Jaigarh Fort Cannon: राजा-महाराजा के समय जब कोई युद्ध होता था तो उसमें तोप का अहम रोल होता था. जिसके पास जितनी अच्छी तोप होती थी उसकी जीत भी उतनी पक्की होती थी. इतिहास अगर देखा जाए तो जब भी कभी राजा-महाराजाओं का युद्ध हुआ तो ताेप के गोलों से बड़े-बड़े किले तक ढहा दिए गए. इनमें से एक तोप ऐसी भी है जाे भारत की सबसे बड़ी तोप है. ताेप के बारे में जानकर आप भी हैरान होंगे.


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दुनिया की सबसे बड़ी तोप


विश्व की सबसे बड़ी तोप का नाम रामबाण है. यह आपको जयपुर के किले में आज भी देखने को मिलेगी. बताया जाता है कि रामबाण तोप को महाराजा सवाई जयसिंह ने द्वितीय शासनकाल (1699-1743) में जयगढ़ में इसका निर्माण कराया था. उन्होंने अपनी रियासत की रक्षा के लिए बनवाया था और 1720 में किले में इसको स्थापित किया था. खास बात तो यह है कि आज तक इस तोप को युद्ध के लिए प्रयोग नहीं किया गया है.


50 टन वजन है इसका


इस तोप का वजन 50 टन है. तोप की बैरल की लंबाई 6.15 मीटर और बैरल की नोक के पास की परिधि 2.2 मीटर है. पीछे की परिधि 2.8 मीटर है. बैरल के बोर का व्यास 11 इंच और टिप पर बैरल की मोटाई 8.5 इंच है. तोप को दो पहिया वाहन में रखा गया है. इसके अलावा गाड़ी में परिवहन के लिए दो हटाने वाले अतिरिक्त पहिए भी लगाए गए हैं. ताेप में लगभग 100 किलो बारूद वाले गोले का प्रयोग किया जाता है.


250 साल पुराना है किला


इस किले की स्थापना सवाई जयसिंह ने सन् 1726 में करवाया था. किले में मुख्य आकर्षण का केंद्र भूमिगत मार्ग है जो आमेर और जयगढ़ किले को जोड़ता है. पहले के समय जब हमला होता था ताे यह मार्ग सुरक्षा प्रदान करता था. किला ईगल्स की पहाड़ी के ऊपर बनाया गया है, जिसे चील का किला भी कहते हैं. पूरा किला लाल बलुआ पत्थर की मोटी दीवारों से बनाया गया है. एक किलोमीटर की चौड़ाई के साथ ही तीन किलोमीटर की श्रंखला में फैला हुआ है. किले के अंदर बहुत ही सुंदर बगीचा व संग्रहालय है, जिसे पर्यटक आज भी देखने आते हैं.


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