कुछ समय पहले पूरे देश में मालदा अपने आमों की वजह से मशहूर था, लेकिन अब अफीम की खेती, नकली नोटों के कारोबार और अवैध हथियारों की तस्करी इस सीमावर्ती ज़िले की पहचान बन चुकी है। 


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- पश्चिम बंगाल के मालदा ज़िले से बांग्लादेश का 173 किलोमीटर का बॉर्डर जुड़ा हुआ है। इसमें से 55 किलोमीटर का बॉर्डर तो एकदम खुला हुआ है, जिसकी वजह से ये ज़िला तस्करी का एक बड़ा अड्डा बना हुआ है। 


- मालदा बॉर्डर से भारत में नकली नोटों की तस्करी बड़े पैमाने पर होती है। National Investigation Agency यानी NIA की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में भारत में 80% नकली नोट इसी बॉर्डर से आए थे। 


- मालदा ज़िले को नकली नोटों की राजधानी भी कहा जाता है। 


- 2015 में मालदा जिले की पुलिस ने कुल 3 करोड़ रुपये के नकली नोट पकड़े थे। आप समझ सकते हैं कि इससे कई गुना ज़्यादा कीमत के नकली नोट अब तक पूरे देश में पहुंच चुके होंगे।


- मालदा में समस्या सिर्फ नकली नोटों की ही नहीं है, बल्कि ये ज़िला अब अफीम उत्पादन का भी अड्डा बन चुका है। मालदा के कलियाचक इलाके में 4 हज़ार हेक्टेयर ज़मीन पर अफीम की खेती होती है। 


- अपने Investigation में हमें पता चला कि इस इलाके में दो वर्ष पहले तक चावल और गेहूं की खेती होती थी, लेकिन बांग्लादेश के माफियाओं की मदद से स्थानीय किसानों ने पैसे कमाने के लालच में अफीम की खेती शुरू कर दी। 


- ये इलाक़ा अवैध हथियार और बम बनाने का भी गढ़ है। अकेले 2015 में मालदा ज़िले में अवैध हथियारों से जुड़े हुए 234 मामले दर्ज किए गए। 


- बांग्लादेश से मालदा के रास्ते भारत में घुसपैठ भी बहुत आसानी से होती है। और इसी वजह से यहां आतंकियों का नेटवर्क भी सक्रिय है। NIA की नज़र भी मालदा के इसी नेटवर्क पर है।