नई दिल्ली: क्या आप भी ज़ुबान से अपनी उंगली को लगाकर नोट गिनते हैं क्या आप नोटों का इस्तेमाल करने के बाद हाथ धोते हैं, क्या आपको पता है कि आपकी जेब में जो सिक्के और नोट हैं उनमें सैकड़ों बैक्टीरिया हैं आपमें से शायद बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होगी कि जिन नोटों का इस्तेमाल आप घर का सामान खरीदने के लिए, भोजन खरीदने के लिए और दवाईयां खरीदने के लिए करते हैं वो आपको और आपके पूरे परिवार को बीमार कर सकते हैं।


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इसलिए आज हम आपकी जेब में रखे नोटों और सिक्कों में मौजूद उन बीमारियों के बारे में बताएंगे जो आपके पूरे परिवार को अपना शिकार बना सकती है।ये बात तो आप जानते ही होंगे कि कोई भी नोट चाहे वो 10 का हो 50 का 100 का हो 500 का 1000 का या फिर 2000 रुपये का हमेशा एक व्यक्ति के पास नहीं रहता।


नोट और सिक्के कई हाथों से गुजरते हुए आपकी जेब तक पहुंचते हैं। नोट जितने पुराने होते जाते हैं उनमें बैक्टीरिया की संख्या भी उतनी ही ज्यादा होती है।क्योंकि पुराने नोट और सिक्के अलग अलग जगहों और अलग अलग लोगों से होते हुए आप तक पहुंचते हैं और फिर आप भी वो नोट किसी और को दे देते हैं। इस तरह से बैक्टीरिया और जर्म्स यानी कीटाणु आपके हाथों से होते हुए आपके शरीर में पहुंच जाते हैं।


2015 में दिल्ली के Institute of Geno-mics and Integrative Biology के शोधकर्ताओं ने 10, 20 और 100 रुपये के नोटों के सैंपल इक्ट्ठा किए थे, ये नोट रेहड़ी पटरी वालों, राशन की दुकानों, रेस्टोरेंट्स हार्डवेयर शॉप्स और दवाई की दुकानों से इकठ्ठा किए गए थे, ये सब ऐसी जगहें हैं जहां नोटों की अदला-बदली बहुत ज्यादा होती है, नोट जमा करने के बाद वैज्ञानिको ने नोटों की जांच की तो पता चला कि 70 प्रतिशत नोटों पर फफूंद लगी थी जबकि 9 प्रतिशत नोटों पर बैक्टीरिया और 1 प्रतिशत नोटों पर वायरस पाए गए।


वैज्ञानिकों ने इन नोटों पर 78 तरह के रोगाणुओं की पहचान भी की, ये रोगाणु त्वचा के छालों, Sinusitis और फूड प्वाइज़निंग के लिए भी ज़िम्मेदार होते हैं।वैज्ञानिकों ने इन नोटों में Antibiotic-Resistant Genes की भी पहचान की इनमें से 18 जीन्स ऐसे थे, जो लगभग हर नोट में मौजूद थे। आसान भाषा में कहें, तो ये वो माइक्रोबेब्स हैं जो इंसान के शरीर में पहुंच जाएं तो फिर एंटीबायोटिक दवाएं भी अपना असर नहीं करती। यानी नोट जितना गंदा होगा उसमें सुपरबग के पैदा होने की आशंका भी उतनी ही ज्यादा होगी।


बैक्टीरिया और जर्म्स सिक्कों की बजाय कागज़ के नोटों पर ज्यादा आसानी से पनपते हैं, और नोट जैसे जैसे पुराने होते जाते हैं उनमें जर्म्स लगने की आशंका भी ज्यादा हो जाती है। नोटबंदी के बाद कई ऐसी खबरें भी सामने आईं जिनके मुताबिक पुराने नोट जमा करने वाले बैंक कर्मियों ने नोटों से दुर्गंध आने की शिकायत की, क्योंकि ये नोट बुरी तरह सड़ चुके थे। कई बैकों के चेस्ट रुम में रखे गए नोटों पर तो परफ्यूम तक छिड़का जाने लगा, ताकि बैंक कर्मियों को दुर्गंध वाले वातावरण में काम ना करना पड़ें


कई बैंक कर्मी, नोट लेने और देने के बाद हैंड सैनिटाइज़र का भी इस्तेमाल कर रहे हैं इतना ही नहीं बैक्टीरिया वाले नोटों के लेन देन से कुछ बैंक कर्मियों के बीमार पड़ने की खबरें भी आ रही हैं अगर इस समस्या के दायरे को और बढ़ाया जाए तो कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलेंगी आपको जानकर हैरानी होगी कि एशिया में चीन की करेंसी युआन को सबसे गंदी करेंसी माना जाता है यानि युआन के नोटों में मौजूद बैक्टीरिया की संख्या बाकी देशों के मुकाबले बहुत ज्यादा है।


बायोमेडिसिन और बायोटेक्नोलॉजी नामक जर्नल में  छापी गई एक स्टडी के मुताबिक, भारत के करीब 98 प्रतिशत नोटों पर रोगाणु पाए गए। सऊदी अरब की करेंसी रियाल के 88 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत नोटों पर हानिकारक बैक्टीरिया मिले। फिलिस्तीन में 96 प्रतिशत, कोलंबिया में 91 प्रतिशत और साउथ अफ्रीका में 90 प्रतिशत नोटों पर हानिकारक बैक्टीरिया और रोगाणु पाए गए, इसलिए अगर आप भी जेब में नोट रखने के शौकीन हैं और पुरानों नोटों को संभाल कर रखते हैं। तो आपको हमारा ये विश्लेषण ध्यान से देखना चाहिए।


नोटों पर सिर्फ बैक्टीरिया ही यात्रा नहीं करते बल्कि अमेरिका में सर्कुलेशन  में मौजूद 90 प्रतिशत डॉलर्स में कोकीन नामक ड्रग के अंश पाए जाते हैं। 2010 में ब्रिटेन में की गई एक स्टडी के मुताबिक वहां 100 प्रतिशत नोटों पर कोकीन के अंश पाए गए, ज्यादातर आधुनिक करेंसी नोट कॉटन, लिनेन और दूसरे फाइबर्स से तैयार किए जाते हैं।


कुछ देशों में नोट बनाने में जानवरों की चर्बी का भी इस्तेमाल होता है। हाल ही में ये बात सामने आई थी कि ब्रिटेन के नए 5 पाउंड के नोट में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया है। इसके बाद ब्रिटेन के शाकाहारी लोगों ने और हिंदू समाज ने इन नोटों को वापस लेने की मांग शुरू कर दी है। कागज़ के नोट जिन पदार्थों से तैयार किए जाते हैं वो पदार्थ नोटों के पुराने हो जाने पर बैक्टीरिया को पनपने में मदद करते हैं। 2012 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गये एक रिसर्च में पता चला कि एक करेंसी नोट पर औसतन 26 हज़ार तरह के बैक्टीरिया होते हैं।


2003 में हांगकांग की एक यूनिवर्सिटी द्वारा किए गये रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि चीन की करेंसी युआन पर 1 लाख 78 हज़ार बैक्टीरिया थे। इस शोध में चीन के अलावा भारत, कंबोडिया, पाकिस्तान हॉन्ग कॉन्ग और फिलीपीन्स की करेंसी को भी शामिल किया गया था। हांगकांग को छोड़कर सभी देशों के नोटों में बैक्टीरिया की संख्या बहुत ज्यादा पाई गई।


अगर आप महिला हैं और आप नोटों को अपने पर्स में रखती हैं, तो आपको और भी ज्यादा सावधान हो जाने की ज़रूरत है। 2006 में की गई एक स्टडी के मुताबिक महिलाओं के हैंड बैग्स पब्लिक टॉयलेट के फ्लोर जितने गंदे होते हैं। यानि महिलाओं को अपने हैंड बैग्स को हाथ लगाने के बाद हाथ ज़रूर साफ करने चाहिए।


नोटों की गंदगी के बारे में सुनकर आपके मन में ये सवाल ज़रूर उठ रहा होगा कि आखिर इसका इलाज क्या है आप नोटों पर मौजूद बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों से कैसे बच सकते हैं।इसका सबसे आसान उपाय तो ये है कि नोटों को छूने और उसके इस्तेमाल के बाद या तो अपने हाथ धो लें या फिर हैंड सैनेटाइज़र का इस्तेमाल करें ।


अगर आप ऐसे इलाके में रहते हैं जहां बहुत ह्यूमिडिटी होती है और लोगों को पसीना ज्यादा आता है, तो ऐसे नोटों को लेने से बचें जिनमें पसीना लगा होता है।कुछ अंतर्राष्ट्रीय बैंक नोटों को खास तापमान पर गर्म करते हैं जिससे नोट स्टेरलाइज हो जाते हैं। इन्ही में जापान का यूएफजे बैंक भी शामिल है। जिसने 1990 में नोटों को स्टेरलाइज करने की प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन समस्या ये है कि जब ये नोट चलन में आते हैं तो धीरे धीरे इनमें फिर से बैक्टीरिया पनपने लगते हैं।


अगर आप ऐसे लोगों से नोट ले रहे हैं जो सफाई का ध्यान नहीं रखते तो फिर उनसे नोट लेने के बाद आपको हाथ ज़रूर धोने चाहिए। वैसे कई देशों में कागज़ के नोटों की जगह प्लास्टिक के नोटों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये नोट ज्यादा मजबूत होते हैं आसानी से कटते या फटते नहीं हैं और इन्हें आसानी से साफ भी किया जा सकता है।


ये नोट पॉलीमर से बने होते हैं और ज़्यादा दिन तक सुरक्षित रहते हैं। क्योंकि ये नोट कटते या फटते नहीं हैं इसलिए बैक्टीरियाज़ को इन नोटों में पनपने के लिए जगह नहीं मिलती इसके अलावा इन नोटों को साफ किया जा सकता है। इसलिए इन पर गंदगी भी कम होती है। 


हमारे देश के वित्त राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल ने मौजूदा शीतकालीन सत्र में संसद को बताया है कि सरकार जल्द ही प्लास्टिक के नोट छापने जा रही है। और इसके लिए ज़रूरी सामान जुटाया जा रहा है अभी फिलहाल ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फिजी, मॉरिशस, और न्यूजीलैंड समेत 20  देशों में प्लास्टिक से बने नोटों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन नोटों की नकल करना भी आसान नहीं होता। 


वैसे नोटों पर लगे बैक्टीरिया को अगर आप अपने शरीर में पहुंचने से रोकना चाहते हैं..तो इसका एक आसान उपाय और भी है और वो उपाय ये है कि आप ज्यादा से ज्यादा ट्रांजेक्शन कैशलेस तरीके से करें। इससे आपको अपने पास नोट कम रखने पड़ेंगे और बैक्टीरिया भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे।