नई दिल्ली : कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो देखने और सुनने में छोटी लगती हैं लेकिन उनका दायरा बहुत व्यापक होता है और उनसे देश की छवि को भी नुकसान होता है। आज DNA की शुरुआत हम एक ऐसी ही ख़बर से कर रहे हैं, हमारे पास ये ख़बर पश्चिम बंगाल के हुगली ज़िले से आई है जहां आसनपुर गांव में शनिवार को भीड़ ने एक एनआरआई महिला और उसकी बेटी के साथ ज़बरदस्त मारपीट की उन्हें लूटा और उन्हें ज़िंदा जलाने की कोशिश की। 


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अमेरिका के ह्यूस्टन से आई ये एनआरआई महिला अपनी बेटी और ड्राइवर के साथ आसनपुर गांव में अपने एक रिश्तेदार से मिलने गई थी। तभी अचानक भीड़ ने इन लोगों पर हमला कर दिया। भीड़ में कुछ लोगों के पास लोहे की छड़ें थीं उन्होंने इस महिला की गाड़ी को भी तोड़ दिया और उसमें आग लगा दी। एनआरआई महिला का आरोप है कि उनके पास जो भी पैसा था, उसे भीड़ ने छीन लिया और उनके गहने भी लूट लिए। इस एनआरआई महिला की बेटी दिव्यांग है। भीड़ ने लूटपाट के दौरान उसके साथ छेड़छाड़ की और उसकी पिटाई की। किसी तरह पुलिस ने इन लोगों को भीड़ से छुड़वाया और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया। दोनों महिलाएं और उनका ड्राइवर बुरी तरह से घायल हैं। पुलिस ने इस मामले में 11 गांव वालों को गिरफ्तार किया है। 


इस एनआरआई महिला की उम्र 75 वर्ष है और ये महिला अपने पति के साथ 12 वर्ष पहले अमेरिका चली गई थी। जबकि इस महिला की दिव्यांग बेटी पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले में रहती है और एक यूनिवर्सिटी में टीचर है। हैरानी की बात ये है कि अपराध करने वाली भीड़ में आसपास के गांव की महिलाएं भी शामिल थीं। कुल मिलाकर स्थिति ये है कि इस एनआरआई महिला का भारत में अपने रिश्तेदारों से मिलने का अनुभव ऐसा हो गया कि वो ज़िंदगी में कभी भी इसे याद नहीं करना चाहेंगी और इसे जल्द से जल्द भूलने की कोशिश करेंगी। ये महिला अब एक मिनट के लिए भी भारत में नहीं रुकना चाहती और वापस अमेरिका जाना चाहती हैं। 


भारत में जब भी किसी एनआरआई या विदेशी पर्यटक के साथ कोई शर्मनाक घटना होती है, तो इससे देश की छवि खराब होती है। और इस बार भी ऐसा ही हुआ है। ज़्यादातर लोग इस घटना को मारपीट की एक सामान्य घटना समझ लेंगे लेकिन हमे लगता है कि इस ख़बर का दायरा बहुत बड़ा है और इसका असर भी व्यापक है। ये ख़बर भारतीय समाज के दोहरे चरित्र पर उंगली उठाती है और इससे हमारे देश की छवि पर भी धब्बा लगता है। इसलिए आज हमने इस ख़बर को प्राथमिकता दी है।


-2015 के Travel & Tourism Competitiveness Index के मुताबिक पूरी दुनिया में भारत का स्थान 52वां है। 
-ये इंडेक्स किसी देश में एक टूरिस्ट को मिलने वाली सुविधाओं और सुरक्षा की भावना को आधार बनाकर तैयार किया जाता है। 
-इस इंडेक्स का एक बिंदु ये भी है कि किसी टूरिस्ट को देश में सर्विस इंफ्रास्ट्रक्चर मिल रहा है या नहीं। इस लिस्ट में 141 देशों में से भारत का नंबर 109वां है। 
-पर्यटकों की सुरक्षा के मामले में भारत का नंबर 129 वां है। यानी पर्यटकों की सुरक्षा के लिहाज से भारत बहुत असुरक्षित है। पश्चिम बंगाल में हुई घटना इस आंकड़े की पुष्टि करती है।


इस ख़बर का एक दूसरा पहलू भी है और आपको उसके बारे में भी पता होना चाहिए। पिछले दो हफ्तों से पश्चिम बंगाल में एक अफवाह फैली हुई है। अफवाह ये है कि कुछ लोग पश्चिम बंगाल के गांवों से बच्चों और लड़कियों की तस्करी करने के लिए आएंगे और साथ ही गांवों में लूटपाट और मारपीट भी करेंगे। सोशल मीडिया में ये अफवाह पिछले दो हफ्तों से फैली हुई है। और ये बात पूरी तरह से झूठी है। पश्चिम बंगाल की पुलिस ने इस अफवाह को फैलाने के आरोप में 25 लोगों को गिरफ्तार भी किया है। हमें यकीन है कि इस अफवाह को फैलाने के पीछे कुछ असामाजिक लोगों का हाथ होगा और अपराधियों ने सोचा होगा कि इस अफवाह में उनके अपने अपराध छिप जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं होगा हम ऐसे लोगों का पर्दाफाश करते रहेंगे।


कुल मिलाकर ये एक शर्मनाक घटना है। ऐसी घटनाएं भारत की छवि को दागदार बनाती हैं। भारत में अक्सर कहा जाता है अतिथि देवो भव: यानी मेहमान भगवान के समान होता है। लेकिन ये बात अब सिर्फ पाठ्य-पुस्तकों तक ही सीमित होकर रह गई हैं। ज़रा सोचिए जो एनआरआई कुछ दिनों के लिए छुट्टी लेकर अपने देश आता है। वो ये सोचकर देश वापस आता है, कि अपनी मिट्टी और अपने देश की हवा को महसूस करे अपने देश में कुछ वक़्त बिताए। वो अपने बचपन के दिनों को याद करना चाहता है। उन लोगों से मिलना चाहता है, जिनसे वो सिर्फ फोन पर ही बात कर सकता है। लेकिन जब उस एनआरआई के साथ लूटपाट और छेड़छाड़ की घटना होती है, तो फिर उसके दिल पर क्या बीतती होगी? उसके दिमाग में अपने देश की कैसी छवि बनेगी?


वैसे हमें इस घटना के दूसरे पहलू को नहीं भूलना चाहिए। क्योंकि इस घटना के पीछे कुछ अफवाहें भी हैं। इसलिए इस घटना से सबक लेते हुए आपकी भी ये ज़िम्मेदारी बनती है, आप भी सोशल मीडिया पर कोई अफवाह न फैलाएं। सोशल मीडिया के जितने फायदे हैं, उतने ही नुकसान भी हैं। सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है, जिसके ज़रिये अफवाहें तुरंत फैलती हैं। इससे पहले भी हम कई बार देख चुके हैं, जब भी देश के किसी हिस्से में सांप्रदायिक दंगे होते हैं या अशांति होती है, तो सोशल मीडिया के ज़रिए असामाजिक तत्व और ज्यादा अफवाह फैलाकर दंगे भड़काते हैं। पश्चिम बंगाल में भी ऐसा ही हो रहा है। इसीलिए हमारी आपसे से ये गुज़ारिश है कि आप किसी भी तरह की अफवाह का हिस्सा न बनें। उसे आंख बंद करके सच ना माने, और अपने सोशल अकाउंट से कोई भी ऐसा मैसेज फॉरवर्ड न करें, जिससे अशांति फैले। हमें लगता है कि ऐसा करके आप एक ज़िम्मेदार नागरिक की भूमिका निभा सकते हैं।