नई दिल्ली: ज़ी न्यूज के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी के साथ ZEEL फाउंडर डॉ. सुभाष चंद्रा के सबसे बड़े इंटरव्यू में तमाम उन बड़े सवालों के जवाब मिले जिनके बारे में देश की जनता और कंपनी के शेयरहोल्डर भी जानना चाहते हैं. ये सवाल इसलिए भी अहम हैं क्योंकि ज़ी एंटरटेनमेंट (ZEEL) के साथ सोनी पिक्चर्स (SPNI) के मर्जर के ऐलान के बाद इन्वेस्को की मंशा पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. 2.5 लाख शेयरहोल्डर और इस देश के 90 करोड़ व्यूअर जो रोज Zee TV को देखते हैं, उनको मालिक बताते हुए डॉ. सुभाष चंद्रा भावुक हो गए. 


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सवाल: आपने वर्ष 1992 में Zee TV लॉन्च किया था उसके बाद भारत की कई पीढ़ियां Zee TV देखते हुए ही बड़ी हुईं लेकिन आज उसी Zee TV के ऊपर एक विदेशी कंपनी के रूप में खतरा मंडरा रहा है, आप इस खतरे को कितना गंभीर मानते हैं?


जवाब: Zee TV एक ऐसे दौर में लॉन्च हुआ जब हमारे देश में दूरदर्शन केवल एक चैनल था. दूरदर्शन की अपनी मर्यादा होती है. उनको पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टर का काम करना पड़ता है इसलिए वे एंटरटेनमेंट के प्रोग्राम ज्यादा नहीं दिखा पाते थे. जगह खाली थी इसलीए ज़ी 1992 में आया और ये जगह भर गई. आज कोई 10 लाख करोड़ रुपये भी खर्च करे तो ये वापस री-क्रिएट नहीं हो सकता. चूंकि इस नेटवर्क को देखर देश की 3-4 जनरेशन बड़ी हुई हैं. सबने इसे प्यार दिया है. आज भी हमारे यहां बॉम्बे में एक गोडाउन है, वहां आज भी 10 करोड़ चिट्ठियां 1992 से लेकर 1996 तक की पड़ी हुई हैं. तो ये चैनल मेरा चैनल नहीं है, ये चैनल इन्वेस्को का नहीं है ये चैनल देश के 2.5 लाख शेयरहोल्डर का चैनल है. इसके ऊपर विदेशियों का अटैक 1994 में भी हुआ, उस समय मुझे एक विदेश की कंपनी द्वारा 500 मिलियन डॉलर ऑफर किए थे. मैंने उस समय भी उस कंपनी से कहा था, 'india Is not For Sale.' आज भी ऐसी कोई स्थित बनती दिख रही है तो मैं ये कहता हूं कि इन्वेस्को एक शेयरहोल्डर है, वो मालिक नहीं है. वो शेयरहोल्डर की तरह ही व्यवहार करें ना कि मालिक की तरह. जो शेयरहोल्डर हैं, जो मालिक हैं 2.5 लाख लोग उनको निर्णय करने दें. 


 



सवाल: आपके मुताबिक आज Zee TV का मालिक कौन है?


जवाब: 2.5 लाख शेयरहोल्डर, पब्लिक. इस नेटवर्क का मालिक कोई अकेला व्यक्ति नहीं है. इस देश के 90 करोड़ व्यूअर जो रोज Zee TV को देखते हैं वो मालिक हैं. 90 करोड़ भारत में और 60 करोड़ लोग विदेशों में इसे देखते हैं, वो 150 करोड़ लोग इसके मालिक हैं. इसका कोई एक व्यक्ति मालिक नहीं है, मैं भी इसका मालिक नहीं हूं.


सवाल: आप लगातार ये कह रहे हैं कि इन्वेस्को को अपनी मंशा साफ करनी चाहिए, इससे आपका क्या मतलब है?


जवाब: मेरा ये कहना है कि इन्वेस्को एक... मुझे पहले तो उनका पता नहीं है, स्ट्रक्चर क्या है? ओपन हाइमर जिसके लोगों ने शुरू में बात की थी, वो तो हमें समझ आता था कि ये अमेरिकन फंड है. ये जो फंड है, जिसने ओवरसीज, चाइना, Fund LLC.. ऐसा कुछ नाम है, हमें इसका पहले तो ये समझ नहीं आ रहा कि ये चाइना का फंड है या कहां का फंड है. दूसरा वो तो चलाने वाले नहीं हैं. इतने बड़े नेटवर्क को एक प्राइवेट इक्विटी का व्यक्ति चला नहीं सकता. जरूर इसके पीछे कोई न कोई है. आपने कार्यक्रम में कहा कि वो बोर्ड ऑफ डायरेक्टर पुनीत गोयनका को बदलना चाहते हैं, वो नहीं है.. वो इस कंपनी को टेकओवर करना चाहते हैं. वो देश के कानून के विरोध में उसको टेकओवर करना चाहते हैं. वो सीधे रास्ते नहीं आकर, एक गुप्त रूप से, गैरकानूनी तरीके से टेकओवर कोड को बचाते हुए I&B मिनिस्ट्री की सिक्योरिटी क्लियरेंस को भी बचाते हुए केवल एक कंपनी लॉ के एक प्रावधान के पीछे छिपकर इस कंपनी को हड़पना चाहते हैं. 


सवाल: ZEEL का जो बोर्ड है उस पर आज किसका कंट्रोल है?


जवाब: उस बोर्ड पर किसी का कंट्रोल नहीं है. आज 6 बोर्ड मेंबर हैं, 7वें पुनीत गोयनका हैं. वो इस विषय में पार्टिसिपेट भी नहीं कर सकते. 6 के 6 बड़े इज्जतदार डायरेक्टर हैं वो स्वतंत्र निर्णय लेते हैं. आज एक प्रश्न उठ रहा है कि EGM बोर्ड क्यों नहीं होने देता? ये बोर्ड से पूछो. बोर्ड स्वतंत्र है. उन्होंने अपने लीगल एडवाइजर अपॉइंट कर रखे हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों से राय ली है. उनको ये बताया गया है कि इन्वेस्को की तरफ से आई रीक्वीजेशन गैरकानूनी है. गैरकानूनी रीक्वीजेशन के बोर्ड की ड्यूटी बन जाती है कि गलत है तो इसे शेयरहोल्डर के सामने प्रस्तुत न करें बल्कि उनको एक्सपोज करें. ये उनकी ड्यूटी है. ये कानून बात है. बोर्ड का इंडिपेंडेंट निर्णय है, पुनीत गोयनका का या मेरा किसी का कोई अधिकार नहीं है.


सवाल: रिसर्च में पता चला, इन्वेस्को कोई आज का इन्वेस्टर नहीं है, काफी पुराना इन्वेस्टर है. इससे पहले पुनीत गोयनका के नेतृत्व करने की क्षमता पूरा विश्वास था. सबकुछ ठीक चल रहा था फिर अचानक से उन्होंने पलटी मारी और अचानक से उनकी राय बदल गई?


जवाब: मेरी निजी राय है, मैं न कंपनी की राय कहता हूं न पुनीत गोयनका की राय कहता हूं. मैं आज ZEEL का डायरेक्टर भी नहीं हूं, एक इंडिपेंडेंट व्यक्ति के रूप में कहता हूं कि कोई न कोई व्यक्ति इन्वेस्कों में बेईमानी कर रहा है. शायद अपने बड़े अधिकारियों को भी ठीक से बात नहीं बता रहा या बता रहा है तो शायद इस रूप से बता रहा है कि इसमें वो (अधिकारी) भी उसका साथ दे. तो कुछ बदल गया है इन्वेस्को में, वो इन्वेस्को नहीं है. ये गैरकानूनी काम करने वाली कंपनी या तो चाइना की कंपनी है, जिसको किसी से डर नहीं है. मुझे नहीं पता क्या है लेकिन ये बिल्कुल सही है, मैंने भी एक दो कानून के जानकार लोगों से पूछा है तो उन्होंने भी कहा कि ये गैरकनूनी काम कर रहे हैं. यदि उन्होंने पहले से कोई डील कर रखी है तो वो भी एकतरफ है. टेकओवर है. सेबी को और मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स को इसका संज्ञान लेना चाहिए. कानून के मुताबिक एक्शन करना चाहिए. मैं तो ZEEL के बोर्ड से भी कहूंगा कि आप इन्वेस्को से बात करें. उनसे कहें कि हम EGM करने को तैयार हैं लेकिन आपकी डील सामने लाओ हमें बता दो, हम शेयरहोल्डर के सामने रखेंगे कि ये इन्वेस्को की डील है ये सोनी की डील है. यदि शेयरहोल्डर चाहते हैं  कि पुनीत गोयनका हट जाएं तो हटना ही पडे़गा, उनको पिछले वर्ष शेयरहोल्डर्स की मीटिंग में ही 5 वर्ष के लिए MD नियुक्त किया.


सवाल: इन्वेस्को ये कहता है कि मैं 18 प्रतिशत का शेयरहोल्डर हूं. लार्जेस्ट शेयरहोल्डर हूं मैं, जिसको ये अधिकार है कि मैं EGM बुलाऊं और ZEEL का जो बोर्ड है वो बीच में आ रहा है, वो ईजीएम नहीं बुलाने नहीं दे रहा है, ये इंप्रेशन क्रिएट करने की कोशिश हो रही है?


जवाब: ये गलत इंप्रेशन क्रिएट करने की कोशिश हो रही है. शायद हो सकता है कि इसी कारण से मुझे मीडिया के सामने आना पड़ा. क्योंकि इंप्रेशन तो क्रिएट किए जा सकते हैं, क्योंकि इन्वेस्को डॉलर में डील करता है हम रुपये में डील करते हैं. एक डॉलर 74 रुपये का है, हम रुपये में हैं तो हमारे से 74 गुना बड़े तो वैसे ही हो गए. उनके पास पॉवर है. उनके पास पैसे की ताकत है. पैसे के बल पर कुछ भी इंप्रेशन क्रिएट कर सकते हैं. सच्चाई ये है कि एक कंपनी को गलत तरीके से टेकओवर करने का क्लियर कट केस है ये. जिसके लिए इस देश का कानून इजाजत नहीं देता लेकिन वो छुपे हुए हैं इन्वेस्को के एक.. जो आपने कहा कि वो 18 प्रतिशत शेयरहोल्डर हैं लेकिन शेयरहोल्डर हैं, मालिक नहीं हैं. ये आपको मानना पड़ेगा. इस देश के कानून का पालन करिए. उसके मुताबिक फैसले लीजिए. आप 75 प्रतिशत शेयरहोल्डर को ओपन ऑफर करिए, ले लीजिए कंपनी.. कौन रोक सकता है?


सवाल: आप कह रहे हैं ये गैरकानूनी है. अब हमारे देश में I&B है, सेबी है, मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स है, NCELT भी है तो आप क्या चाहेंगे कि जितनी संस्थाएं है ये इसमें हस्तक्षेप कैसे करें और क्यों नहीं कर रही हैं?


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जवाब: अगर वो अपना काम ईमानदारी से करेंगे तो जो कागज पर दिखाई दे रहा है उसके पीछे जाना पड़ेगा. उसके लिए 10 प्रश्न पूछने पड़ेंगे. वो क्यों नहीं पूछना चाह रहे हैं, ये तो सरकार का काम है. सरकार उनसे पूछे क्यों नहीं पूछ रहे हो? ZEE कोई व्यापार नहीं है इस देश के 90 करोड़ लोगों की मिल्कियत है जो रोज इसको देखते हैं. जो अपने घर में ZEE को आने देते हैं. उसके साथ बैठते हैं. उसके साथ हंसते हैं, रोते हैं, बड़े होते हैं. तो क्या वो आज OTT पर जो प्रोग्राम आते हैं उन्हें देखेंगे. वो देख नहीं सकते. मां बेटे के साथ बैठ कर नहीं देख सकती. बाप बेटी के साथ बैठ कर नहीं देख सकता, इस प्रकार का कंटेंट आता है. आज देश एंटरटेनमेंट के किसी भी भाषा में कार्यक्रम परिवार के साथ बैठ कर देख सता है वो ZEE नेटवर्क है और कोई नहीं है. मैं ये दावे के साथ कह सकता हूं.  


सवाल: थोड़ी देर पहले हमने एक क्लिप चलाई और उस क्लिप को देखकर दर्शक तो जरूर इमोशनल हुए होंगे, मैं खुद बहुत इमोशनल हो गया क्योंकि हम बचपन से उन चीजों को देखते हुए आए हैं. इस देश को आपने इतने बड़े-बड़े फिल्म स्टार दिए हैं. इतने बड़े-बड़े गायक दिए हैं और जो इतना बड़ा उद्योग हमने खड़ा किया है, इसलिए आपसे ये पूछ रहा हूं कि 1992 में जो आपने सफर शुरू किया और ये शानदार सफर है. एकी ही जीवन चक्र में आपने ये पूरा समय देख लिया. आज आप 71 वर्ष के हो चुके हैं और एक और युद्ध की तैयारी में हैं?


जवाब: इस बात को हम ज्यादा न करें तो ठीक है.. ये भावुकता का विषय है. पर मैं ये कहूंगा कि एक चीज क्रिएट हो गई. एक समय था, दस्तूर था, जगह खाली थी बन गया. आज मैं भी चाहूं तो ये क्रिएट नहीं कर सकता क्योंकि जो इतने करोड़ों पोस्टकार्ड ZEE को लिखे जाते थे.. ZEE के नाम का मलब क्या है ये लोगों ने दिया है. लोगों ने अपने खून से चिट्ठियां लिखी हैं ज़ी को. एप्रिशिएट भी किया है. जब हमने कोई गलती की तो लोगों ने जूतों के हार भी मेरे लिए भेजे हैं. मैंने उन्हें हृदय से स्वीकार किया है. मैं कहीं जाता था तो एयरपोर्ट पर लोगों ने मुझे ब्लैक बैजेज दिखाए हैं. इसलिए कि मैं हिंदी भाषा को पूरा शुद्ध रूप से नहीं दिखा पा रहा हूं. मैंने उनको भी नमन होकर स्वीकार है.. ये बात फिर कभी, कहीं.


(Disclaimer: ज़ी एंटरटेनमेंट हमारी Sister Concern/Group Company नहीं है. हमारे नाम एक जैसे दिखते हैं लेकिन हमारा स्वामित्व और प्रबंधन अलग ग्रुप की कंपनी ज़ी मीडिया के हाथों में है.)