Mohammad Zubair Case: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) ने ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammad Zubair Alt News) को चार दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया है. चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया ने अपने आदेश में कहा कि मोहम्मद जुबैर की निशानदेही पर पुलिस को उसके बैंगलोर स्थित घर से मोबाइल/लैपटॉप बरामद करना है. इसलिए पुलिस को उसे बंगलौर ले जाना है. अभी तक जुबैर ने जांच में सहयोग नहीं दिया है. लिहाजा चार दिन की पुलिस रिमांड दी जाती है.


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इस मामले में हुई गिरफ्तारी


जुबैर को 2018 में किए गए एक ट्वीट के चलते पुलिस ने गिरफ्तार किया है. उस पर IPC 153 और 295 A के तहत मामला दर्ज हुआ है. कल ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने जुबैर को 1 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था. आज चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया की कोर्ट में पुलिस ने पुलिस कस्टडी पांच और दिन बढ़ाने की मांग की.


जुबैर के वकील की दलील


जुबैर की ओर से वकील वृंदा ग्रोवर पेश हुईं. उन्होंने दलील दी कि जिस ट्वीट के चलते जुबैर को गिरफ्तारी हुई है, वो साल 2018 का है. ट्वीट में नजर आ रही तस्वीर दरअसल ऋषिकेश मुखर्जी की 1983 में आई फिल्म 'किसी से न कहना' का स्क्रीनशॉट है. फिल्म में फारुख शेख और दीप्ति नवल हैं. फिल्म में ये सीन है कि नवविवाहित कपल होटल में जाते हैं. उसी तस्वीर को पोस्ट करने के चलते जुबैर की गिरफ्तारी हुई है. इसमें धार्मिक भावनाओं को आहत करने जैसा कुछ नहीं है.


'सत्ता को चुनौती देते हैं जुबैर'


ग्रोवर ने यह भी दलील दी कि इस तस्वीर को सोशल मीडिया में बहुत सारे लोगों ने पोस्ट किया लेकिन सिर्फ जुबैर की गिरफ्तारी हुई. जुबैर फैक्ट चेकर के तौर पर जिन चीजों के लिए स्टैंड लेते रहे हैं, सत्ता में बैठे लोगों को चुनौती दे रहे हैं. इस वजह से कानून का दुरुपयोग करके उसे परेशान किया जा रहा है.


पुलिस की ओर से दलील


पुलिस की ओर पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा- ये सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोरने को लेकर ट्रेंड बन गया है कि लोग धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले पोस्ट करते हैं. जुबैर के कई ट्वीट हैं, जिसके जरिए उसने हिंदू धर्म की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है. कई FIR जुबैर के खिलाफ दर्ज हैं. पूछताछ के लिए बुलाने पर जांच में सहयोग नहीं किया. उसके मोबाइल से सारे एप्लीकेशन डिलीट थे. इसलिए जांच के लिए लैपटॉप की जरूरत है. ये कोई पत्रकार का काम नहीं है, जो वो कर रहै हैं.


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