मुंबई: कोरोना वायरस (Coronavirus के बढ़ते मामलों के बीच सवाल पूछा जा रहा है कि क्या ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस (Black Fungus or Mucormycosis) वापसी करेगा? दरअसल, मुंबई में हाल ही में ब्लैक फंगस का केस सामने आया है, ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि दूसरी लहर में कई लोगों की जान लेने वाला ब्लैक फंगस एक बार फिर परेशानी का सबब बन सकता है. गौरतलब है कि पिछले साल दूसरी लहर के दौरान यह दुर्लभ इंफेक्शन कोरोना के बाद कई मरीजों की मौत का कारण बना था. 


क्या है ब्लैक फंगस?


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'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, ब्लैक फंगस (Black Fungus) ब्लाइंडनेस (अंधापन), ऑर्गेन डिसफंक्शन, ऊतकों के नुकसान और समय पर इलाज ना मिलने पर मौत की वजह बन सकता है. यह शरीर में प्रवेश करने वाले रास्तों जैसे कि नाक, साइनस और फेफड़े पर भी हमला कर सकता है. डेल्टा वेरिएंट के कारण आई दूसरी लहर में हाई ब्लड शुगर और लंबे वक्त तक स्टेरॉयड पर रहने वाले कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा देखा गया था. इसके अलावा, कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग या जिनका ट्रांसप्लांट हुआ था या फिर जो लंबे समय तक वेंटीलेटर पर थे, उनमें भी इसका जोखिम ज्यादा था.


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क्या होते हैं लक्षण?


नाक बंद होना या नाक बहना, गाल की हड्डी में दर्द, चेहरे के एक हिस्से में दर्द, सुन्नपन या सूजन, दांतों का ढीला होना, दर्द के साथ ब्लर या डबल विजन की समस्या, थ्रोम्बोसिस, नेक्रोसिस, स्किन पर घाव, छाती में दर्द और रेस्पिरेटरी से जुड़ी दिक्कतों का बढ़ना ब्लैक फंगस के लक्षण हैं. डॉक्टरों का कहना है कि यदि को व्यक्ति इन लक्षणों का अनुभव कर रहा है तो उसे तुरंत इसकी जांच करवानी चाहिए. हाल ही में ब्लैक फंगस का पहला मामला मुंबई में दर्ज किया गया है. एक 70 वर्षीय शख्स जिसकी 5 जनवरी को कोरोना पॉजीटिव रिपोर्ट आई थी, उसमें 12 जनवरी को ब्लैक फंगस के लक्षण दिखने शुरू हुए थे. इसके बाद मरीज को सेंट्रल मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल में एडमिट किया गया जहां उसका इलाज चल रहा है.


532 हो गया था शुगर लेवल


रिपोर्ट के मुताबिक वॉकहार्ट अस्पताल के डॉ. हनी सावला (Dr Honey Savla) ने बताया कि मरीज को कमजोरी के चलते 12 जनवरी को अस्पताल में भर्ती किया गया था. एडमिशन के दौरान मरीज का शुगर लेवल 532 के ऊपर चला गया था. इसलिए उसे तुरंत डायबिटिक कीटोएसिडोसिस ट्रीटमेंट पर रखा गया. वहीं, मरीज के घरवालों का कहना है कि वो बीते 10 दिनों से डायबिटीज की दवाएं नहीं ले रहा था. मरीज की शिकायत के तीन दिन बाद उसे गाल की हड्डियों में दर्द और चेहरे पर बाईं तरफ सूजन से म्यूकरमाइकोसिस के लक्षण पता चले.


वैसे तो म्यूकरमाइकोसिस का खतरा फिलहाल बहुत बड़े पैमाने पर नहीं देखा गया है. इस पोस्ट कोविड डिसीज को लेकर कई एक्सपर्ट ने अपनी राय दी है. विशेषज्ञों के मुताबिक म्यूकरमाइकोसिस से बचने के लिए लंबे समय तक हॉस्पिटलाइजेशन, मध्यम से गंभीर COVID मरीजों में लंबे समय तक कोर्टिकोस्टेरॉयड की जरूरत और हल्के इंफेक्शन में स्टेरॉयड के अंधाधुंध प्रयोग से बचने की जरूरत होती है. हालांकि तीसरी लहर में म्यूकरमाइकोसिस के मामले बहुत थोड़े होंगे, क्योंकि ऊपर बताए गए तमाम कारक ओमिक्रॉन के साथ बहुत कम हैं.