Manipur में अचानक क्यों भड़की हिंसा की आग? जानिए क्यों देना पड़ा दंगाइयों को गोली मारने का आदेश
Manipur Violence: मणिपुर में आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच भड़की हिंसा ने अब विकारल रूप ले लिया है. आग की तरह फैलती इस स्थित पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार ने दंगाइयों देखते ही गोली मारने का आदेश दिया है. आइए जानते हैं कि ऐसा क्या हुआ जो बीरेन सरकार को ये कड़ा कदम उठाना पड़ा है.
Manipur Internet Services: मणिपुर में नगा और कुकी आदिवासियों द्वारा ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद बुधवार को हिंसा भड़क गई जिसने देखते ही देखते राज्य के बड़े हिस्से को अपने चपेट में ले लिया. बुधवार की रात ये हिंसा और ज्यादा बढ़ गई. स्थिति का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि बढ़ती हिंसा को कंट्रोल करने लिए गुरुवार को राज्य सरकार ने दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी कर दिया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से बात की और राज्य की स्थिति का जायजा लिया.
क्या है पूरा मामला?
राज्य की आबादी में 53 फीसदी हिस्से वाले गैर-आदिवासी मेइती समुदाय अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग कर रहे हैं. इसके खिलाफ चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (All Tribal Student Union Manipur) द्वारा ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया. बुधवार के दिन हुए इस प्रर्दशन में हिंसा भड़क गई. आपको बता दें कि मणिपुर उच्च न्यायालय ने पिछले महीने राज्य सरकार को कहा था कि वह मेइती समुदाय के एसटी दर्जे की मांग पर 4 सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजे. इसके बाद ही आदिवासी एकजुटता मार्च का आयोजन किया गया था.
कैसे भड़की हिंसा?
पुलिस ने बताया कि चुराचांदपुर जिले के तोरबंग में मार्च चल रहा था. इस दौरान हथियार लिए हुए लोगों की एक भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के लोगों पर हमला कर दिया, जिसकी जवाबी कार्रवाई में भी हमले हुए. इसके कारण पूरे राज्य में हिंसा भड़क गई. सूत्रों की मानें तो हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से अब तक 9,000 लोगों को सुरक्षाबलों ने इलाकों से निकालकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया है. अभी बाकी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.
स्थिति पर काबू पाने के हो रहा है प्रयास
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो करीब 5,000 लोगों को चुराचांदपुर में सुरक्षित गृहों में पहुंचाया गया. वहीं 2,000 लोगों को इंफाल घाटी में और अन्य 2,000 लोगों को तेनुगोपाल जिले के सीमावर्ती शहर मोरेह में स्थानांतरित कर दिया गया है. रात में सेना और असम राइफल्स को बुलाया गया था और राज्य पुलिस के साथ सुरक्षा बलों ने सुबह तक हिंसा पर नियंत्रण पा लिया. बता दें कि इस गंभीर स्थिति पर नियंत्रण में रखने के लिए फ्लैग मार्च किया जा रहा है.
(इनपुट: एजेंसी)