Mental Peace: दिनभर बेचैनी, मूड रहता है ऑफ; जिंदगी में लाएं ये 6 छोटी आदतें... फिर देखें कमाल
Mental Health Tips: भागम-भाग वाली जिंदगी में खुश रहना मुश्किल है. एक पल हंसते हैं, दूसरे ही पल चिंता जकड़ लेती है. छोटी-छोटी गलत आदतें भी मानसिक सेहत बिगाड़ देती हैं. आइए जानते हैं कि कौन कौन ऐसी आदतें है जिन्हें अपनाकर इन समस्याओं से दूर हो सकते हैं.
Mental Health Tips: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में खुद को शांत और व्यवस्थित रख पाना बहुत मुश्किल हो गया है. एक पल हंसते-खिलखिलाते दोस्तों के साथ वक्त बिता रहे होते हैं, तो अगले ही पल चिंता का बोझ दबाने लगता है. इसके वजह से कई बार हमारी मानसिक सेहत बिगड़ने के लगती है, जिन्हें हम नजरअंदाज करते हैं.
ये आदतें धीरे-धीरे हमारे मानसिक संतुलन को बिगाड़ती हैं, जिससे हम खुद को थका हुआ, परेशान महसूस करने लगते हैं. ऐसे में कुछ आदते हैं जिन्हें अपनाने से इन समस्याओं को दूर किया जा सकता हैं. आइए, आज ऐसी 6 आदतों के बारे में जानते हैं जो इसे दूर करने में हमारा साथ दे सकती हैं.
1. सोशल मीडिया सक्रोलिंग
आज के डिजिटल समय में सोशल मीडिया हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है. लेकिन इसका अधिक इस्तेमाल हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. दूसरों की परफेक्ट लाइफ देखकर मन में तुलना, जलन और चिंता की भावना पैदा होती है. इससे खुद में असंतोष और हीन भावना भी पनपती है. इससे बचने के लिए सोशल मीडिया के प्रयोग को सीमित करें.
सुझाव- दिन के कुछ घंटे ऐसे रखें जहां आप इससे पूरी तरह दूर रह सकें. इस समय को परिवार और दोस्तों के साथ बिताएं, नेचर का आनंद लें या अपने शौक पूरे करें. एक लाइन में कहें तो वर्चुअल दुनिया से बाहर निकलकर, असली जिंदगी का अनुभव करें.
2. प्रोक्रेस्टिनेशन (टालमटोल की आदत):
काम टालने की आदत तनाव और चिंता को बढ़ाती है. आखिरी समय में काम का बोझ लद जाता है, जिससे जल्दबाजी में काम करना पड़ता है और उसकी क्वालिटी भी प्रभावित होती है. इसके अलावा, काम टालने से जुड़ा गिल्टी फीलिंग भी मानसिक शांति भंग करता है और आत्मविश्वास कम करता है.
सुझाव- इससे बचने के लिए काम को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटे और उस काम करने के लिए खुद को टाइम लिमिट दें. प्रायोरिटी के आधार पर काम निपटाएं और छोटी-छोटी उपलब्धियों का खुद को एप्रिशिएट करें. यह आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा.
3. ओवरथिंकिंग:
बीती हुई बातों का पछतावा या भविष्य की चिंता, ये दोनों ही मानसिक शांति के दुश्मन हैं. जो हो गया सो हो गया, उसे बदला नहीं जा सकता. इसलिए वर्तमान में जीना सीखें. पॉजिटिव सोच रखें और भविष्य के बारे में सोचने के बजाय उसे बनाने की कोशिश करें.
सुझाव- जब मन में बहुत सारे विचार आ रहे हों, तो उन्हें लिख लें. ऐसा करने से आप समझ पाएंगे कि ये विचार आपको परेशान क्यों कर रहे हैं और धीरे-धीरे इन पर काबू पा सकेंगे.
4. मल्टीटास्किंग :
एक साथ कई कामों को करने को मल्टीटास्किंग कहते हैं. वैसे तो कई कामों के एक साथ करना एक अच्छी आदत है. लेकिन कई बार इसका असर दिमाग पर भी होता है. इससे तनाव बढ़ता है, एकाग्रता कम होती है और इससे काम की क्वालिटी घटती है. इसलिए मल्टीटास्किंग की आदत से बचें. एक बार में एक ही काम पर पूरा ध्यान दें.
सुझाव- प्रायोरिटी तय करें और रीयलिस्टिक लक्ष्य बनाएं. इससे आप आसानी से काम कर पाएंगे और मानसिक शांति भी मिलेगी.
5. खुद को कोसना:
लगातार खुद को नीचा दिखाना और खुद को कम आंकना सेल्फ रेस्पेक्ट के लिए बहुत घातक होता है. इससे तनाव बढ़ता है और चिंता, हीन भावना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. खुद को नीचा दिखाने से आपके व्यवहार पर भी इंपैक्ट पड़ता है. ये आदतें जब आपकी ऐसी इमेज बनाने लगती हैं, तो दूसरों पर भी आपका गलत प्रभाव पड़ता है. इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप अपने नेगेटिव विचारों से दूर रहें.
सुझाव- खुद को कोसने और गलतियों पर पछताने के बजाय, इस बात पर ध्यान दें कि आप कहां से शुरू हुए थे और अब कितना आगे आ गए हैं. अगर आप किसी परीक्षा में पास नहीं हो पाए, तो खुद को सताने के बजाय सोचें कि तैयारी करते समय आपने कितना सीखा और इससे आपको क्या मिला.
6. हमेशा दूसरों के लिए उपलब्ध रहना:
दूसरों के लिए हमेशा उपलब्ध रहना और अपनी सीमाएं तय न करना भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए खराब होता है. सीमाएं न होने से एक समय के बाद थकान और घबराहट महसूस होने लगती है. काम, सामाजिक दायित्वों या अन्य जिम्मेदारियों के बोझ तले दब जाने से खुद के देख-भाल यानी की "मी-टाइम" के लिए समय नहीं बचता है, जिससे कुछ समय बाद ये आपके मानसिक सेहत को प्रभावित करने लगता है.
सुझाव- इससे बचने के लिए आज से ही अपनी लिमिट तय करना शुरू करें. जरूरी होने पर "ना" कहना सीखें और बिना गिल्ट फील के अपने आपको प्राथमिकता दें. दूसरों को अपनी सीमाओं के बारे में बताएं. चाहे वह समय की प्रतिबद्धता हो, देर रात काम पर आने की बात हो या बड़े ग्रुप में मिलना हो, यहां क्लियरिटी रखें कि आप किन चीजों के लिए सहज हैं और किनके लिए नहीं.