EVM का इस्तेमाल भारत में पहली बार 1982 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान हुआ था. तब 50 पोलिंग Stations में एक प्रयोग के तौर पर इनका इस्तेमाल हुआ था. लेकिन ये चुनाव विवादों में आ गया था क्योंकि EVM की उपयोगिता पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मतदान खारिज कर दिया था और इन 50 पोलिंग स्टेशनों पर दोबारा बैलट पेपर से वोटिंग करवाने का आदेश दिया था .


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अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा था कि EVM को तब तक इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, जब तक इस पर कोई स्पष्ट कानून ना बने. 


इसके बाद 1988 में संसद ने पहली बार Representation of the People Act 1951 में संशोधन किया गया और EVM के इस्तेमाल की मंज़ूरी दे दी गई. नवंबर 1998 में प्रयोग के तौर पर 16 विधानसभा सीटों पर EVM का इस्तेमाल किया गया था. तब मध्य प्रदेश और राजस्थान में 5-5 सीटों पर और दिल्ली में 6 सीटों पर EVM का प्रयोग हुआ था. 


इसके बाद 2001 में तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में सभी सीटों पर EVM का प्रयोग हुआ और फिर 2004 के लोकसभा चुनाव में पहली बार पूरे देश ने ईवीएम के ज़रिए अपना वोट दिया था.


2004 से लेकर अब तक, हर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में वोटिंग EVM के ज़रिये ही हुई है. 
लेकिन विपक्ष में बैठी पार्टियां इस पर तभी सवाल उठाती हैं जब वो चुनाव में हार रही होती हैं. जीतने पर इन्हें EVM में कोई त्रुटि नज़र नहीं आती.