नेशनल कॉन्फ्रेंस-PDP के लिए कितनी बड़ी चुनौती हैं इंजीनियर रशीद? घाटी में पहुंचते ही दे दी चुनौती
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नेशनल कॉन्फ्रेंस-PDP के लिए कितनी बड़ी चुनौती हैं इंजीनियर रशीद? घाटी में पहुंचते ही दे दी चुनौती

Engineer Rashid: आतंकी फंडिंग मामले में अंतरिम जमानत पर रिहा हुए राशिद ने श्रीनगर एयरपोर्ट पर पहुंचने पर झुककर और जमीन को चूमकर अपना आभार व्यक्त किया. राशिद ने कहा कि यह मेरी जमीन है और मैं ऐसी लड़ाई लड़ रहा हूं जो वे (उमर और महबूबा) नहीं लड़ सकते. मेरी लड़ाई उनसे कहीं बड़ी है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस-PDP के लिए कितनी बड़ी चुनौती हैं इंजीनियर रशीद? घाटी में पहुंचते ही दे दी चुनौती

Jammu Kashmir News: आवामी इत्तिहाद पार्टी (एआईपी) के प्रमुख और उत्तरी कश्मीर के बारामुल्ला से सांसद इंजीनियर राशिद पांच साल तिहाड़ जेल में बिताने के बाद गुरुवार को श्रीनगर लौटे. तिहाड़ जेल से अंतरिम जमानत पर रिहा हुए इंजीनियर राशिद ने बारामुल्ला में एक जनसभा को संबोधित किया. इंजीनियर राशिद को सुनने के लिए हजारों लोग मौजूद थे, जिनमें ज्यादातर युवा थे. नेशनल कॉन्फ्रेंस के दिग्गज उमर अब्दुल्ला को 2 लाख वोटों के अंतर से हराने वाले राशिद को जम्मू कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत की उम्मीद है, जो 10 साल के अंतराल के बाद हो रहा है. 

नेशनल कॉन्फ्रेंस-PDP के लिए चुनौती?

असल में राशिद ने अपने संबोधन के दौरान जम्मू कश्मीर और बीजेपी के सभी बड़े नेताओं पर हमला बोला और लोगों से वादा किया कि अगर उन्होंने उन्हें मौका दिया और उनके उम्मीदवारों को वोट दिया तो वे जम्मू कश्मीर की राजनीतिक कहानी बदल देंगे. इंजीनियर ने उन पर लगे बीजेपी के प्रॉक्सी होने के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि यह नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ही हैं जिन्होंने कश्मीर में बीजेपी के लिए सड़कें बनाई हैं.

मैं ऐसी लड़ाई लड़ रहा हूं जो..

आतंकी फंडिंग मामले में अंतरिम जमानत पर रिहा हुए राशिद ने श्रीनगर एयरपोर्ट पर पहुंचने पर झुककर और जमीन को चूमकर अपना आभार व्यक्त किया राशिद ने कहा कि यह मेरी जमीन है और मैं ऐसी लड़ाई लड़ रहा हूं जो वे (उमर और महबूबा) नहीं लड़ सकते. मेरी लड़ाई उनसे कहीं बड़ी है. राशिद ने आत्म-सम्मान और "सम्मान के साथ शांति" की वकालत करने के प्रति अपने समर्पण पर जोर दिया कहा कश्मीर में  कब्रिस्तान की शांति है जो दुनिया को दिखाई जा रही है. 

नया कश्मीर" के वादों की आलोचना

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "नया कश्मीर" के वादों की आलोचना की और कहा कि कश्मीर के लोगों ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान अपने वोटों के जरिए उन दावों को जवाब  दिया है. उनकी वापसी को जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में देखा जा रहा है, जो उन्हें स्थापित क्षेत्रीय दलों के लिए एक मजबूत चुनौती के रूप में स्थापित करता है. उन्होंने कहा कि महबूबा मुफ्ती और मुफ्ती सैयद का विश्वासघात शेख अब्दुल्ला से कुछ कम नहीं  है. मुफ्ती जम्मू-कश्मीर में भाजपा को लेकर आए. उन्होंने महबूबा से कहा की वो भाजपा के साथ गठबंधन के लिए लोगों से माफी माँगे.

जनसभा में खास तौर पर युवाओं की अच्छी खासी भीड़ उमड़ी, जिन्होंने कहा कि राशिद की रिहाई ने उमर अब्दुल्ला और पीडीपी दोनों को बेचैन कर दिया है. कई उपस्थित लोगों का मानना ​​है कि राशिद वास्तव में लोगों के दर्द और पीड़ा को समझते हैं क्योंकि वह एक आम आदमी हैं और हमारे बीच के हैं. रैली ग्राउंड में उनके समर्थकों ने कहा कि हमें 70 सालों से क्या  मिला है, हेम बदलाव की जरूरत है. उन्हें (राशिद) को जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहत ज़ाहिर की.

युवाओं में एक नई चिंगारी पैदा कर सकते हैं

इंजीनियर राशिद के लिए बढ़ते समर्थन से संकेत मिलता है कि उत्तर कश्मीर में एआईपी सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों को नुकसान पहुंचाएगी वो भी भाजपा के लिए प्रॉक्सी लेबल किए जाने के बावजूद और एनसी और पीडीपी के विकल्प के रूप में दिखाई दे सकती है. लेकिन कश्मीर में उनकी ताकत निश्चित रूप से कश्मीर के लोगों के वोटों को विभाजित करेगी, जिससे भाजपा को मदद मिलेगी क्योंकि बीजेपी का गढ़ जम्मू है, जहां राशिद की पहुंच कम है.

लेकिन सवाल यह उठता है कि अलगाववाद की सोच को आगे बढ़ाने वाले इंजीनियर कश्मीर के युवाओं में एक नई चिंगारी पैदा कर सकते हैं, जो कश्मीर की नियंत्रित स्थिति के लिए खतरनाक हो सकती है, जिसे बुझाने में सरकार को फिर सालों लग गए. अब सबकी निगाहें 8 अक्टूबर पर टिकी हैं, जब चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे और अगर इंजीनियर राशिद बड़ी जीत के साथ उभरे तो यह न केवल सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, बल्कि एनसी और पीडीपी के युग को भी समाप्त कर देगा.

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