Zee News ground report on Delhi Waqf Board: जब से संसद की जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी JPC के पास वक्फ संशोधन बिल का मसला पहुंचा है, तब से देश में घमासान मचा हुआ है. वहीं जी न्यूज दिल्ली वक्फ बोर्ड की साजिश की लगातार पोल खोल रहा है. वक्फ बोर्ड का दावा सिर्फ सरकारी जमीनों और मस्जिदों और कब्रिस्तानों तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि वक्फ बोर्ड राजधानी दिल्ली के कई प्राचीन मंदिरों की जमीनों पर भी अपना दावा कर रहा है. जब जी न्यूज की टीम वक्फ के दावों की हकीकत जानने दिल्ली के मंदिरों में पहुंची तो सारा सच सामने आ गया. पढ़िए, हमारी ये सुपर एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.


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अब मंदिरों पर 'वक्फ दृष्टि'!


इसे कहते हैं एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी. वक्फ यानी दान के नाम पर जमीन और संपत्ति हासिल करके वक्फ बोर्ड देश की तीसरी बड़ी प्रॉपर्टी का मालिक बना बैठा है. लेकिन लालच और साजिश की इंतहा देखिए कि अब दिल्ली वक्फ बोर्ड ने मंदिरों को भी अपनी प्रॉपर्टी बताते हुए उन पर अपना दावा ठोक दिया है.


दिल्ली सरकार के अल्पसंख्यक आयोग की 2018 में दिल्ली के मुख्यमंत्री और एलजी को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के दर्जनों मंदिर और हिंदू समुदाय की जमीन वक्फ की है. इस दावे को लेकर जी न्यूज की पड़ताल का सिलसिला भी जारी है. 


प्राचीन दुर्गा मंदिर पर वक्फ का दावा


दिल्ली के सिविल लाइंस इलाके में बने प्राचीन दुर्गा मंदिर पर भी वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोक रखा है. दिल्ली सरकार के अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट में इस मंदिर की जमीन को कब्रिस्तान की जमीन बताया गया है. देवी देवताओं की मूर्तियों से सुसज्जित इस भव्य मंदिर पर जब जी मीडिया टीम पहुंची तो कई गजब चीजें नजर आईं. 


प्राचीन दुर्गा मंदिर के प्रांगण में लगा शिलालेख साफ तौर पर गवाही दे रहा है कि मंदिर कितना पुराना है. मंदिर का अस्तित्व तब से है जब देश में वक्फ बोर्ड का कोई नामो निशान भी नहीं था. वक्फ का एजेंडा है पेपर नहीं दिखाएंगे लेकिन जमीन अपनी बताएंगे. लेकिन प्राचीन दुर्गा मंदिर के बुजुर्ग पुजारी ने हमें मंदिर से जुड़े तमाम दस्तावेज दिखाये. पुजारी ने बताया कि मंदिर की जमीन गांव वालों ने दान में दी थी.


दादा मालदेव मंदिर पर वक्फ की नज़र!


दिल्ली सरकार के अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट के पेज नंबर 55 के सीरियल नंबर 13 पर दावा किया गया है कि दिल्ली के दरियापुर कलां में खसरा नंबर 104 और 105 पर 1 एकड़ में बने मंदिर की जमीन तो असल में वक्फ के कब्रिस्तान की है. लेकिन जब सच क्या है जानने हम दरियापुर कलां पहुंचे. पता चला कि जिस खसरे और मंदिर का वक्फ ने जिक्र किया है, वहां 1 एकड़ में प्राचीन दादा मालदेव मंदिर बना हुआ है.


स्थानीय लोगों ने बताया कि मंदिर 3 गांव के लोगों की तरफ से दान की गई जमीन और सरकारी जमीन पर बना है. ये आज से नहीं बल्कि वक्फ के तैयार होने से पहले से है. मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोगों का साफ कहना है कि उन्होंने ना सिर्फ मंदिर पर वक्फ के दावे को खारिज किया है बल्कि इसे वक्फ की झूठी और मक्कारी से बनी कब्जा नीति का प्रतीक बताया. 


इसी तरह दिल्ली के मंडावली में एक और मंदिर पर वक्फ ने अपना दावा ठोका है. रिपोर्ट के पेज नंबर 55 के सीरियल नंबर 43 में मंडावली के मंदिर को अतिक्रमण बताया गया है.


मंदिर हटवाकर कब्जा दिलवाए सरकार- वक्फ बोर्ड


सिर्फ इतना ही नहीं, वर्ष 2018 में सीएम और एलजी को सौंपी रिपोर्ट में इन तमाम हिंदू मंदिरों को हटाने की मांग की गई थी. जिससे मुस्लिम समुदाय को फायदा हो. दिल्ली वक्फ बोर्ड भूमाफिया की तरह की हरकत कर रहा है. वक्फ बोर्ड की तरफ़ से दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने जिन मंदिरों की जमीनों को वक्फ का बताया है. वो तमाम दावे किस कदर खोखले और झूठे हैं वो जी मीडिया की पड़ताल में सामने आ चुका है. अब बारी है वक्फ के ऐसे दावों पर सख्त एक्शन लेने की, जिससे सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि देश में कहीं भी जमीन और संपत्तियों का घोटाला ना हो.


(दिल्ली से शिवांक मिश्रा की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट)