RTI Husband Salary: पति नहीं बता रहा था अपनी सैलरी, पत्नी ने चला ऐसा दांव; खुल गई पोल
Information under RTI: संजू गुप्ता नाम की महिला ने वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 में अपने पति की नेट टैक्सेबल इनकम/ग्रॉस इनकम का ब्योरा जानने के लिए एक आरटीआई डाली थी. शुरुआत में सेंट्रल पब्लिक इन्फॉर्मेशन अफसर (CPIO), आयकर विभाग के बरेली दफ्तर के इनकम टैक्स अफसर ने आईटीआई के तहत यह जानकारी देने से मना कर दिया था क्योंकि पति इसके लिए राजी नहीं था.
What is RTI Act: कितना कमा लेते हो? ये सवाल कई लोगों को असहज कर देते हैं. ऐसी निजी जानकारियां सिर्फ परिवार के लोगों को ही मालूम होती हैं. लेकिन वैवाहिक विवाद के मामले में चीजें अलग होती हैं. जब आप तलाक फाइल करते हैं तो भावनात्मक चुनौतियों के साथ-साथ आपको फाइनेंशियल प्रॉब्लम्स से भी जूझना पड़ता है. संपत्ति दो लोगों के बीच बंटती है. जब तलाक आपसी सहमति से नहीं होता तो कुछ मामलों में पत्नी-पति की आय की जानकारी मांग सकती है और गुजारा-भत्ते की डिमांड कर सकती है. अगर पति आय की जानकारी देने से मना करता है तो पत्नी अन्य तरीकों से भी इनकम मालूम कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल ही में सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन (CIC) ने आयकर विभाग को निर्देश दिया है कि वह 15 दिन के भीतर महिला को उसके पति की नेट टैक्सेबल इनकम/ग्रॉस इनकम की जानकारी दे.
क्या है मामला
दरअसल, संजू गुप्ता नाम की महिला ने वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 में अपने पति की नेट टैक्सेबल इनकम/ग्रॉस इनकम का ब्योरा जानने के लिए एक आरटीआई डाली थी. शुरुआत में सेंट्रल पब्लिक इन्फॉर्मेशन ऑफिसर (CPIO), आयकर विभाग के बरेली दफ्तर के इनकम टैक्स अफसर ने आईटीआई के तहत यह जानकारी देने से मना कर दिया था क्योंकि पति इसके लिए राजी नहीं था.
इसके बाद महिला ने अपील दायर कर प्रथम अपीलीय प्राधिकरण (FAA) से मदद मांगी. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया कि FAA ने CPIO के आदेश को बरकरार रखा और फिर गुप्ता को सीआईसी में दूसरी अपील दायर करनी पड़ी.
CIC ने पुराने फैसलों पर किया गौर
सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन ने अपने पुराने आदेशों और सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के फैसलों पर गौर किया, जिसके बाद 19 सितंबर 2022 को फैसला सुनाया. सीआईसी ने सीपीआईओ को निर्देश दिया कि वह 15 दिन के भीतर पति की नेट टैक्सेबल इनकम/ग्रॉस इनकम की जानकारी पत्नी को दे. बता दें कि प्रॉपर्टी, लायबिलिटीज आयकर रिटर्न, इन्वेस्टमेंट की जानकारी, उधार आदि पर्सनल डिटेल्स की कैटिगरी में आते हैं. आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(जे) के अनुसार, ऐसी निजी जानकारियों को सुरक्षित रखा जाना चाहिए. हालांकि, सुभाष चंद्र अग्रवाल मामले में कोर्ट ने कहा था कि अगर जनहित की शर्त पूरी होती है तो इसकी इजाजत दी जा सकती है.
ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर