Yamuna River Delhi Flood: पूरा देश दिल्ली में बाढ़ को देखकर भयभीत हो गया है. लोग सोच रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि देश की राजधानी दिल्ली में इस तरह पानी बढ़ गया और देखते ही देखते कई महत्वपूर्ण इलाके जलमग्न हो गए हैं. यहां तक कि लाल किले का परिसर भी पानी-पानी हो गया है. इसी बीच लाल किले की कई पुरानी तस्वीरें सामने आ रही हैं जिसमें दिख रहा है यमुना नदी लाल किले के बगल से ही बहा करती थी. यह बात सही है कि यमुना का पानी इस बाढ़ में वहां पहुंच गया जहां कभी सदियों पहले यमुना नदी बहा करती थी. सैकड़ों साल पुराना मंजर देखकर लोग कहने लगे कि नदी अपना रास्ता कभी नहीं भूलती है.


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दरअसल, दिल्ली की इस बाढ़ में यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. लाल किले समेत कई इलाकों में यमुना का पानी भर गया है. लाल किले की लाल दीवारों को छूते हुए यमुना का पानी लोगों को बहुत ही पुरानी याद दिला रहा है. जिस यमुना के किनारे 1638 में लाल किले की नींव रखी गई थी, वही यमुना एक बार फिर से लाल किले के करीब बह रही है. भारतीय वन सेवा के अधिकारी प्रवीन कासवान ने 18वीं शताब्दी की एक तस्वीर शेयर की है जिसमें दिख रहा है कि कैसे यमुना नदी लाल किले के एकदम करीब होकर बहती थी. फिर धीरे-धीरे लोगों ने नदी को पाटकर रिहायश बना लिया और यमुना सिकुड़ती चली गईं.



 


बताया जाता है कि यमुना और लाल किले का रिश्ता पौने चार सौ साल पुराना है. इसलिए लाल किले के पास बह रही यमुना अपने सैकड़ों वर्ष पुराने बहाव के मार्ग पर है. वो ना तो किसी के घर में घुस रही है और ना ही किसी सड़क पर बह रही है. वो अपने पुराने मार्ग पर लौटी है. मीडिया रिपोर्ट्स में दिल्ली के पुराने जानकारों के हवाले से बताया गया है कि दिल्ली में कुल 14 गेट थे, जिनमें वाटर गेट भी शामिल था, इसे यमुना गेट या खिजरी दरवाजा भी कहा जाता था.यही दरवाजा सीधे नदी की ओर खुलता था. यमुना गेट उसी सड़क पर है, जिसे हम लाल किले के पिछले हिस्से के रूप में जानते हैं. इस गेट का नाम जल के सिंधी संत ख्वाजा खिज्र के नाम पर रखा गया था.


उस दौर में यमुना लाल किले के ठीक पीछे बहती थी. फिर दिल्ली के रिहायशी ढांचे में परिवर्तन होता गया और यमुना नदी अपना मार्ग बदलती गई और तमाम कारणों के चलते वह पूर्व की ओर बहुत अधिक घूम गई. लेकिन इस बाढ़ में परिस्थिति पलटकर रख दी. वहीं दिल्ली के अन्य गेट की बात करें तो यमुना गेट के अलावा दिल्ली गेट, कश्मीरी गेट, अजमेरी गेट, तुर्कमान गेट और निगमबोध गेट फिलहाल बचे हैं. लाहौरी दरवाजा, काबुली दरवाजा, लाल दरवाजा और खिजरी दरवाजा लगभग खत्म हो चुके हैं.