नई दिल्‍ली: फेंफड़ों का कैंसर बहुत गंभीर बीमारी है और प्रदूषण, बिगड़ी लाइफस्‍टाइल जैसे कई कारणों के चलते इसके पेशेंट्स तेजी से बढ़ रहे हैं. लंग कैंसर के पीछे स्‍मोकिंग भी एक बड़ा कारण है. यदि लंग कैंसर का इलाज समय पर न हो तो यह जानलेवा साबित होता है. चूंकि इसके लक्षण देर से सामने आते हैं इसलिए पेशंट्स को बचाना कई बार मुश्किल साबित होता है और यदि बचा भी लिया जाए तो उसकी क्‍वालिटी और क्‍वांटिटी ऑफ लाइफ पर बहुत असर पड़ता है. फिर भी डॉक्‍टर कुछ ऐसी बातें बताते हैं, जिनका ध्‍यान रखा जाए तो लंग कैंसर को शुरुआती स्‍टेज में ही पकड़ा जा सकता है. 


खांसी से होती है शुरुआत 


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खांसी होना बिल्‍कुल आम बात है. यह हर उम्र के लोगों को मौसम बदलने पर या जुकाम होने पर होती है. आमतौर पर दवा लेने से या बिना दवा लिए भी यह कुछ दिन में ठीक हो जाती है. लेकिन लंग कैंसर के शुरुआती लक्षण वाली खांसी की बात करें तो यह आम खांसी से अलग होती है. यह खांसी कई दिनों तक या महीनों तक बंद ही नहीं होती है. ऐसे लोग जो स्‍मोकिंग करते हैं, उन्‍हें लंबी चलने वाली खांसी की अनदेखी गलती से भी नहीं करनी चाहिए क्‍योंकि यह फेंफड़ों के कैंसर का संकेत हो सकती है. 


हालांकि कुछ दिन बाद लंग कैंसर के पेशंट को खांसी के साथ ढेर सारा कफ आना, खून आना या लाल कफ आना, सांस लेने में समस्‍या शुरू हो जाती है. साथ ही उसकी खांसी की आवाज भी बदल जाती है. समय के साथ उसे बोलने और खांसने में तकलीफ होने लगती है. ऐसी स्थिति में उसे विशेषज्ञ से मिलने में देरी नहीं करनी चाहिए. 


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इन लोगों को भी है लंग कैंसर का खतरा 


आमतौर पर धूम्रपान करने वालों को लंग कैंसर होने का खतरा सबसे ज्‍यादा रहता है लेकिन प्रदूषण और पैसिव स्‍मोकिंग भी इसका कारण बनती है और स्‍मोकिंग न करने वाले लोग भी लंग कैंसर का शिकार हो सकते हैं. ऐसे में खांसी ज्‍यादा दिनों तक चले और इसके साथ-साथ अन्‍य समस्‍याएं जैसे- हमेशा गला बैठा रहना, भूख ना लगना, वजन कम होना, पूरे समय थकावट रहे तो तुरंत डॉक्‍टर से मिलकर अच्‍छे से चैकअप करा लें. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)