Ajab Gajab: पुराने समय से ही दुनिया भर में परंपराओं के नाम पर कई तरह के प्रतिबंध और अंधविश्वास फैले हुए हैं. इनमें से ज्यादातर परंपराओं और प्रतिबंध महिलाओं के हिस्से में ही आते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि माहवारी यानी पीरियड्स को लेकर भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में अलग-अलग तरह के अंधविश्वास हैं. इन मुश्किल दिनों में महिलाओं के लिए कई तरह के नियम बनाए गए हैं.


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इन दिनों में महिलाओं द्वारा किए गए कामों को अंधविश्वास से जोड़कर भी देखा जाता है. आज हम आपको हमारे पड़ोसी देश नेपाल में पीरियड्स के दौरान फैले अंधविश्वास के बारे में बता रहे हैं. यहां की अजीबो-गरीब परंपरा के बारे में जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे...


पीरियड्स हर महीने आने वाली एक प्राकृतिक घटना है, लेकिन प्राचीन समय से इसे लेकर बहुत से अंधविश्वास रहे हैं. नेपाल में तो इस दौरान महिलाओं का जीवन नर्क में जीवन जीने की तरह हो जाता है. यहां इस दौरान उन पर लागू होने वाली प्रथा है- चौपाड़ी प्रथा, जिसमें पीरियड्स में महिलाओं को घर के अंदर आना मना है. यहां तक कि पेड़-पौधों को छूने की भी सख्त मनाही है. 


नेपाल में पीरियड्स को लेकर अंधविश्वास
हालांकि, हमारे देश में भी अलग-अलग जगहों पर पीरियड्स के दौरान महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियां होती है, जैसे कि 3 दिन बाद बाल धोना, पीरियड्स के दौरान किचन में न जाना, न खाना बनाने देना और न सबके लिए बने खाने को छूने देना, आचार को हाथ न लगाना, पुरुषों से दूर रहना.


आज के समय में लोग इन पाबंदियों को नहीं मारते, लेकिन नेपाल में ऐसा करने के बारे में आप सोच भी नहीं सकते. कहा जाता है कि आज भी पीरियड्स को लेकर यहां काफी सख्त नियम हैं, जिन्हें वहां की महिलाओं को मानना ही पड़ता है. 


जानें क्या है "चौपाड़ी प्रथा"
चौपाड़ी प्रथा के तहत पीरियड्स के दौरान महिलाओं और लड़कियों को घर बाहर बनी झोपड़ी या लकड़ी के बाड़े में रहना पड़ता है. अंधविश्वास के चलते लोग मानते हैं कि अगर महिला अपने परिवार के साथ रहती है तो अनिष्ट होता है. माना जाता है कि इस दौरान महिला ने पौधे को छू लिया तो वह सूख जाएंगे और पेड़ फल देना बंद कर देंगे. 


इंद्रदेव का श्राप
इस दौरान महिला का पुरुषों से मिलने या आमना-सामना होने पर भी प्रतिबंध होता है. इसके पीछे मान्यता है कि माहवारी इंद्रदेव का महिलाओं को श्राप है, जिसके चलते महिलाओं को इस दौरान अशुद्ध माना जाता है.


लग चुका है बैन
बता दें कि नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने साल 2005 में इस प्रथा पर बैन लगा दिया था और साल 2017 में पारित हुए कानून के जरिए महिला को इस कुप्रथा के लिए मजबूर करने वाले को 3 महीने की जेल और 3000 नेपाली रुपये का जुर्माना लगाने की सजा तय की है.