Yamuna Old Railway Bridge: दिल्ली में यमुना के जलस्तर में गिरावट हुई है मगर अब भी यह खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है. मंगलवार को यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर चला गया था  जिसके वजह से निचले इलाकों में रहने वाले लगभग साढ़े छह हजार लोगों को निकालने के साथ ही पुराने यमुना पुल पर रेल यातायात निलंबित करना पड़ा था. हालांकि अब यमुना के जलस्तर में कुछ कमी आने की वजह से लगभग 27 घंटे बाद लोहा पुल से ट्रेनों की आवाजाही बुधवार शाम को शुरू हो गई है. पुल के खोले जाने के बाद इस ब्रिज से पहली ट्रेन अमृतसर-जयनगर हमसफर एक्सप्रेस (04652) गुजरी. 


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बता दें पुराने यमुना पुल पर रेल यातायात को मंगलवार शाम 4 बजकर 17 मिनट पर अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया. यह तय किया गया कि ट्रेनों को नई दिल्ली के रास्ते चलने के लिए डायवर्ट किया जाएगा. इसके चलते कई ट्रेनों पर असर हुआ. लोकल ट्रेनों की आवाजाही पर सबसे ज्यादा असर पड़ा.


हथिनीकुंड बैराज से पानी का बहाव कम कर दिया गया
इस बीच हरियाणा ने यमुनानगर में हथिनीकुंड बैराज से पानी का बहाव कम कर दिया है. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि अगले दो से तीन दिन में यमुना का स्तर और कम होगा क्योंकि दिल्ली तथा नदी के जल संचय क्षेत्र में ज्यादा बारिश नहीं हो रही है.


यमुना नदी में बुधवार सुबह सात बजे पानी का स्तर 206.59 मीटर तक बढ़ गया था जो कि खतरे के निशान (205.33 मीटर) से अधिक था और अगस्त 2019 के बाद से अब तक का सबसे ऊंचा स्तर था. नदी में पानी का स्तर सुबह आठ बजे घटकर 206.58 मीटर रह गया.


निचले इलाकों में सिविल डिफेन्स कार्यकर्ता तैनात
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्होंने नदी का स्तर सामान्य होने तक, निचले इलाकों में लोगों को उनके घरों में वापस जाने से रोकने के लिए बड़ी संख्या में सिविल डिफेन्स कार्यकर्ताओं को तैनात किया है. दिल्ली के इन इलाकों में लगभग 37 हजार लोग रहते हैं.


पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी अनिल बांका ने कहा, “ज्यादातर लोग स्वयं सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं. दिल्ली प्रशासन को उनमें से लगभग साढ़े छह हजार को निकाला और उन्हें सामुदायिक केंद्रों, स्कूलों तथा अस्थायी शिविरों में भेज दिया.”


खतरे के निशान से ऊपर चला गया था जल स्तर
नदी के जल संचय क्षेत्र में 21 सितंबर से 25 सितंबर के बीच भारी बारिश के कारण, दिल्ली में नदी का जलस्तर सोमवार रात को खतरे के निशान (205.33 मीटर) से अधिक हो गया था और मंगलवार सुबह 206 मीटर से ज्यादा पर पहुंच गया था.


आम तौर पर यमुना में जुलाई या अगस्त के महीने में बाढ़ आती है जब मॉनसून के चलते अधिकतम वर्षा होती है. पिछले दो महीने में यह दूसरी बार है जब लोगों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से निकाला जा रहा है.



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