मेडिकल जनरल. The Lancet Psychiatry की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक..वर्ष 1990 के मुकाबले वर्ष 2017 तक भारत में मानसिक रोगियों की संख्या दोगुनी हो चुकी है. वर्ष 2017 तक भारत में मानसिक रोगियों की संख्या 19 करोड़ से ज्यादा हो चुकी थी.यानी देश की करीब 14 प्रतिशत आबादी..किसी ना किसी मानसिक समस्या से जूझ रही है.  इन 19 करोड़ लोगों में से करीब साढ़े चार करोड़ लोग डिप्रेशन का शिकार है. जबकि साढ़े चार करोड़ भारतीय Anxiety के भी शिकार हैं . इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत के मध्यम और उच्च आय वर्ग के लोग मानसिक परेशानियों से ज्यादा प्रभावित हैं. जबकि आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग में डिप्रेशन और Anxiety के मामले अब भी काफी कम हैं. 


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भारत में मानसिक रोगियों की संख्या बांग्लादेश की कुल आबादी से भी ज्यादा हो चुकी है और ये एक बहुत खतरनाक स्थिति है. बांग्लादेश की कुल आबादी 16 करोड़ के आसपास है . मानसिक रूप से परेशान भारतीयों का अपना कोई देश होता तो ये आबादी के मामले में दुनिया में सातवें नंबर पर होता.


भारतीयों के मानसिक स्वास्थ्य पर आई इस रिपोर्ट का सार ये है कि जैसे-जैसे भारत में समृद्धि बढ़ रही है..लोगों के पास पैसा आ रहा है..वैसे वैसे लोग मानसिक रोगों का शिकार ज्यादा हो रहे हैं . ये सर्वे वर्ष 1990 और वर्ष 2017 के बीच किया गया है.


वर्ष 1991 में भारत में आर्थिक सुधारों की शुरुआत हुई थी.और भारत के लोगों की आय तेज़ी से बढ़ने लगी थी . वर्ष 1990 में भारत की प्रति व्यक्ति आय, प्रतिवर्ष आय 6 हज़ार 220 रुपये थी.. जो अब बढ़कर 1 लाख 26 हज़ार 406 रुपये प्रतिवर्ष हो चुकी है. लेकिन भारत में मानसिक रोगियों की बढ़ती संख्या इस बात का प्रमाण है कि पैसा अपने साथ खुशियों की गारंटी लेकर नहीं आता है .


आज की स्थिति ये हैं कि पहले लोग इस बात की चिंता करते हैं कि उनके पास एक विशेष भौतिक सुविधा नहीं है..फिर जब वो उसे हासिल कर लेते हैं तो उन्हें ये डर सताने लगता है कि कहीं वो चीज़ दूर ना चली जाए . और अगर ऐसा नहीं भी होता है...तो लोग अपने आस-पास के लोगों की तरक्की देखकर ईर्ष्या करने लगते हैं.. वो सोचते हैं कि जो चीज़ दूसरे के पास है..वो उनके पास क्यों नहीं है .और ये संघर्ष इसी प्रकार चल रहा है और लोग सबकुछ होते भी खुश नहीं रह पाते हैं. भगवान बुद्ध के मुताबिक आप सिर्फ उसी चीज़ को खो सकते हैं..जिसे आप बहुत ज़ोर से पकड़कर रखते हैं.


चीज़ों पर, लोगों पर और यहां तक की जीवन पर भी अधिकार साबित करने की लालसा. आपको मानसिक परेशानियों में डाल सकती हैं.जब तक आप क्रोध, घबराबट और अधिकार साबित करने की इस प्रवृत्ति से मुक्त नहीं होंगे...तब तक आप Burn Out, डिप्रेशन और Anxiety जैसी समस्याओं से भी आज़ाद नहीं पाएंगे.


ये सारी बातें सुनकर आपको ऐसा लगा होगा है कि हमने आपकी दुखती रग पर हाथ रख दिया है . लेकिन इसका इलाज भी आपके पास ही है . आप चाहें तो आज से ही डिप्रेशन और घबराहट के खिलाफ एक आंदोलन छेड़ सकते हैं . आपको किसी चीज़ से आज़ादी छीनकर लेने की ज़रूरत है..तो वो है मानसिक रोग . लेकिन अगर आपको लगता है कि आपको इस काम के लिए किसी प्रेरणा की जरूरत है..तो आपको हमारा ये विश्लेषण देखना चाहिए .