Exam stress on students: इस वक्त लगभग सभी स्कूलों में फाइनल एग्जाम चल रहे हैं, जिसके लिए बच्चे काफी मेहनत कर रहे हैं. कुछ बच्चों के तो बोर्ड एग्जाम शुरू होने वाले हैं और उसके बाद अच्छे कॉलेज के लिए प्रवेश परीक्षा देना है. इसके चलते बच्चों पर ज्यादा पढ़ने और बेहतर नंबर लाने का दबाव बढ़ता जा रहा है. माता-पिता की पीयर प्रेशर भी अपना रंग दिखा रहा है. ऐसे में बच्चों पर अच्छे मार्क्स लाने का प्रेशर इस कदर बढ़ रहा है कि वे तनाव के शिकार हो रहे हैं.


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इस विषय पर मेट्रो अस्पताल की डायरेक्टर एंड सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी डॉ. सोनिया लाल ने बताया कि फाइनल एग्जाम के पास आते ही बच्चों के साथ-साथ पेरेंट्स की टेंशन भी बढ़ने लगती है. इससे उनमें मेंटल स्ट्रेस बढ़ती है. खासतौर पर बच्चों के लिए तो एग्जाम टाइम स्ट्रेस से भरा होता है. इस वक्त पेरेंट्स को यह कोशिश करनी चाहिए कि उनका बच्चा तनाव से मुक्त रहें. आज के दौर में बच्चों पर एग्जाम का प्रेशर होना आम बात है. कभी-कभी ये तनाव बच्चों के लिए फायदेमंद हो सकता है तो कई अत्यधिक दबाव से चिंता और घबराहट बढ़ सकती है. इसका सीधा असर बच्चे की दिमागी स्वास्थ्य पर पड़ता है और उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है.


डॉ. सोनिया ने आगे बताया कि फाइनल एग्जाम के दौरान बच्चों के साथ-साथ उनके पैरेंट्स भी तनाव में आ जाते हैं. बच्चे अपने पेरेंट्स से परेशानी से बाहर आना सीखते हैं. ऐसे में आप अपने बच्चों के साथ बात करें और उन्हें शांत रखने का प्रयास करें. बच्चों की स्ट्रेस और एंजायटी को मजाक में ना लें, क्योंकि ये उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है. बच्चों के निर्णय में उनका साथ दें. एग्जाम में बच्चों को कई बार एंजायटी महसूस हो सकती है, इसलिए बच्चों को कुछ ब्रीदिंग टेक्निक सिखाएं जिससे वह हल्का महसूस करें. इसके साथ ही उन्हें व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें.


हेल्दी डाइट और अच्छी नींद
डॉ. सोनिया ने आगे कहा कि एक बैलेंस डाइट बच्चों में एनर्जी और फोकस के लेवल को बढ़ाने में मदद करता है. जंक फूड कुछ वक्त के लिए मूड को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है लेकिन इससे थकान और सुस्ती आ सकती है. परीक्षा का समय बच्चों में सेल्फ डाउट की भावना पैदा करता है. वह अक्सर खुद को हीनभावना से देखते हैं और अपनी तुलना अपने क्लास में पढ़ने वाले बच्चों से करने लगते हैं. माता-पिता बच्चे को प्रोत्साहित करें. समय पर खाने के साथ 7 से 8 घंटे की नींद जरूरी है. एग्जाम के वक्त में सही नींद सबसे जरूरी है लेट नाइट तक पढ़ाई के बाद अच्छी नींद नहीं लेने के कारण कई बार बच्चे एग्जाम देते समय पढ़ी हुई चीज भूल जाते हैं.


इन बातों का पैरंट्स रखें ध्यान
- बच्चों को दिन और रात जैसे सही लगे, उसी हिसाब से पढ़ने दें
- बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से न करें, सबकी अपनी क्षमता होती है
- बच्चों से उचित उम्मीद रखें, उन पर ज्यादा नंबर लाने का प्रेशर न डालें
- ऐसे वक्त में बच्चे को इमोशनल सपोर्ट जरूरी है. उससे उसकी पुरानी नाकामियों की बात न करें.
- बच्चा अगर देर तक पढ़ना चाहता है तो कोई एक पैरंट उसके साथ जागे, इससे उसका हौसला बढ़ता है.
- बच्चों से हर वक्त पढ़ाई और सिलेबस की ही बातें न करें, इस वक्त फ्यूचर प्लान, करियर आदि की बात भी न करें.
- बच्चे से यह कहने की बजाय कि मैंने तुमसे ऐसे कहा था या कितने नंबर लाओगे की बजाय उससे कहें कि हम हमेशा तुम्हारे साथ हैं.


बच्चों में एग्जाम स्ट्रेस लक्षण
अगर बच्चा लगातार सिरदर्द, बदन दर्द, चक्कर आने, फलटी महसूस होने, भूलने, घबराहट, बेचैनी, पढ़ने में मन न लगने जैसी समस्याएं बताता है उस पर ध्यान दें. हो सकता है कि वह बहुत ज्यादा तनाव में है. यह न सोचें कि वह पढ़ाई से बचने के लिए बहाना बना रहा है. ऐसे में उसे फौरन सायकॉलजिस्ट या काउंसलर के पास ले जाएं.


एग्जाम से पहले इन बातों का रखें ध्यान
- खुद को रिलैक्स रखें. यह सोचकर परेशान न हों कि यह तैयार नहीं किया, वह छूट गया. इससे कोई फायदा नहीं क्योंकि अभी तक जो पढ़ा है, उसे अच्छे से लिखने में ही भलाई है.
- अक्सर बच्चों को लगता है कि मैं सब भूल गया, लेकिन ऐसा होता नहीं है. अगर आपने पढ़ाई की है और मन रिलैक्स है तो पेपर देखकर पढ़ा हुआ याद आ जाएगा.
- अच्छी नींद जरूरी है. 7-8 घंटे की नींद जरूर लें. एग्जाम से पहली रात खासकर टाइम पर सोएं ताकि सुबह फ्रेश उठें. मुमकिन है तो दिन में भी आधे घंटे की पावर नैप ले लें.
- पैरंट्स बच्चे को डिनर टाइम पर करा दें. अगर बच्चे को घबराहट में नींद नहीं आ रही हो तो उसे एक कप गुनगुना दूध पिलाएं.


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