बिल गेट्स ने बताया बच्चों को कब देना चाहिए मोबाइल, अपने बच्चों के लिए भी फॉलो करते हैं ये रूल
Smartphones And Children: स्मार्टफोन का क्रेज बड़ों से ज्यादा आज के समय में बच्चों में देखने के लिए मिलता है. माता-पिता खुद भी अपने बच्चों को फोन देकर बिगाड़ने का काम करते हैं. बिल गेट्स का भी मानना है कि कम उम्र के बच्चों को फोन से दूर रखना ही बेहतर होता है.
माइक्रोसॉफ्ट के पूर्व सीईओ बिल गेट्स उन चंद लोगों में शामिल हैं जो टेक्नॉलोजी की फायदे और नुकसान को बहुत ही बारीकी से समझते हैं. यही कारण है कि इसके प्रभावों से बचने के लिए उन्होंने आज तक अपने तीनों बच्चों को 14 साल की उम्र तक कोई फोन या टेबलेट नहीं दिलवाया.
लेकिन एक नॉर्मल फैमिली में बच्चों के लिए ऐसे सख्त नियम दिखना आज के समय में बहुत ही दुर्लभ हो गया है. माता-पिता बच्चों को बिजी रखने के लिए खुद ही उन्हें स्मार्टफोन के मायाजाल में धकेल देते हैं. बिना यह जाने कि फोन बच्चे के दिमाग और शारीरिक हेल्थ को किस तरह से नुकसान पहुंचा रहा है. यदि आप भी एक पेरेंट हैं तो इस लेख को जरूर पढ़ें. यहां बच्चों को फोन देने की सही उम्र के साथ इसके नुकसान के बारे में आप डिटेल में जान सकते हैं.
किस उम्र में देना चाहिए बच्चों को फोन
आप अपने बच्चों को स्मार्टफोन देने के लिए जितना लंबा इंतजार करेंगे, उतना ही बेहतर होगा. कुछ विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों को मोबाइल देने के लिए 12 तो किसी ने 14 को सूटेबल एज बताया है. हालांकि सब इस बात पर सहमत हैं कि कम उम्र में बच्चों को स्मार्टफोन देना नशे की तरह हो सकता है जो बच्चों को ऑनलाइन बदमाशी, बाल शिकारियों या सेक्सटिंग जैसे मुद्दों से अवगत कराते हुए स्कूल के काम से विचलित कर सकता है.
बिल गेट्स ने बनाया है अपने बच्चों को ये नियम
बिल गेट्स के तीन बच्चे हैं. तीनों की उम्र क्रमश: 20, 17 और 14 है. इनमें से किसी के भी पास एप्पल का फोन नहीं है. इतना ही नहीं द मिरर को दिए इंटरव्यू में बिल गेट्स ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चों को 14 साल से पहले फोन चलाने की अनुमति नहीं दी थी.
खुद तय करते हैं स्क्रीन टाइम
बिल गेट्स के घर में फोन को लेकर कुछ रूल्स बनाए गए हैं. इसमें डिनर टेबल पर फोन के साथ बैठने की मनाही के साथ फोन में बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम सेट करना शामिल है.
बच्चों को फोन से दूर रखना क्यों जरूरी?
मोबाइल से निकलने वाली नीली लाइट बच्चों के आंखों और दिमाग दोनों को डैमेज करना का काम करती है. जिससे मेंटल हेल्थ इश्यू से लेकर सोने में दिक्कत और यहां तक की ट्यूमर तक होने का जोखिम होता है. कई स्टडी में ऐसा देखा गया है कि कम उम्र से फोन चलाने वाले बच्चों की सीखने की क्षमता बहुत कम होती है.
इसे भी पढ़ें- खूब देख रहे बच्चे ऑनलाइन वीडियो, सर्वे का दावा- डिजिटल एडिक्ट होने के जोखिम में 60% चिल्ड्रन