Abhinandan program At Nagpur: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि संत ज्ञानेश्वर जैसे भक्त-कवि की रचनाओं का सभी भाषाओं में अनुवाद किया जाना चाहिए. संत ज्ञानेश्वर की रचना ज्ञानेश्वरी का संस्कृत में अनुवाद करने को लेकर कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ मधुसूदन पेन्ना के अभिनंदन कार्यक्रम में उन्होंने यह कहा.


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टीका ज्ञानेश्वरी मराठी की पहली बड़ी कृतियों में एक


भागवत गीता पर 13वीं सदी की टीका ज्ञानेश्वरी मराठी की पहली बड़ी कृतियों में एक है. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हमारे संतों के विचारों का सभी भाषाओं में अनुवाद किया जाना चाहिए क्योंकि यह देश की एकता के लिए उपयोगी हैं.


दुनिया के अच्छे देशों के पास कई तरह के विचार


इससे पहले मंगलवार के दिन नागपुर में राजरत्न पुरस्कार समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कहा था कि दुनिया के अच्छे देशों के पास कई तरह के विचार होते हैं. इनके पास अनेकों सिस्टम हैं, इसी वजह से ये लोग तरक्की के मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं. मोहन भागवत ने कहा कि सिर्फ एक विचारधारा में ऐसी ताकत नहीं है कि वह किसी देश को बना या बिगाड़ सकती है. इसलिए सभी तरफ चाहने वाले विचारों का स्वागत होना चाहिए.


राजा का मतलब सेवक होता है


इस सम्मेलन में आरएसएस प्रमुख ने कहा कि राजा का मतलब सेवक होता है शासक नहीं. मौजूदा दौर प्रजातंत्र का है इसलिए अब कोई राजा नहीं है. उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज ने हमेशा आमजनों के संरक्षरण के लिए काम किया था. इससे पहले बिहार के एक सम्मेलन में आरएसएस चीफ ने कहा था कि अगर भारत को 'विश्व गुरू' बनाना है तो देश सभी लोगों को मिलकर एक साथ काम करना होगा. हमारे महान संतों की शिक्षाओं को आम जीवन में लाना होगा. 


(इनपुट: एजेंसी)


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