खराब लाइफस्टाइल से महिलाओं में बढ़ सकता है कैंसर का खतरा? जानें एक्सपर्ट की राय
WHO के अनुसार, 2022 में भारत में 14.13 लाख से अधिक नए कैंसर के मामले सामने आए, जिनमें से 9.16 लाख लोगों की मौत हो गई. चिंता की बात यह है कि महिलाओं में कैंसर के मामले पुरुषों से ज्यादा पाए जा रहे हैं.
पूरी दुनिया में कैंसर सबसे घातक बीमारियों में से एक है, जिसकी रफ्तार भारत और दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार, 2022 में भारत में 14.13 लाख से अधिक नए कैंसर के मामले सामने आए, जिनमें से 9.16 लाख लोगों की मौत हो गई. चिंता की बात यह है कि महिलाओं में कैंसर के मामले पुरुषों से ज्यादा पाए जा रहे हैं. स्तन, सर्वाइकल, अंडाशय, मुंह और कोलोरेक्टल कैंसर महिलाओं में ज्यादा देखे जाते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इस बात पर जोर देता है कि हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर 30-40% तक कैंसर के मामलों को रोका जा सकता है. जागरूकता बढ़ाकर, सही फैसले लेकर और स्वस्थ आदतें अपनाकर महिलाएं कैंसर के खतरे को कम कर सकती हैं और लंबा व स्वस्थ जीवन जी सकती हैं.
महिलाओं में कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाली रोजमर्रा की आदतें
इंडियन कैंसर सोसाइटी, दिल्ली ब्रांच की अध्यक्षा श्रीमती ज्योत्सना गोविल उन हानिकारक आदतों के बारे में बताती हैं जो महिलाओं में स्तन या सर्वाइकल कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती हैं:
धूम्रपान
धुआंयुक्त तंबाकू में लगभग 7,000 रसायन होते हैं। इन्हें पीने से सेल्स में बदलाव आते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. धूम्रपान करने वाली महिलाओं में ज्यादा शराब पीने से मुंह, गला, स्वरयंत्र (larynx), ग्रसनी (pharynx), वायुमार्ग और कोलोन को प्रभावित करने वाले कैंसर का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है.
मोटापा
मोटापे का संबंध सिर्फ डायबिटीज और दिल की बीमारी से ही नहीं है, बल्कि यह विभिन्न प्रकार के कैंसर के लिए भी एक महत्वपूर्ण रिस्क फैक्टर है. हालांकि अभी और रिसर्च की जरूरत है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि खराब लाइफस्टाइल के कारण मोटापा बढ़ रहा है. फैट टिशू आमतौर पर हाई लेवल का एस्ट्रोजन पैदा करता है, जिसे महिलाओं में ब्रेस्ट, अंडाशय, एंडोमेट्रियल कैंसर और अन्य प्रकार के कैंसर से जोड़ा गया है.
नियमित जांच और स्क्रीनिंग में लापरवाही
भारत में कैंसर का एक प्रमुख कारण नियमित जांच और स्क्रीनिंग की कमी है. लोगों में स्क्रीनिंग कराने को लेकर उदासीनता होती है. साथ ही, देश के कुछ हिस्सों में कैंसर को लेकर सामाजिक कलंक भी है. यही वजह है कि नियमित जांच कराने और शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर दिया जाता है. यह खासकर सर्वाइकल कैंसर में ज्यादा देखा जाता है, जो भारतीय महिलाओं में एक आम समस्या है.
शारीरिक गतिविधि में कमी
खासकर आज के युवाओं में शारीरिक गतिविधि में कमी भी कैंसर के मामलों की संख्या बढ़ाने का कारण बन रही है. महिलाओं में, खासकर रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में, कम शारीरिक गतिविधि स्तन कैंसर के खतरे से जुड़ी है. लंबे समय तक काम करना, काम के दौरान अनहेल्दी खाने की आदतें, टीवी और वीडियो देखने में ज्यादा समय बिताना और मोबाइल पर रील्स देखने का चलन लोगों को व्यायाम और पैदल चलने से दूर कर रहा है.