Zee Jaankari: क्या आप इस बार ग्रीन पटाखों के साथ दीवाली मनाएंगे?
अच्छी खबर ये है कि दिल्ली और NCR के बाजारों में Green पटाखें बिकना शुरु हो चुके है .
अब समय है दिल्ली और NCR की Eco Friendly दीवाली के विश्लेषण का. इस वर्ष दिल्ली और NCR में इस तरह से दीवाली मनाए जाने की संभावना है, जिससे पिछले वर्षों की तुलना में कम वायु और ध्वनि प्रदूषण होगा. ऐसा Green पटाखों की वजह से होगा. आज केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बच्चों से अपील की है कि वो Green पटाखे जलाकर दीवाली मनाएं . 27 अक्टूबर को दीवाली है . ऐसे में आज हम दिल्ली NCR की Green पटाखों वाली दीवाली का विश्लेषण करेंगे .पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में पटाखों के निर्माण, बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाने वाले Green पटाखों का विकल्प उपलब्ध करवाएं. जिसके बाद The Council of Scientific & Industrial Research यानि CSIR और National Environment Engineering Research Institute ने Green पटाखों को विकसित किया . भारत Green Crackers का इस्तेमाल करने वाला पहला देश बन सकता है.
अच्छी खबर ये है कि दिल्ली और NCR के बाजारों में Green पटाखें बिकना शुरु हो चुके है . महत्वपूर्ण बात ये है कि Green पटाखों के पैकेट पर Logo और QRcode है . जिसे Scan करके आप पता लगा सकते हैं कि आप जिन पटाखों को खरीद रहे हैं, उनमें किन Chemicals का इस्तेमाल हुआ है . यानि आप Logo और Barcode की मदद से Green पटाखों की पहचान कर सकते हैं.
दिल्ली की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक वायु प्रदूषण है . 25 सितंबर को World Lung Day के मौके पर हमने दिल्ली में रहने वालों के फेफड़ों का DNA टेस्ट किया था . जिसमें हमने आपको बताया था कि वायु प्रदूषण की वजह से आपकी सेहत पर क्या असर पड़ता है. अब दीवाली की रात को वायु प्रदूषण को कम करने के लिए.
दिल्ली NCR में सामान्य पटाखों की जगह Green पटाखों का विकल्प उपलब्ध है. Green पटाखों को जलाने पर तेज आवाज और अच्छी रोशनी होगी, लेकिन धुआं कम निकलेगा.Green पटाखों में Aluminium ( एल्यूमिनियम )......Potassium ( पोटेशियम ).. Barium nitrate( बेरिमय नाइट्रेट ) और sulfur ( सल्फर ) का इस्तेमाल किया गया है.
Green पटाखों में Lithium ( लीथियम) .. Mercury ( मरक्यूरी )...Arsenic ( आर्सेनिक ) और Lead ( लेड) जैसे खतरनाक Chemicals का उपयोग नहीं किया गया है . जिसकी वजह से सामान्य पटाखों की तुलना में Green पटाखों से 35 से 40 प्रतिशत कम हानिकारक धुआं निकलेगा . इसी तरह सामान्य पटाखों की तुलना में Green पटाखों से पीएम 2.5 और पीएम 10 भी 35 से 40 प्रतिशत कम पैदा होगा .
PM का मतलब Particulate Matter होता है. सरल शब्दों में कहें तो वातावरण में ऐसे छोटे छोटे कण होते हैं . जिनका पता केवल Electron Microscope ( इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप ) का उपयोग करके ही लगाया जा सकता है . ये खतरनाक कण होते हैं . जो सांस लेने के दौरान शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जो कई रोगों की वजह बनते हैं .
भारत में प्रदूषण की वजह से हर साल करीब 12 लाख लोगों की मौत होती है . सिर्फ दिल्ली में हर साल प्रदूषण की वजह से 10 हज़ार से 30 हज़ार लोगों की मौत होती हो जाती है . आप समझ सकते हैं कि Green पटाखों के जरिए हम पर्यावरण के साथ-साथ खुद की सेहत की रक्षा भी कर सकते हैं . अब आपको Green Crackers के इस्तेमाल में आने वाली परेशानियों को भी समझना चाहिए . अभी सिर्फ 165 पटाखा निर्माता कंपनियों को ही Green पटाखों के निर्माण की अनुमति मिली है . और 65 पटाखा निर्माताओं की लाइसेंस की प्रक्रिया चल रही है
बाजार में उपलब्ध Green पटाखों में Variety कम है . यानि लोगों के पास Green पटाखों के नाम पर सिर्फ फुलझड़ी, अनार, चकरी और सुतली बम का ही विकल्प है . आम लोगों को Green पटाखों की मूल्यों को लेकर भी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है . सामान्य पटाखों की तुलना में Green पटाखों का मूल्य दो गुना है .
सरकार Green पटाखों के जरिए पर्यावरण की रक्षा करना चाहती है. लोगों के स्वास्थ्य की दृष्टि से भी ये अभियान अच्छा कहा जा सकता है . लेकिन Green पटाखा अभियान की सफलता के लिए सरकार को काफी कोशिश करनी होगी. बाज़ार में मांग और आपूर्ति का ध्यान रखने की जरुरत है . इसके साथ ही वायु प्रदूषण की दूसरे बड़ी वजहों पर ध्यान देने की कोशिश भी की जानी चाहिए.