आज 16 दिसंबर है. और आज भारत को विजय दिवस मनाकर गर्व करना चाहिए. लेकिन ये दुख की बात है कि आज हम निर्भया और अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर हिंसा करने वालों छात्रों की बात कर रहे हैं . हमारी अगली ख़बर भारतीय सेना की जीत और पाकिस्तान के हार की है . 48 वर्ष पहले साल 1971 में, आज ही के दिन भारत के सामने पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिकों और अफसरों ने आत्मसमर्पण किया था . और एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का जन्म हुआ था . और तब पाकिस्तान को भारत की शक्ति का एहसास हो गया था.


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अभी आप 16 दिसम्बर 1971 की वो तस्वीरें देख रहे हैं, जब पाकिस्तान के 93 हज़ार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था . 3 दिसंबर 1971 से 16 दिसंबर 1971 तक.. यानी सिर्फ 13 दिन तक चले युद्ध में 93 हज़ार पाकिस्तानी सैनिकों भारतीय सेना के सामने हथियार डाल दिए थे . ये तस्वीरें 16 दिसंबर 1971 की हैं जब ढाका के रमना रेस कोर्स ग्राउंड पर.


पाकिस्तानी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल खान नियाज़ी ने भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने सरेंडर कर दिया था . ये दिन और ये तस्वीरें पाकिस्तान के लिए बहुत ही शर्मनाक लम्हा था . एक राष्ट्र के तौर पर पाकिस्तान के ना सिर्फ दो टुकड़े हो गए थे... बल्कि उसकी आधी आबादी और ज़मीन का एक बहुत बड़ा टुकड़ा भी उससे छिन गया था .


1971 के युद्ध से पहले पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों. खासकर हिंदुओं पर कई तरह के जुल्म ढाए.. उनका नरसंहार किया था. पूर्वी पाकिस्तान को आज आप बांग्लादेश के नाम से जानते हैं. वहां की लाखों महिलाओं का शोषण किया गया था. इसके बाद बड़ी संख्या में ये लोग भारत में शरण लेने लगे और भारत की अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ने लगा और तब भारत ने ये तय किया था कि पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को उनका हक दिलाना ही होगा .


द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ये आधुनिक सैनिक इतिहास में सबसे कम समय में समाप्त होने वाले युद्धों में से एक था. सिर्फ 13 दिन में इस युद्ध को जीतकर भारतीय सेना ने साबित कर दिया था, कि पाकिस्तान चाहे कितनी भी कोशिश कर ले... भारत से जीतने का उसका सपना... हमेशा सपना ही रहेगा .


आज आपको Citizenship Amendment Act और 1971 के युद्ध का कनेक्शन भी समझना चाहिए . दोनों का कनेक्शन ये है कि बांग्लादेश से आए शरणार्थियों में 90 प्रतिशत हिंदू थे. जून 1971 तक पूर्वी पाकिस्तान से आए 53 लाख 30 हजार हिंदुओं ने भारत में शरण ली थी... और ये वहां से इसलिए भागे क्योंकि पाकिस्तान की सेना चुन चुनकर हिंदुओं का नरसंहार कर रही थी .


वर्ष 1971 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल याहया खान ने लेफ्टिनेंट जनरल टिक्का ख़ान को पूर्वी पाकिस्तान का गवर्नर बना दिया था. और जनरल टिक्का ख़ान ने 25 मार्च 1971 को... द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सबसे बड़े नरसंहार की शुरुआत की थी. इसी रात अवामी लीग के प्रमुख और पूर्वी पाकिस्तान के सबसे बड़े नेता शेख मुजीबुर्रहमान को गिरफ्तार कर पश्चिमी पाकिस्तान भेज दिया गया था. रात को पाकिस्तान की सेना ने ऑपरेशन Searchlight(सर्च लाइट) शुरू किया था .

उस समय ढाका में अमेरिकी दूतावास में काउंसिल जनरल आर्चर ब्लड(Archer Blood) ने पूरे घटनाक्रम को अपनी आंखों से देखा था . और एक अमेरिकी पत्रकार गैरी जे बास (Gary J. Bass) ने दूतावास द्वारा भेजी गई Reports के आधार पर एक किताब लिखी जिसका नाम है The Blood Telegram . इसके मुताबिक 25 मार्च की रात ढाका यूनिवर्सिटी में सेना ने मोर्टारों और मशीनगनों से हमला किया.


और इक़बाल हॉल नाम के एक हॉस्टल को नष्ट कर दिया था . सबसे भयानक हत्याकांड जगन्नाथ हॉल नामक एक हॉस्टल में किया गया था जहां हिंदू छात्र रहते थे . अमेरिकी दूतावास ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि हिंदू प्रोफेसरों को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया था. अगले दिन 26 मार्च को ढाका यूनिवर्सिटी पर दोबारा हमला किया गया और 25 हिंदू छात्रों को मारा गया था.


ढाका के पास के हिंदू गांवों पर हमलों के लिए टैंक, राइफलों और मशीनगनों का इस्तेमाल किया गया था. यानी निहत्थे हिंदुओं की हत्या के लिए आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था . एक अमेरिकी अफसर डेसिक्स मायर्स( DESAIX MYERS) ने अपने दोस्त को पत्र लिखकर चिटगांव के पास हुए हत्याकांड के बारे में बताया था.


पत्र के अनुसार एक हिंदू गांव में पाकिस्तान की सेना ने 600 लोगों को घरों से निकाला, लाइन में खड़ा किया और उन्हें गोली मार दी . पाकिस्तान की सेना सड़कों पर भी लोगों की तलाशी लेती थी, और हिंदू पाए जाने पर उन्हें मार डालती थी.
बाद में पाकिस्तान के सैनिक अधिकारियों ने जांच आयोग के सामने स्वीकार किया था कि उन्हें हिंदुओं के संहार के लिए आदेश मिला था . बड़े अधिकारी अपने सैनिकों से पूछते थे कि उन्होंने कितने हिंदुओं की हत्या की . पाकिस्तानी सेना के एक लेफ्टिनेंट कर्नल ने स्वीकार किया था कि पूर्वी पाकिस्तान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाज़ी ने अपनी सेना से ये जानकारी ली थी कि वहां कितने हिंदुओं को मारा गया था. इस लेफ्टिनेंट कर्नल ने कबूला था कि उसे पाकिस्तानी सेना के एक ब्रिगेडियर ने हिंदुओं के नरसंहार के लिखित आदेश भी दिए थे .


अमेरिकी काउंसिल जनरल को आर्चर ब्लड ने हिंदुओं के प्रति पाकिस्तान की इस नफरत के बारे में कई बार लिखा था . आर्चर ब्लड के मुताबिक पाकिस्तानी सैनिक अधिकारी... पाकिस्तानी और भारतीय हिंदुओं में कोई फर्क नहीं करते थे ... दोनों को दुश्मन मानते थे . ये वही प्रताड़ना है जिसकी वजह से वर्ष 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के हिंदू... भारत में शरण लेने के लिए मजबूर हुए थे.


भारत के ऐसे ही शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन कानून बनाया गया है. और इसी कानून के विरोध में देश के कई शहरों में हिंसा हो रही है. ये हिंसक प्रदर्शनकारी क्या भारत में हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने के विरोधी हैं? इस नागरिकता कानून की वजह से 50 वर्षों के इंतजार के बाद हिंदू शरणार्थियों को न्याय मिलेगा. और ये हमारे देश का दुर्भाग्य है कि इन शरणार्थियों की सम्मानजनक वापसी का विरोध किया जा रहा है.