ZEE जानकारीः कर्नाटक विधानसभा की मौजूदा स्थिति और कांग्रेस और बीजेपी का वोट गणित
सुप्रीम कोर्ट ने एक Pro-tem स्पीकर नियुक्त करने का भी आदेश दिया है. शाम 4 बजे से पहले Pro-tem स्पीकर सभी विधायकों को शपथ दिलाएंगे और फिर शक्ति परीक्षण होगा.
कर्नाटक के राजनीतिक भविष्य के लिए कल का दिन सबसे अहम है. करीब दो महीनों तक चली चुनावी प्रक्रिया के बाद 15 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे. लेकिन 15 मई से ज्यादा बड़ा दिन 19 मई का होने वाला है. क्योंकि 19 मई यानी कि कल ही ये तय होगा कि कर्नाटक में सरकार बीजेपी की रहेगी या फिर कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन को मौका मिलेगा. कल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कर्नाटक विधानसभा में शक्ति परीक्षण होना है. यानी दिन और वक्त तय हो चुका है, इसलिए अब सबकी नज़रें इस बात पर टिकी हैं कि बीएस येदियुरप्पा का क्या होगा? कांग्रेस का दावा है कि येदियुरप्पा सिर्फ 3 दिन के मुख्यमंत्री साबित होंगे. इसलिए कर्नाटक विधानसभा की मौजूदा स्थिति और कांग्रेस और बीजेपी का वोट गणित समझना बहुत ज़रूरी है. क्योंकि दोनों के ही अपने अपने दावे हैं. और दोनों ही बहुमत का दावा कर रहे हैं. लेकिन सबसे पहले आपको सुप्रीम कोर्ट में हुई महत्वपूर्ण सुनवाई की जानकारी होनी चाहिए. क्योंकि इस सुनवाई के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने शक्ति परीक्षण का दिन और समय तय किया है.
आज अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक में बिना किसी देरी के शक्ति परीक्षण होना चाहिए. अदालत का कहना था कि राज्यपाल ने शक्ति परीक्षण के लिए 15 दिनों का वक्त दिया था, लेकिन मौजूदा स्थितियों को देखते हुए इसे कल ही करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने शक्ति परीक्षण के लिए कल शाम 4 बजे का वक्त निर्धारित किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने एक Pro-tem स्पीकर नियुक्त करने का भी आदेश दिया है. शाम 4 बजे से पहले Pro-tem स्पीकर सभी विधायकों को शपथ दिलाएंगे और फिर शक्ति परीक्षण होगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्यपाल वजुभाई वाला ने K.G. बोपय्या को Pro-tem स्पीकर बनाया है, और अब इस पर भी विवाद हो गया है, क्योंकि कांग्रेस को K.G. बोपय्या स्वीकार नहीं हैं. कांग्रेस ये चाहती है कि R.V. देशपांडे को Pro-tem स्पीकर बनाया जाए. K.G. बोपय्या बीजेपी के विधायक हैं जबकि R.V. देशपांडे कांग्रेस के विधायक हैं और मंत्री भी रह चुके हैं.
राज्यपाल वजूभाई वाला के Pro-tem स्पीकर नियुक्त करने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट जा रही है. कांग्रेस का कहना है कि परंपरा और नियम के मुताबिक सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को ही प्रोटेम स्पीकर बनाया जा सकता है, लेकिन राजभवन ने फिर से नियमों को ताक पर रखा है. कांग्रेस ने ये भी आरोप लगाया है कि K.G. बोपय्या ने 2010 में येदियुरप्पा की सरकार बचाई थी. उस वक्त कर्नाटक में येदियुरप्पा मुख्यमंत्री थे और उनके कुछ विधायकों ने बगावत कर दी थी. उस वक्त कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर K.G. बोपय्या थे. कांग्रेस का आरोप है कि तत्कालीन स्पीकर K.G. बोपय्या ने बीजेपी के 11 विधायकों को Disqualify कर दिया था. इसीलिए उन्हें हटाया जाए.
अब सवाल ये है कि कांग्रेस K.G. बोपय्या की जगह R.V. देशपांडे को प्रोटेम स्पीकर बनवाने की मांग क्यों कर रही है? इसके लिए आपको ये समझना होगा. स्पीकर के अधिकार क्या होते हैं? Pro-tem स्पीकर वोटिंग नहीं करेगा, लेकिन अगर शक्ति परीक्षण के दौरान Tie हो गया, यानी दोनों तरफ से बराबर वोट पड़े, तो Pro-tem स्पीकर के पास निर्णायक वोट देने का अधिकार होगा. K.G. बोपय्या बीजेपी से हैं, इसलिए उनका वोट बीजेपी को ही जाएगा. कल के शक्ति परीक्षण में Pro-tem स्पीकर की सबसे अहम भूमिका, किसी भी विधायक के वोट को Qualify या Disqualify करने की होगी.
इसीलिए कांग्रेस को ये डर है कि कहीं मौजूदा Pro-tem स्पीकर उनके किसी विधायक का वोट Disqualify न कर दें. इसीलिए कांग्रेस अपनी पार्टी का Pro-tem स्पीकर बनाना चाहती है. और इस मुद्दे पर वो सुप्रीम कोर्ट में चली गई है. अब से कुछ देर पहले ही इस मामले में कांग्रेस ने याचिका दी है. कांग्रेस के वकीलों की फौज इस वक़्त सुप्रीम कोर्ट के अंदर मौजूद है. और उनकी ये मांग है कि आज रात ही इस मामले की सुनवाई हो. अब आगे चीफ जस्टिस ये तय करेंगे कि इस याचिका पर सुनवाई कब की जाए?
कल के शक्ति परीक्षण को देखते हुए आपको कर्नाटक विधानसभा की मौजूदा स्थिति समझनी होगी. कर्नाटक में 224 सीटों में से 222 पर ही मतदान हुआ था. जेडीएस के नेता HD कुमारस्वामी दो सीटों से जीते हैं, लेकिन उनका एक ही वोट गिना जाएगा. इसलिए अब सदन में विधायकों की संख्या होगी 221 और बहुमत के लिए 111 विधायकों के समर्थन की ज़रूरत होगी. ऐसे में मान लीजिए कि 13 विधायक गैरहाजिर हो जाएं, तो ये आंकड़ा हो जाता है, 221 Minus 13 यानी 208 का.
अब इसमें से एक Pro-tem Speaker को भी कम कर दीजिए, क्योंकि वो वोट नहीं डालेंगे. ऐसे में कर्नाटक विधानसभा में विधायकों की संख्या हो जाएगी 207 और इस स्थिति में बहुमत साबित करने के लिए 104 विधायकों की ज़रूरत होगी, और ये संख्या बीजेपी के पास है. यानी कम से कम 13 विधायकों को अनुपस्थित रहना होगा. सूत्रों से हमें ये ख़बर मिली है कि कांग्रेस के 8, JDS के 2 और 1 निर्दलीय विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं. इस हिसाब से कुल 11 विधायक बीजेपी को समर्थन दे सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो बीजेपी के 104 और इन 11 विधायकों को मिलाकर - कुल संख्या 115 हो जाएगी...और इसी आधार पर अब बीजेपी शक्ति परीक्षण को जीतने का दावा कर रही है. लेकिन कांग्रेस के अपने तर्क और गणित है. इसलिए ये स्थिति कल ही साफ होगी कि कर्नाटक पर कौन राज करेगा ?
ये पूरा मामला राज्यपाल के उस आदेश से शुरु हुआ जिसमें उन्होंने बीजेपी को सरकार बनाने का न्यौता दिया. इसलिए अब सवाल ये है कि ऐसी स्थिति में राज्यपाल को सरकार बनाने के लिए किसे बुलाना चाहिए? इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आज के फैसले में ये भी कहा है कि इस मामले में विस्तार से सुनवाई की ज़रूरत है. जिसमें ये देखा जाएगा कि राज्यपाल द्वारा येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए बुलाना कानूनी तौर पर सही था या नहीं?इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम पर हमारी नज़र बनी रहेगी और इससे जुड़े सभी अपडेट आपको सबसे पहले Zee News पर मिलेंगे.