DNA Analysis: तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में एक युवक की सरेआम हत्या कर दी गई. इस युवक का नाम बी. नागराजू था. 25 साल के नागराजू का गुनाह सिर्फ इतना था कि उन्होंने एक मुस्लिम लड़की से प्रेम विवाह किया था. तीन महीने पहले ही उन दोनों की शादी हुई थी. लेकिन मुस्लिम लड़की के परिवार को किसी भी कीमत पर ये रिश्ता मंजूर नहीं था. उसने नागराजू को जान से मार डाला. ये घटना हैदराबाद के सरूरनगर इलाके में हुई. कल रात नागराजू बाइक पर अपनी पत्नी असरीन सुल्ताना उर्फ पल्लवी के साथ जा रहे थे. सुल्ताना का भाई सैयद मोबिन अहमद घात लगाए था. मोबिन के साथ उसका रिश्तेदार मसूद अहमद भी था. मोबिन और मसूद ने नागराजू पर हमला बोल दिया. उन्होंने नागराजू को लोहे की रॉड से बुरी तरह पीटा. फिर उसे बीच सड़क पर चाकू से गोद कर मार डाला.


सब तमाशबीन बने रहे


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हमले की जगह पर लगे CCTV में ये पूरी घटना रिकॉर्ड हो गई. तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि मोबिन और मसूद के हाथ में लोहे की रॉड थी. वो नागराजू पर वार कर रहे थे. सुल्ताना ने अपने पति को बचाने की पूरी कोशिश कर रही थी. उसने मोबिन और मसूद से गुहार लगाई कि वो नागराजू को छोड़ दें लेकिन वो नहीं माने. सुल्ताना ने आसपास मौजूद लोगों से भी गुहार लगाई लेकिन किसी ने नागराजू को बचाने की कोशिश नहीं की. रॉड और चाकुओं के वार से नागराजू लहूलुहान हो गए. उस वक्त तस्वीरें विचलित करने वाली हैं. नागराजू की हत्या कर सुल्ताना का भाई मोबिन और मसूद वहां से फरार हो गए. वहां भारी भीड़ मौजूद थी लेकिन किसी ने न तो हत्यारों को पकड़ने की कोशिश नहीं की. वहां से गाडियां निकल रही थीं. लोग आ-जा रहे थे. लेकिन सब तमाशबीन बने रहे.


नागराजू और सुल्ताना स्कूल और कॉलेज में थे एक साथ


नागराजू की मौत के बाद उनका शव सड़क पर पड़ा रहा. सुल्ताना अपने पति की मौत पर रोती रही. जब वो मीडिया के सामने आईं, तब भी उनके लिए बात करना मुश्किल हो रहा था. नागराजू अपने परिवार में अकेले कमाने वाले सदस्य थे. उनकी हत्या के बाद परिवार सदमे में है. ZEE NEWS संवाददाता प्रसाद भोसेकर आज हैदराबाद में उस Spot पर पहुंचे, जहां नागराजू की हत्या की गई थी. वहां सड़क पर खून के धब्बे मौजूद थे. नागराजू की कहानी देश के किसी आम युवक की कहानी है, जिसे अपने साथ पढ़ने वाली लड़की से प्यार हो जाता है. नागराजू और सुल्ताना स्कूल और कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे. उनका धर्म अलग था, लेकिन प्यार धर्म की सीमाओं से ऊपर होता है. नागराजू और सुल्ताना ने inter religion marriage यानी दूसरे धर्म में विवाह करने का फैसला किया.


इसी साल जनवरी में हुई थी शादी


इसी साल जनवरी में सुल्ताना ने अपनी इच्छा से धर्म बदल लिया. वो असरीन सुल्ताना से पल्लवी बन गईं. 31 जनवरी को उन दोनों ने हैदराबाद के आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली. लेकिन इस शादी से सुल्ताना के परिवार के लोग बेहद नाराज थे. सुल्ताना के भाई मोबिन को ये मंजूर नहीं था कि उनकी बहन किसी हिंदू को अपना जीवनसाथी बनाए. उसने सुल्ताना पर दबाव डाला कि वो नागराजू को छोड़ दे लेकिन सुल्ताना इसके लिए तैयार नहीं हुई. इसके बाद सुल्ताना के परिवार ने धमकी दी लेकिन नागराजू और सुल्ताना उनके आगे नहीं झुके. इसके बाद सुल्ताना के भाई ने धर्मांधता और झूठी शान के चक्कर में नागराजू की हत्या कर दी. नागराजू के परिवार के मुताबिक उसने पुलिस में मोबिन के खिलालफ शिकायत की थी लेकिन पुलिस ने समय रहते कार्रवाई नहीं की.


शोर सेलेक्टिव क्यों होता है?


नागराजू की हत्या की ख़बर, लव जिहाद का जिक्र किए बिना पूरी नहीं हो सकती. अगर कोई युवक धोखा देकर किसी दूसरी धर्म की लडकी से शादी करता है और उसका धर्म परिवर्तन कराता है तो इसे हमारे यहां राजनीतिक भाषा में लव जेहाद कहा जाता है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों में आपने ये शब्द खूब सुना होगा. इन राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून बनाये गये हैं. मध्य प्रदेश में इस कानून के तहत पिछले साल 65 केस दर्ज किए गए. लेकिन नागराजू की हत्या के बाद सवाल उठ रहे हैं कि लव जेहाद पर शोर सेलेक्टिव क्यों होता है? नागराजू की हत्या हुए 24 घंटे हो चुके हैं. क्या आपने इस दौरान किसी कथित बुद्धिजीवी, किसी वामपंथी नेता, किसी कथित धर्मनिरपेक्ष लेखक या पत्रकार का बयान देखा. क्या इनमें से किसी ने नागराजू की हत्या की निंदा की? क्या इनमें से किसी ने धर्म की वजह से एक हिंदू युवक के मर्डर के खिलाफ आवाज उठाई. वो बिलकुल खामोश हैं. एकदम चुप हैं.


ओवैसी ने क्यों नहीं दिया बयान?


ये घटना हैदराबाद में हुई. ये AIMIM का गढ़ है. लेकिन क्या आपने AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को नागराजू की हत्या के खिलाफ बयान देते सुना? जरा सोचिए कि अगर इसका reverse यानी उल्टा होता, तो क्या होता. अगर हिंदू लड़की से शादी करने वाले मुस्लिम युवक की इस तरह horror killing कर दी जाती तो क्या ये डिजायनर बुद्धिजीवी, पत्रकार और धर्मनिरपेक्षता का ढोल बजाने वाले नेता क्या ऐसे ही खामोश रहते?


धर्मनिरपेक्षता के नाम पर एजेंडा


नहीं, तब वो चुप नहीं रहते. फिर वो ट्विटर और फेसबुक पर बयान जारी करते. धरना प्रदर्शन करते. विरोध में सभाएं करते. कैंडल मार्च निकालते. इस हत्या को अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार का नाम देते. हो सकता है कि कुछ लोग अवॉर्ड वापसी का ऐलान भी कर देते. सवाल है कि ये selective खामोशी क्यों? यहां एक और तर्क दिया जा सकता है कि नागराजू की हत्या horror killing का एक isolated मामला है. इसे पूरे समाज से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. लेकिन ये तर्क देने वाले लोग तब खामोश हो जाते हैं, जब किसी अल्पसंख्यक की हत्या होती है. तब वो इसे  isolated case नहीं मानते हैं. वो किसी एक मुसलमान की हत्या को पूरे अल्पसंख्यक समाज के खिलाफ साजिश करार देते हैं. ऐसे लोग धर्मनिरपेक्षता के नाम पर एजेंडा चलाते हैं, प्रोपेगेंडा करते हैं और देश को बदनाम करते हैं. हमें याद रखना चाहिए कि खून का कोई धर्म नहीं होता. हर धर्म के व्यक्ति के शरीर में लाल रंग का खून ही बहता है. इसलिए अगर किसी का खून बहता है तो इसके खिलाफ आवाज उठाने से पहले उसका धर्म देखना सही नहीं है.


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