फ्लोर टेस्ट से पहले ही `हारे` येदियुरप्पा, तोड़ दिया 7 दिन CM रहने का अपना ही रिकॉर्ड
इससे पहले 2007 में बी. एस. येदियुरप्पा 7 दिनों तक मुख्यमंत्री पद पर रहे थे.
नई दिल्ली: कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने शनिवार (19 मई) को कर्नाटक विधानसभा में शक्ति परीक्षण से पहले ही अपना इस्तीफा देने की बात कही. उन्होंने विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव के दौरान इस्तीफे की पेशकश कर दी. इसके साथ ही उन्होंने सबसे कम समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का अपना ही रिकॉर्ड भी तोड़ दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को 19 मई शाम चार बजे राज्य विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना था, लेकिन इसकी नौबत ही नहीं आई. अगर येदियुरप्पा सदन के पटल पर बहुमत साबित कर देते, तो वे अपना ही पुराना खराब रिकॉर्ड तोड़ने से बच जाते, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
इससे पहले 2004 के विधानसभा में भी जब बीजेपी कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, तब पार्टी सरकार नहीं बना पाई थी. बाद में 2007 में जोड़तोड़ कर बीजेपी का जेडीएस के साथ गठबंधन हो गया था. लेकिन येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के सात दिन के भीतर जेडीएस ने अपना समर्थन वापस ले लिया और येदियुरप्पा सरकार गिर गई. आज (शनिवार, 19 मई) येदियुरप्पा फ्लोर टेस्ट से पहले ही हारकर सात दिन के बजाय ढाई दिन के मुख्यमंत्री बनकर रह गए. इस तरह उन्होंने अपना ही पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा का इस्तीफा
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने शपथ लेने के दो दिनों बाद शनिवार (19 मई) को पद से इस्तीफा दे दिया. येदियुरप्पा ने विधानसभा में बहुमत के लिए पक्ष में आवश्यक सदस्यों की संख्या न होने के कारण इस्तीफा दे दिया है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद शनिवार (19 मई) को आयोजित बहुमत परीक्षण के दौरान येदियुरप्पा बहुमत के लिए आवश्यक सदस्यों की संख्या नहीं जुटा सके. विधानसभा में अपने भाषण के बाद उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की और वह राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने राजभवन चले गए.
रातभर के सीएम रहे थे जगदंबिका पाल
वैसे बीजेपी में सबसे कम दिनों तक मुख्यमंत्री रहने वाले जगदंबिका पाल भी मौजूद हैं. कभी कांग्रेस नेता रहे पाल इस समय डुमरियागंज से बीजेपी सांसद हैं. उत्तर प्रदेश में ऐसे ही सियासी उठापटक के बीच वे रातभर के लिए मुख्यमंत्री बन गए थे. दरअसल उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने 21 फरवरी 1998 को तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया था. उसके बाद पाल को मुख्यमंत्री बना दिया गया था. 23 फरवरी को हाइकोर्ट ने कल्याण सिंह सरकार बहाल कर दी. हालांकि उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल को अदालत ने शून्य माना, इसलिए उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री नहीं माना जाता है.
यह भी पढ़ें : कर्नाटक में बहुमत के लिए भाजपा का प्लान | कांग्रेस के 8 और जेडीएस के 2 MLA संपर्क में- सूत्र
सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा को कर्नाटक विधानसभा में शनिवार (19 मई) शाम चार बजे बहुमत साबित करने के निर्देश दिए थे और तब तक उनके किसी भी तरह के नीतिगत फैसलों पर रोक लगा दी थी. न्यायाधीश ए.के. सीकरी, न्यायाधीश एस.ए. बोबडे और न्यायाधीश अशोक भूषण की पीठ ने शनिवार शाम चार बजे बहुमत साबित करने का आदेश देते हुए कहा था कि विधानसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य, अस्थाई स्पीकर नव निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाएंगे और फिर बहुमत परीक्षण कराएंगे. न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी द्वारा दायर येदियुरप्पा की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने बहुमत परीक्षण के लिए एक सप्ताह का समय देने की मांग की थी.
यह भी पढ़ें : कर्नाटक में BJP कैसे साबित करेगी बहुमत? जानिए क्या होता है फ्लोर टेस्ट
इस बार 12 मई को हुए विधानसभा चुनाव में 104 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, जबकि कांग्रेस के पास 78 और जनता दल (सेकुलर) ने 37 सीटें जीती हैं. इसके अलावा दो सीटें निर्दलीयों के पास और एक सीट बसपा के पास है.