल तरीके से होता है जबकि डेल्टा में ऐसा नहीं होता है क्योंकि इस वैरिएंट का वायरस श्वास नली में रुकता ही नहीं है बल्कि सीधे फेफड़े पर असर करता है.
Omicron में सबसे बड़ी राहत की बात ये है कि इसमें मृत्यु दर बेहद कम है. जो लोग पहले से बहुत बीमार हैं उनके लिए थोड़ी चिंता की बात है. डेल्टा वैरिएंट बेहद खतरनाक था और इसमें मृत्यु दर काफी ज्यादा है. आपको याद होगा इस साल अप्रैल और मई में कैसे डेल्टा वैरिएंट ने कोहराम मचाया था? जान लें कि Omicron के लक्षण गले में चुभन, बंद नाक, पीठ के निचले हिस्से में दर्द हैं जबकि डेल्टा के सांस लेने में तकलीफ लेने सहित कई लक्षण हैं.